4. आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
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प्रश्न 1. दण्ड आरेख।
(क) एक विमी आरेख है।
(ख) द्विविम आरेख है।
(ग) विम रहित आरेख है।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) एक विमी आरेख है।
प्रश्न 2. आयत चित्र के माध्यम से प्रस्तुत किए गए आँकड़ों से आलेखी रूप से निम्नलिखित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
(क) माध्य
(ख) बहुलक
(ग) मध्यिका
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ख) बहुलक।
प्रश्न 3. तोरणों के द्वारा आलेखी रूप में निम्न की स्थिति जानी जा सकती है।
(क) बहुलक
(ख) माध्य
(ग) मध्यिका
(घ) उपर्युक्त कोई भी नहीं
उत्तर:
(ग) मध्यिका।
प्रश्न 4. अंकगणितीय रेखाचित्र के द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों से निम्न को समझने में मदद मिलती है।
(क) दीर्घकालिक प्रवृत्ति
(ख) आँकड़ों में चक्रीयता
(ग) आँकड़ों में कालिकता
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) दीर्घकालिक प्रवृत्ति।
प्रश्न 5 निम्नलिखित कथनों में से सही या गलत बताएँ:
(i) दंड आरेख के दंडों की चौड़ाई का एक समान होना जरूरी नहीं है।
उत्तर:गलत।
(ii) आयत चित्र में आयतों की चौड़ाई अवश्य एक समान होनी चाहिए।
उत्तर:गलत।
(iii) आयत चित्र की रचना केवल आँकड़ों के सतत वर्गीकरण के लिए की जा सकती है।
उत्तर:सही।
(iv) आयत चित्र एवं स्तंभ आरेख आँकड़ों को प्रस्तुत करने के लिए एक जैसी विधियाँ हैं।
उत्तर:सही।
(v) आयत चित्र की मदद से बारम्बारता वितरण के बहुलक को आलेखी रूप में जाना जा सकता है।
उत्तर:सही।
(vi) तोरणों से बारम्बारता वितरण की मध्यिका को नहीं जाना जा सकता है।
उत्तर:गलत।
प्रश्न 6. निम्नलिखित को प्रस्तुत करने के लिए किस प्रकार का आरेख अधिक प्रभावी होता है?
(क) वर्ष विशेष की मासिक वर्षा।
(ख) धर्म के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या का संघटन।
(ग) एक कारखाने में लागत घटक।
उत्तर:(क) वर्ष विशेष की मासिक वर्षा-किसी वर्ष विशेष की मासिक वर्षा को प्रस्तुत करने के लिए सरल दंड आरेख अधिक उपयुक्त है; क्योंकि इसमें केवल एक ही चर को प्रस्तुत करना होता है।
(ख) धर्म के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या का संघटन - धर्म के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या का संघटन प्रस्तुत करने हेतु सरल दंड आरेख तथा घटक दंड आरेख दोनों ही उपयुक्त हैं; किन्तु इन दोनों में से सरल दण्ड आरेख अधिक उपयुक्त है।
(ग) एक कारखाने में लागत घटक-एक कारखाने में लागत घटक को घटक दण्ड आरेख के द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है तथा इसके अतिरिक्त कारखाने में लागत घटक को वृत्त आरेख द्वारा भी आसानी से प्रस्तुत किया जा सकता है।
प्रश्न 7. मान लीजिए, आप भारत में शहरी गैर कामगारों की संख्या में वृद्धि तथा भारत में शहरीकरण के निम्न स्तर पर बल देना चाहते हैं, जैसा कि उदाहरण 4.2 में दिखाया गया है, तो आप उसका सारणीयन कैसे करेंगे?
उत्तर:
(क) एक विमी आरेख है।
(ख) द्विविम आरेख है।
(ग) विम रहित आरेख है।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) एक विमी आरेख है।
प्रश्न 2. आयत चित्र के माध्यम से प्रस्तुत किए गए आँकड़ों से आलेखी रूप से निम्नलिखित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
(क) माध्य
(ख) बहुलक
(ग) मध्यिका
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ख) बहुलक।
प्रश्न 3. तोरणों के द्वारा आलेखी रूप में निम्न की स्थिति जानी जा सकती है।
(क) बहुलक
(ख) माध्य
(ग) मध्यिका
(घ) उपर्युक्त कोई भी नहीं
उत्तर:
(ग) मध्यिका।
प्रश्न 4. अंकगणितीय रेखाचित्र के द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों से निम्न को समझने में मदद मिलती है।
(क) दीर्घकालिक प्रवृत्ति
(ख) आँकड़ों में चक्रीयता
(ग) आँकड़ों में कालिकता
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) दीर्घकालिक प्रवृत्ति।
प्रश्न 5 निम्नलिखित कथनों में से सही या गलत बताएँ:
(i) दंड आरेख के दंडों की चौड़ाई का एक समान होना जरूरी नहीं है।
उत्तर:गलत।
(ii) आयत चित्र में आयतों की चौड़ाई अवश्य एक समान होनी चाहिए।
उत्तर:गलत।
(iii) आयत चित्र की रचना केवल आँकड़ों के सतत वर्गीकरण के लिए की जा सकती है।
उत्तर:सही।
(iv) आयत चित्र एवं स्तंभ आरेख आँकड़ों को प्रस्तुत करने के लिए एक जैसी विधियाँ हैं।
उत्तर:सही।
(v) आयत चित्र की मदद से बारम्बारता वितरण के बहुलक को आलेखी रूप में जाना जा सकता है।
उत्तर:सही।
(vi) तोरणों से बारम्बारता वितरण की मध्यिका को नहीं जाना जा सकता है।
उत्तर:गलत।
प्रश्न 6. निम्नलिखित को प्रस्तुत करने के लिए किस प्रकार का आरेख अधिक प्रभावी होता है?
(क) वर्ष विशेष की मासिक वर्षा।
(ख) धर्म के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या का संघटन।
(ग) एक कारखाने में लागत घटक।
उत्तर:(क) वर्ष विशेष की मासिक वर्षा-किसी वर्ष विशेष की मासिक वर्षा को प्रस्तुत करने के लिए सरल दंड आरेख अधिक उपयुक्त है; क्योंकि इसमें केवल एक ही चर को प्रस्तुत करना होता है।
(ख) धर्म के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या का संघटन - धर्म के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या का संघटन प्रस्तुत करने हेतु सरल दंड आरेख तथा घटक दंड आरेख दोनों ही उपयुक्त हैं; किन्तु इन दोनों में से सरल दण्ड आरेख अधिक उपयुक्त है।
(ग) एक कारखाने में लागत घटक-एक कारखाने में लागत घटक को घटक दण्ड आरेख के द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है तथा इसके अतिरिक्त कारखाने में लागत घटक को वृत्त आरेख द्वारा भी आसानी से प्रस्तुत किया जा सकता है।
प्रश्न 7. मान लीजिए, आप भारत में शहरी गैर कामगारों की संख्या में वृद्धि तथा भारत में शहरीकरण के निम्न स्तर पर बल देना चाहते हैं, जैसा कि उदाहरण 4.2 में दिखाया गया है, तो आप उसका सारणीयन कैसे करेंगे?
उत्तर:
उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि भारत में वर्ष 2001 में लगभग 28 करोड़ लोग शहरों में रह रहे थे, जबकि उस समय देश की कुल जनसंख्या 102 करोड़ थी, अतः देश में शहरीकरण का स्तर काफी नीचा है। उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि वर्ष 2001 में शहरों में 28 करोड़ लोग निवास कर रहे थे जिसमें से १ करोड़ लोग कामगार थे अथवा श्रमिक थे, जबकि 19 करोड़ लोग गैर कामगार थे।
प्रश्न 8. यदि किसी बारम्बारता सारणी में समान वर्ग अन्तरालों की तुलना में वर्ग अन्तराल असमान हो, तो आयत चित्र बनाने की प्रक्रिया किस प्रकार भिन्न होगी?
उत्तर:
जब वर्ग अन्तराल समान हो अर्थात् जब सभी आयतों का आधार समान हो तब तुलना के उद्देश्य से क्षेत्रफल को किसी भी अन्तराल की बारम्बारता के द्वारा आसानी से प्रस्तुत किया जा सकता है। जब आधारों का विस्तार भिन्न-भिन्न होता है तब आयतों की ऊँचाई को समायोजित किया जाता है ताकि तुलनात्मक मापों को प्राप्त किया जा सके। इस प्रकार की स्थिति में निरपेक्ष बारम्बारता के स्थान पर बारम्बारता घनत्व (जिसमें वर्ग बारम्बारता का विभाजन वर्ग अन्तराल के विस्तार से होता है) अधिक सार्थक होता है।
प्रश्न 9. भारतीय चीनी कारखाना संघ की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसम्बर 2001 के पहले पखवाड़े के दौरान 3877000 टन चीनी का उत्पादन हुआ जबकि ठीक इसी अवधि में पिछले वर्ष ( 2000 में) 3787000 टन चीनी का उत्पादन हुआ था। दिसम्बर 2001 में घरेलू खपत के लिए चीनी मिलों से 283000 टन चीनी उठाई गई और 41000 टन चीनी निर्यात के लिए थी जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में घरेलू खपत की मात्रा 154000 टन थी और निर्यात शून्य था।
(क) उपर्युक्त आँकड़ों को सारणीबद्ध रूप में प्रस्तुत करें।
(ख) मान लीजिए, आप इन आँकड़ों को आरेख के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं तो आप कौनसा आरेख चुनेंगे और क्यों?
(ग) इन आँकड़ों को आरेखी रूप में प्रस्तुत करें।
उत्तर: (क) उपर्युक्त आँकड़ों को सारणी के रूप में निम्न प्रकार प्रस्तुत करेंगे।
सारणी: भारत में चीनी उत्पादन,
खपत एवं निर्यात (टनों में):
प्रश्न 8. यदि किसी बारम्बारता सारणी में समान वर्ग अन्तरालों की तुलना में वर्ग अन्तराल असमान हो, तो आयत चित्र बनाने की प्रक्रिया किस प्रकार भिन्न होगी?
उत्तर:
जब वर्ग अन्तराल समान हो अर्थात् जब सभी आयतों का आधार समान हो तब तुलना के उद्देश्य से क्षेत्रफल को किसी भी अन्तराल की बारम्बारता के द्वारा आसानी से प्रस्तुत किया जा सकता है। जब आधारों का विस्तार भिन्न-भिन्न होता है तब आयतों की ऊँचाई को समायोजित किया जाता है ताकि तुलनात्मक मापों को प्राप्त किया जा सके। इस प्रकार की स्थिति में निरपेक्ष बारम्बारता के स्थान पर बारम्बारता घनत्व (जिसमें वर्ग बारम्बारता का विभाजन वर्ग अन्तराल के विस्तार से होता है) अधिक सार्थक होता है।
प्रश्न 9. भारतीय चीनी कारखाना संघ की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसम्बर 2001 के पहले पखवाड़े के दौरान 3877000 टन चीनी का उत्पादन हुआ जबकि ठीक इसी अवधि में पिछले वर्ष ( 2000 में) 3787000 टन चीनी का उत्पादन हुआ था। दिसम्बर 2001 में घरेलू खपत के लिए चीनी मिलों से 283000 टन चीनी उठाई गई और 41000 टन चीनी निर्यात के लिए थी जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में घरेलू खपत की मात्रा 154000 टन थी और निर्यात शून्य था।
(क) उपर्युक्त आँकड़ों को सारणीबद्ध रूप में प्रस्तुत करें।
(ख) मान लीजिए, आप इन आँकड़ों को आरेख के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं तो आप कौनसा आरेख चुनेंगे और क्यों?
(ग) इन आँकड़ों को आरेखी रूप में प्रस्तुत करें।
उत्तर: (क) उपर्युक्त आँकड़ों को सारणी के रूप में निम्न प्रकार प्रस्तुत करेंगे।
सारणी: भारत में चीनी उत्पादन,
खपत एवं निर्यात (टनों में):
(ख) यदि उपर्युक्त आँकड़ों को आरेख रूप में प्रस्तुत करना हो तो वृत्त आरेख सबसे उपयुक्त है क्योंकि वृत्त में उपर्युक्त आँकड़ों को आसानी से दर्शाया जा सकता है तथा वृत्त आरेख से ये आंकड़े आसानी से समझ में आ जायेंगे।
(ग) उपर्युक्त आँकड़ों को दो अलग - अलग वृत्त आरेखों से दर्शाया जा सकता है। उसके लिए सबसे पहले तालिकाओं का निर्माण किया जाएगा। ये तालिकाएँ वर्षवार बनाई जाएंगी।
(i) वर्ष 2000 की स्थिति विवरण।
(ग) उपर्युक्त आँकड़ों को दो अलग - अलग वृत्त आरेखों से दर्शाया जा सकता है। उसके लिए सबसे पहले तालिकाओं का निर्माण किया जाएगा। ये तालिकाएँ वर्षवार बनाई जाएंगी।
(i) वर्ष 2000 की स्थिति विवरण।
प्रश्न 10.निम्नलिखित सारणी के कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद में क्षेत्रवार अनुमानित वास्तविक संवृद्धि दर को (पिछले वर्ष से प्रतिशत परिवर्तन ) प्रस्तुत किया गया है
नोट्स (अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न)
प्र0 सांख्यिकी में चित्रों की आवश्यकता एवं महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। तथा उसकी सीमाएँ भी बताईए।
सांख्यिकी के माध्यम से नीरस संमकों को अर्थपूर्ण, रोचक व अधिक बोधगम्य बनाया जा सकता है। इसलिए अर्थशास्त्र में सांख्यिकी के माध्यम से चित्रों का निमार्ण की बहुत उपयोगिता है। जो निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।
1. आकर्षक एवं प्रभावी - चित्र के माध्यम से संमकों को आकर्षक एवं प्रभावी बनाया जा सकता है। चित्र आकर्षक होते है तथा मानव मस्तिक पर स्थायी प्रभाव डालते है।
2. तथ्यों को सरल व बोधगम्य बनाना - चित्र जटिल एवं अव्यवस्थित संमकों को सरल व बोधगम्य बनाते है क्यों की चित्र आकर्षित और रूचिपूर्ण होते है और सरलता से समझ में आते है।
3. समय व क्षम की बचत - चित्रों द्वारा प्रदर्शित संमकों को बिना मस्तिक पर अधिक भार डाले ही सरलता से समझा जा सकता है। इससे समय व क्षम की बचत होती है।
4. तुलना में सहायक - चित्रों के माध्यम से विभिन्न समंक समूहों में तुलना करना सरल हो जाता है।
5. अधिक समय तक स्मरणीय - विशाल व जटिल समंकों को याद रखना कठिन होता है, जबकि चित्रों द्वारा प्रदर्शित किए गए निष्कर्ष अधिक समय तक याद रहते है।
6. व्यापक उपयोगिता - संमकों आज व्यापक उपयोग होता है। जैसे समाचार पत्रों में, टी0वी0 चैनलों में, किताबों में, व्यापार जगत तथा सरकारी गजटों में, बैंकों आदि में।
चित्रमय की सीमाएँ।
1. चित्र तथ्यों को केवल मोटे रूप में प्रस्तुत करने है, अतः चित्र के माध्यम से निकाले गये निष्कर्ष भ्रामक तथा गलत हो सकते है। इसलिए इसका प्रयोग हमें सवधानीपूर्णक करना चाहिए।
2. चित्रों की उपयोगिता सामान्य व्यक्ति के लिए होता है, किसी विशेषज्ञ के लिए नहीं।
3. चित्र अनेक प्रकार की तुलना करने में अनुपयोगी होते है।
4. चित्रों के माध्यम से निष्कर्ष गलत तथा भ्रामक भी हो सकते है।
5. तुलनात्मक अध्ययन के लिए संमकों को सजातीय होना चाहिए।
6. चित्रों को बनाने में सवधानी तथा सतर्कता की आवश्यक्ता होती है।
7. संमकों के माप में अधिक अंतर होने पर चित्रों का प्रदर्शित करना कठिन होता है।
सांख्यिकी के माध्यम से नीरस संमकों को अर्थपूर्ण, रोचक व अधिक बोधगम्य बनाया जा सकता है। इसलिए अर्थशास्त्र में सांख्यिकी के माध्यम से चित्रों का निमार्ण की बहुत उपयोगिता है। जो निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।
1. आकर्षक एवं प्रभावी - चित्र के माध्यम से संमकों को आकर्षक एवं प्रभावी बनाया जा सकता है। चित्र आकर्षक होते है तथा मानव मस्तिक पर स्थायी प्रभाव डालते है।
2. तथ्यों को सरल व बोधगम्य बनाना - चित्र जटिल एवं अव्यवस्थित संमकों को सरल व बोधगम्य बनाते है क्यों की चित्र आकर्षित और रूचिपूर्ण होते है और सरलता से समझ में आते है।
3. समय व क्षम की बचत - चित्रों द्वारा प्रदर्शित संमकों को बिना मस्तिक पर अधिक भार डाले ही सरलता से समझा जा सकता है। इससे समय व क्षम की बचत होती है।
4. तुलना में सहायक - चित्रों के माध्यम से विभिन्न समंक समूहों में तुलना करना सरल हो जाता है।
5. अधिक समय तक स्मरणीय - विशाल व जटिल समंकों को याद रखना कठिन होता है, जबकि चित्रों द्वारा प्रदर्शित किए गए निष्कर्ष अधिक समय तक याद रहते है।
6. व्यापक उपयोगिता - संमकों आज व्यापक उपयोग होता है। जैसे समाचार पत्रों में, टी0वी0 चैनलों में, किताबों में, व्यापार जगत तथा सरकारी गजटों में, बैंकों आदि में।
चित्रमय की सीमाएँ।
1. चित्र तथ्यों को केवल मोटे रूप में प्रस्तुत करने है, अतः चित्र के माध्यम से निकाले गये निष्कर्ष भ्रामक तथा गलत हो सकते है। इसलिए इसका प्रयोग हमें सवधानीपूर्णक करना चाहिए।
2. चित्रों की उपयोगिता सामान्य व्यक्ति के लिए होता है, किसी विशेषज्ञ के लिए नहीं।
3. चित्र अनेक प्रकार की तुलना करने में अनुपयोगी होते है।
4. चित्रों के माध्यम से निष्कर्ष गलत तथा भ्रामक भी हो सकते है।
5. तुलनात्मक अध्ययन के लिए संमकों को सजातीय होना चाहिए।
6. चित्रों को बनाने में सवधानी तथा सतर्कता की आवश्यक्ता होती है।
7. संमकों के माप में अधिक अंतर होने पर चित्रों का प्रदर्शित करना कठिन होता है।
आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण चित्र के माध्यम से
छात्र अपना स्वंय का मूल्यांकन दिये हुये लिंक में जा कर कर सकते है।
छात्र अपना स्वंय का मूल्यांकन दिये हुये लिंक में जा कर कर सकते है।