6.खुली अर्थव्यवस्था
🔰बहुविकल्पीय उत्तरीय प्रश्न
1. वे समस्त मानवीय क्रियाओं जो वस्तुओं के उत्पादन से वितरण तक सम्पन्न की जाती है क्या कहलाती है।
(a) अवमूल्यन
(b) भुगतान सन्तुलन
(c) विनिमय
(d) *व्यापार
2. जब किसी देश के विभिन्न स्थानों, प्रदेशों अथवा क्षेत्रों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का क्रय-विक्रय होता है तो उसे ................... व्यापार कहते है।
(a) विदेशी
(b) अन्तर्राष्ट्रीय
(c) स्वतन्त्र
(d) *आन्तरिक
3. जब विभिन्न राष्ट्रों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का क्रय-विक्रय होता है तो इसे ............................. व्यापार कहते है।
(a) *अन्तर्राष्ट्रीय
(b) स्वतन्त्र
(c) आन्तरिक
(d) विदेशी
4. वह दर जिस पर किसी दिय हुए समय पर मुद्रा की एक इकाई दूसरी देश की मुद्रा में बदली जाती है, वह दर क्या कहलाती है ?
(a) बैंक दर
(b) भुगतान संतुलन
(c) *विदेशी विनिमय दर
(d) स्वेदेशी विनिमय दर
5. ऐसा व्यापार जहाँ पर स्वतन्त्रता को समाप्त करके वस्तुओं के आयात-निर्यात पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगया जाता है उसे .......................... व्यापार कहते है ?
(a) विदेशी
(b) *संरक्षण
(c) स्वत्रन्त्र
(d) उपर्युक्त सभी
6. .......................... एक देश के निवासियों का बाकी विश्व के बीच किए गए समस्त लेन-देनों का किसी दिए हुए समय, और एक वर्ष का लिखित विवरण होता है।
(a) *भुगतान संतुलन
(b) व्यापार सन्तुलन
(c) अवमूल्यन
(d) उपर्युक्त में से कोई नहींं
7. .......................... एक देश के आयात तथा निर्यात मूल्यों में सम्बन्ध को प्रकट करता है।
(a) भुगतान संतुलन
(b) *व्यापार सन्तुलन
(c) स्वतन्त्र व्यापार
(d) उपर्युक्त में से कोई नहींं
8. यदि एक देश के निर्यात का मूल्य उस देश के आयात के मूल्य से अधिक हो तो व्यापार शेष ......................... होगा।
(a) *अनुकूल
(b) प्रतिकूल
(c) उपरोक्त दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
9. किसी देश के अन्दर होने वाले क्षेत्रीय व्यापार को ................... व्यापार कहते है। ये व्यापार दो राज्यों, क्षेत्रों या प्रदेशों के बीच हो सकता है।
(a) स्वतन्त्र
(b) अन्तर्राष्ट्रीय
(c) *अन्तर्क्षेत्रीय
(d) विदेशी
10. जब दो देशों के बीच व्यापार बिना किसी रोक-टोक के होता है अर्थात आयात व निर्यात पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता है तो उसे कौन सा व्यापार कहते है ?
(a) *स्वतन्त्र व्यापार
(b) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
(c) अन्तर्क्षेत्रीय व्यापार
(d) विदेशी व्यापार
11. किसी वस्तु की एक देश की सीमा से दूसरे देश की सीमा पार करते समय उस पर जो शुल्क लगाया जाता है उसे क्या कहते है ?
(a) बिक्री कर
(b) निर्यात कर
(c) आयात कर
(d) *प्रशुल्क
12. जब कोई देश अपनी मुद्रा के बाहारी मूल्य को कम कर देता है तो उसे क्या कहते है ?
(a) राशिपातन
(b) अधिमूल्यन
(c) *अवमूल्यन
(d) उपर्युक्त में से कोई नहींं
13. अवमूल्यन के उद्देश्य क्या है।
(a) निर्यातों में वृद्वि करना
(b) आयात में कमि करना
(c) *उपरोक्त दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
14. जब कोई देश या एकाधिकारी अपने बनी वस्तुओं को धरेलू बाजार की अपेक्षा विदेशों बाजार में सस्ते मूल्य पर बेचता है उसे क्या कहा जाता है ?
(a) *राशिपातन
(b) अधिमूल्यन
(c) अवमूल्यन
(d) उपर्युक्त में से कोई नहींं
15. भुगतान असन्तुलन के क्या कारण है ?
(a) अधिक जनसंख्या
(b) व्यापार उतार चढ़ाव
(c) मांग में कमी
(d) *उपर्युक्त सभी
16. वह बाज़ार जहां पर विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय किया जाता है उस बज़ार को क्या कहते है ?
र्शयर बाजार
(a) *धरेलू विनिमय बाजार
(b) विदेशी मुद्रा बाजार
(c) दुकान
17. विदेशी विनिमय बाज़ार में दैनिक लेन-देन के कारोबार को कहते है ?
(a) *हाजिर बाजार
(b) देशीय बाजार
(c) विदेशी बाजार
(d) वयदा बाजार
18. विदेशी विनिमय बाज़ार में भविष्य के लेन-देन वाले कारोबार को कहते है ?
(a) हाजिर बाजार
(b) देशीय बाजार
(c) विदेशी बाजार
(d) *वयदा बाजार
19. ................... वित्तीय लेन-देनों का लेखा होता है। इसमें परिसम्पत्तियों के सभी अन्तर्राष्ट्रीय लेन-देन एवं विक्रय का लेखा होता है।
(a) *चालू खाता
(b) पूँजी खाता
(c) विदेशी खाता
(d) उपर्युक्त सभी
20. भुगतान सन्तुलन के विपरीत होने की दशा में निम्न में से कौन-सा कथन स्थिति सुधारने में सहायक होगा।
(a) अधिमूल्यन
(b) विमुद्रकरण
(c) *अवमूल्यन
(d) उपर्युक्त सभी
21. उत्पादन क्षमता में वृद्वि लाने के लिए जो व्यय किया जाता है, वह कहलाता है।
(a) *निवेश व्यय
(b) रक्षा व्यय
(c) अवव्यय
(d) उपर्युक्त सभी
22. वह दर जिस पर एक देश की मुद्रा को दूसरे देश की मुद्रा में विनिमय किया जाता है, कहलाती है।
(a) बैंक दर
(b) ब्याज दर
(c) आयात-निर्यात दर
(d) *विदेशी विनिमय दर
23. यदि सरकार हस्तक्षेप न करे ता विनिमय दर का निर्धारण होता है।
(a) व्यापारियों द्वारा
(b) निर्यातकों द्वारा
(c) विदेशी शक्तियों द्वारा
(d) *माँग व पूर्ति की शक्तियों द्वारा
24. एक देश का दूसरे देश से दृश्य मदों क निर्यात-आयात को कहते है।
(a) भुगतान शेष
(b) धाटा शेष
(c) *व्यापार शेष
(d) उपर्युक्त सभी
25. व्यापार सन्तुलन धाटे का होगा यदि
(a) *निर्यात < आयात
(b) आयात > निर्यात
(c) आयात = निर्यात
(d) इनमें से काई नहीं।
26. विदेशी विनिमय दर का निर्धारण होता है-
(a) सरकार द्वारा
(b) मोल-जोल द्वारा
(c) विश्व बैंक द्वारा
(d) *माँग एवं पूर्ति द्वारा
27. विदेशी विनिमय की मांग के प्रमुख स्रोत हैं –
(a) विदेश में निवेश
(b) विदेशी वस्तुओं का आयात
(c) पर्यटन
(d) *इनमें से सभी
28. यूरोपियन मुद्रा संघ का गठन किया गया –
(a) *जनवरी 1999 में
(b) फरवरी 1999 में
(c) मार्च 1999 में
(d) अप्रैल 1999 में
29. व्यापार शेष - ?
(a) दृश्य मदों का निर्यात -दृश्य मदों का आयात
(b) दृश्य एवं अदृश्य मदों का निर्यात - दृश्य एवं अदृश्य मदों का आयात
(c) *दृश्य मदों का आयात-दृश्य मदों का निर्यात
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
30. व्यापार क्षेत्र में कौन सी मदें सम्मिलित होती हैं
(a) *दृश्य मदें
(b) अदृश्य मदें
(c) पूंजी अन्तरण
(d) उपयुक्त सभी
31. विनिमय दर का अर्थ है
(a) विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय करना
(b) विदेशी मुद्रा में देसी मुद्रा का विनिमय दर
(c) विदेशी मुद्रा की विदेशी मुद्रा में विनिमय दर
(d) *उपर्युक्त सभी
32. अपरिवर्तनीय पत्र मुद्रा की दिशा में विनिमय दर निर्धारण का कौन सा सिद्धांत अपनाया जाता है ?
(a) टंक समता सिद्धांत
(b) भुगतान संतुलन सिद्धांत
(c) *क्रय शक्ति समता सिद्धांत
(d) इनमें से कोई नहीं
(a) अवमूल्यन
(b) भुगतान सन्तुलन
(c) विनिमय
(d) *व्यापार
2. जब किसी देश के विभिन्न स्थानों, प्रदेशों अथवा क्षेत्रों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का क्रय-विक्रय होता है तो उसे ................... व्यापार कहते है।
(a) विदेशी
(b) अन्तर्राष्ट्रीय
(c) स्वतन्त्र
(d) *आन्तरिक
3. जब विभिन्न राष्ट्रों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का क्रय-विक्रय होता है तो इसे ............................. व्यापार कहते है।
(a) *अन्तर्राष्ट्रीय
(b) स्वतन्त्र
(c) आन्तरिक
(d) विदेशी
4. वह दर जिस पर किसी दिय हुए समय पर मुद्रा की एक इकाई दूसरी देश की मुद्रा में बदली जाती है, वह दर क्या कहलाती है ?
(a) बैंक दर
(b) भुगतान संतुलन
(c) *विदेशी विनिमय दर
(d) स्वेदेशी विनिमय दर
5. ऐसा व्यापार जहाँ पर स्वतन्त्रता को समाप्त करके वस्तुओं के आयात-निर्यात पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगया जाता है उसे .......................... व्यापार कहते है ?
(a) विदेशी
(b) *संरक्षण
(c) स्वत्रन्त्र
(d) उपर्युक्त सभी
6. .......................... एक देश के निवासियों का बाकी विश्व के बीच किए गए समस्त लेन-देनों का किसी दिए हुए समय, और एक वर्ष का लिखित विवरण होता है।
(a) *भुगतान संतुलन
(b) व्यापार सन्तुलन
(c) अवमूल्यन
(d) उपर्युक्त में से कोई नहींं
7. .......................... एक देश के आयात तथा निर्यात मूल्यों में सम्बन्ध को प्रकट करता है।
(a) भुगतान संतुलन
(b) *व्यापार सन्तुलन
(c) स्वतन्त्र व्यापार
(d) उपर्युक्त में से कोई नहींं
8. यदि एक देश के निर्यात का मूल्य उस देश के आयात के मूल्य से अधिक हो तो व्यापार शेष ......................... होगा।
(a) *अनुकूल
(b) प्रतिकूल
(c) उपरोक्त दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
9. किसी देश के अन्दर होने वाले क्षेत्रीय व्यापार को ................... व्यापार कहते है। ये व्यापार दो राज्यों, क्षेत्रों या प्रदेशों के बीच हो सकता है।
(a) स्वतन्त्र
(b) अन्तर्राष्ट्रीय
(c) *अन्तर्क्षेत्रीय
(d) विदेशी
10. जब दो देशों के बीच व्यापार बिना किसी रोक-टोक के होता है अर्थात आयात व निर्यात पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता है तो उसे कौन सा व्यापार कहते है ?
(a) *स्वतन्त्र व्यापार
(b) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
(c) अन्तर्क्षेत्रीय व्यापार
(d) विदेशी व्यापार
11. किसी वस्तु की एक देश की सीमा से दूसरे देश की सीमा पार करते समय उस पर जो शुल्क लगाया जाता है उसे क्या कहते है ?
(a) बिक्री कर
(b) निर्यात कर
(c) आयात कर
(d) *प्रशुल्क
12. जब कोई देश अपनी मुद्रा के बाहारी मूल्य को कम कर देता है तो उसे क्या कहते है ?
(a) राशिपातन
(b) अधिमूल्यन
(c) *अवमूल्यन
(d) उपर्युक्त में से कोई नहींं
13. अवमूल्यन के उद्देश्य क्या है।
(a) निर्यातों में वृद्वि करना
(b) आयात में कमि करना
(c) *उपरोक्त दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
14. जब कोई देश या एकाधिकारी अपने बनी वस्तुओं को धरेलू बाजार की अपेक्षा विदेशों बाजार में सस्ते मूल्य पर बेचता है उसे क्या कहा जाता है ?
(a) *राशिपातन
(b) अधिमूल्यन
(c) अवमूल्यन
(d) उपर्युक्त में से कोई नहींं
15. भुगतान असन्तुलन के क्या कारण है ?
(a) अधिक जनसंख्या
(b) व्यापार उतार चढ़ाव
(c) मांग में कमी
(d) *उपर्युक्त सभी
16. वह बाज़ार जहां पर विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय किया जाता है उस बज़ार को क्या कहते है ?
र्शयर बाजार
(a) *धरेलू विनिमय बाजार
(b) विदेशी मुद्रा बाजार
(c) दुकान
17. विदेशी विनिमय बाज़ार में दैनिक लेन-देन के कारोबार को कहते है ?
(a) *हाजिर बाजार
(b) देशीय बाजार
(c) विदेशी बाजार
(d) वयदा बाजार
18. विदेशी विनिमय बाज़ार में भविष्य के लेन-देन वाले कारोबार को कहते है ?
(a) हाजिर बाजार
(b) देशीय बाजार
(c) विदेशी बाजार
(d) *वयदा बाजार
19. ................... वित्तीय लेन-देनों का लेखा होता है। इसमें परिसम्पत्तियों के सभी अन्तर्राष्ट्रीय लेन-देन एवं विक्रय का लेखा होता है।
(a) *चालू खाता
(b) पूँजी खाता
(c) विदेशी खाता
(d) उपर्युक्त सभी
20. भुगतान सन्तुलन के विपरीत होने की दशा में निम्न में से कौन-सा कथन स्थिति सुधारने में सहायक होगा।
(a) अधिमूल्यन
(b) विमुद्रकरण
(c) *अवमूल्यन
(d) उपर्युक्त सभी
21. उत्पादन क्षमता में वृद्वि लाने के लिए जो व्यय किया जाता है, वह कहलाता है।
(a) *निवेश व्यय
(b) रक्षा व्यय
(c) अवव्यय
(d) उपर्युक्त सभी
22. वह दर जिस पर एक देश की मुद्रा को दूसरे देश की मुद्रा में विनिमय किया जाता है, कहलाती है।
(a) बैंक दर
(b) ब्याज दर
(c) आयात-निर्यात दर
(d) *विदेशी विनिमय दर
23. यदि सरकार हस्तक्षेप न करे ता विनिमय दर का निर्धारण होता है।
(a) व्यापारियों द्वारा
(b) निर्यातकों द्वारा
(c) विदेशी शक्तियों द्वारा
(d) *माँग व पूर्ति की शक्तियों द्वारा
24. एक देश का दूसरे देश से दृश्य मदों क निर्यात-आयात को कहते है।
(a) भुगतान शेष
(b) धाटा शेष
(c) *व्यापार शेष
(d) उपर्युक्त सभी
25. व्यापार सन्तुलन धाटे का होगा यदि
(a) *निर्यात < आयात
(b) आयात > निर्यात
(c) आयात = निर्यात
(d) इनमें से काई नहीं।
26. विदेशी विनिमय दर का निर्धारण होता है-
(a) सरकार द्वारा
(b) मोल-जोल द्वारा
(c) विश्व बैंक द्वारा
(d) *माँग एवं पूर्ति द्वारा
27. विदेशी विनिमय की मांग के प्रमुख स्रोत हैं –
(a) विदेश में निवेश
(b) विदेशी वस्तुओं का आयात
(c) पर्यटन
(d) *इनमें से सभी
28. यूरोपियन मुद्रा संघ का गठन किया गया –
(a) *जनवरी 1999 में
(b) फरवरी 1999 में
(c) मार्च 1999 में
(d) अप्रैल 1999 में
29. व्यापार शेष - ?
(a) दृश्य मदों का निर्यात -दृश्य मदों का आयात
(b) दृश्य एवं अदृश्य मदों का निर्यात - दृश्य एवं अदृश्य मदों का आयात
(c) *दृश्य मदों का आयात-दृश्य मदों का निर्यात
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
30. व्यापार क्षेत्र में कौन सी मदें सम्मिलित होती हैं
(a) *दृश्य मदें
(b) अदृश्य मदें
(c) पूंजी अन्तरण
(d) उपयुक्त सभी
31. विनिमय दर का अर्थ है
(a) विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय करना
(b) विदेशी मुद्रा में देसी मुद्रा का विनिमय दर
(c) विदेशी मुद्रा की विदेशी मुद्रा में विनिमय दर
(d) *उपर्युक्त सभी
32. अपरिवर्तनीय पत्र मुद्रा की दिशा में विनिमय दर निर्धारण का कौन सा सिद्धांत अपनाया जाता है ?
(a) टंक समता सिद्धांत
(b) भुगतान संतुलन सिद्धांत
(c) *क्रय शक्ति समता सिद्धांत
(d) इनमें से कोई नहीं
🔰निश्चित उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 क्रय शक्ति समता सिद्धांत के प्रतिपादक कौन थे ?
उत्तर - इर्विंग फिशर
प्रश्न 2 विदेशी विनिमय बाजार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर - विदेशी विनिमय बाजार से अभिप्राय विदेशी भुगतानों को निपटाने के लिए मुद्रा के लेनदेन से है
प्रश्न 3 चालू खाते में घाटे से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर - चालू खाते में घाटे का अर्थ है दूसरे देशों में विक्रय की प्राप्तियों का व्यय से कम होना।
प्रश्न 1 क्रय शक्ति समता सिद्धांत के प्रतिपादक कौन थे ?
उत्तर - इर्विंग फिशर
प्रश्न 2 विदेशी विनिमय बाजार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर - विदेशी विनिमय बाजार से अभिप्राय विदेशी भुगतानों को निपटाने के लिए मुद्रा के लेनदेन से है
प्रश्न 3 चालू खाते में घाटे से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर - चालू खाते में घाटे का अर्थ है दूसरे देशों में विक्रय की प्राप्तियों का व्यय से कम होना।
🔰विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 - भुगतान संतुलन से आप क्या समझते हो ? अथवा भुगतान संतुलन की परिभाषा दीजिए ?
उत्तर - एक देश का भुगतान संतुलन उसके निवासियों और बाकी विश्व के बीच किए गए समस्त लेन-देनों का विवरण होता है।
प्रश्न 2 - व्यापार संतुलन और भुगतान संतुलन को परिभाषित कीजिए ?
उत्तर - व्यापार संतुलन जब वस्तुओं के निर्यात और आयात का मूल्य बराबर होता है तो यह व्यापार संतुलन कहलाता है। भुगतान संतुलन एक देश का भुगतान संतुलन उसके निवासियों और बाकी विश्व के बीच किए गए समस्त लेन-दनों का विवरण होता है यह सामान्यतः 1 वर्ष के लिए लिखित विवरण होता है।
प्रश्न 3 - व्यापार संतुलन और भुगतान संतुलन में क्या अंतर है ?
उत्तर - व्यापार संतुलन ज्ञात करने के लिए केवल आयतों तथा निर्यातों को ही लिया जाता है जबकि भुगतान संतुलन के अंतर्गत आयतों तथा निर्याता के अतिरिक्त सभी प्रकार के पूंजीगत लेन-देनों को शामिल किया जाता है।
व्यापार संतुलन की तीन स्थितियां हो सकती हैं पक्ष-विपक्ष तथा संतुलन की दशा में, परंतु भुगतान संतुलन सदैव संतुलित रहता है।
भुगतान संतुलन का विचार, व्यापार संतुलन की तुलना में अधिक व्यापक है क्योंकि व्यापार संतुलन इसका एक अंश मात्र होता है ।
व्यापार संतुलन का अनुकूल अथवा प्रतिकूल होना इतना महत्वपूर्ण नहीं जितना भुगतान संतुलन का साम्य महत्वपूर्ण होता है क्योंकि भुगतान संतुलन का साम्य गंभीर आर्थिक स्थिति की ओर संकेत करता है।
प्रश्न 4 - विनिमय दर का क्या अर्थ है ? स्थिर विनिमय दर को स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर - सरल शब्दों में विनिमय दर वह दर है जिस पर किसी देश की मुद्रा की एक इकाई दूसरे देश की मुद्रा में बदली जाती है । स्थिर विनिमय दर जब एक देश अपनी मुद्रा का मूल्य दूसरे देश की मुद्रा में निश्चित कर देता है और इस निर्धारित मूल्य को स्थिर रखा जाता है तब वहां विनिमय दर निश्चित अथवा स्थिर विनिमय दर कहलाती है। जैसे 1 डॉलर का मूल्य रुपए के 81 रूपये के बराबर है।
प्रश्न 5 - सरकारी बजट क्या है ? इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ? अथवा बजट का क्या अर्थ है ? संतुलित एवं घाटे का बजट में क्या अंतर है समझाइए ?
उत्तर - बजट का अर्थ व परिभाषा
प्रोफेसर रेन स्टोर्न के अनुसार – “बजट एक ऐसा प्रपत्र है जिसमें सार्वजनिक आय-व्यय की स्वीकृत व्यवस्था होती है।“
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में सरकारी बजट का महत्वपूर्ण स्थान होता है। बजट के द्वारा ही सरकार देश में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर ढंग से उपयोग करके देश की आर्थिक क्रियाओं को जैसे राजगार, उत्पाद आदि को प्रभावित करती है।
बजट की विशेषताएं
घाटे का बजट जब सरकार की कुल आय सरकार के कुल व्यय से कम होती है तो उसे घाटे का बजट कहते हैं।
प्रश्न 6 - भुगतान संतुलन में असमानता के तीन कारणों का उल्लेख कीजिए ?
उत्तर - भुगतान संतुलन में असमानता के तीन कारण इस प्रकार है
1. निर्यातों में वृद्धि न होना - भुगतान संतुलन में असमानता या प्रतिकूल होने का मुख्य कारण निर्यात में वृद्धि न कर पाना है जिससे भुगतान संतुलन प्रतिकूल बना रहता है और देश में विदेशी मुद्रा की कमी हो जाती है।
2. आयातों की अधिकता - जब किसी देश में किसी वस्तु का उत्पादन कम होता है तो उस वस्तु की पूर्ति करने के लिए विदेशों से उस वस्तु को मंगाना पड़ता है जिसमें विदेशी मुद्रा खर्च होती है जिसके कारण भुगतान संतुलन में असमानता आ जाती है।
3. वस्तुओं के निर्माण में लागतो का अधिक होना - वस्तुओं के निर्माण में जितनी अधिक लागत आएगी वह वस्तु इतनी महंगी हो जाएगी जिसके कारण उस वस्तु की बिक्री पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इससे भुगतान संतुलन में असमानता उत्पन्न हो जाती है
प्रश्न - व्यापार शेष और भुगतान शेष को परिभाषित कीजिए ?
उत्तर - एक देश के कुल निर्यात तथा कुल आयात के मूल्यों का अंतर व्यापार शेष कहलाता है। इसमें केवल दृश्य मदों के निर्यात एवं आयात का मूल्य शामिल होता है। जब वस्तुओं के निर्यात और आयात का मूल्य बराबर होता है तो वह संतुलित व्यापार शेष कहलाता है।
इसका सूत्र है
संतुलित व्यापार शेष = निर्यात मूल्य =आयात मूल्य
इसके विपरीत भुगतान शेष का चालू खाता अल्पकालीन वास्तविक सौदों को दर्शाता है। व्यापार शेष में अदृश्य मदें सेवाएं तथा शुद्ध अंतरण जोड़ देने से चालू खाता शेष प्राप्त होता है।
इसका सूत्र इस प्रकार है
चालू खाता शेष = व्यापार शेष + अदृश्य व्यापार + एकपक्षीय अंतरण शेष
प्रश्न 7. भुगतान संतुलन के खाते में दृश्य तथा अदृश्य मदों से क्या अभिप्राय है ? अथवा भुगतान शेष में दृश्य व्यापार और अदृश्य व्यापार के बीच भेद कीजिए तथा प्रत्येक का एक उदाहरण भी दीजिए ?
उत्तर - दृश्य मदों सभी प्रकार की वस्तुएं जो निर्यात और आयात की जाती हैं दृश्य मदों कहलाती हैं। यह मदों दृश्य होती है क्योंकि यह किसी पदार्थ से बनी होती हैं। इन मदों का लेखा बंदरगाहों पर उपलब्ध होता है। दृश्य मदों के उदाहरण इस प्रकार हैं पेट्रोलियम, चाय, जूट, स्वर्ण-गहने आदि।
अदृश्य मदों - सभी प्रकार की सेवाएं जो विदेशों को दी जाती हैं या विदेशों से प्राप्त की जाती हैं अदृश्य मदों कहलाती हैं । यह मदों अदृश्य होती हैं क्योंकि यह किसी भी पदार्थ से नहीं बनी होती हैं । इन मदों का लेखा.जोखा बंदरगाहों पर उपलब्ध नहीं होता है। अदृश्य मदों के उदाहरण इस प्रकार हैं बीमा और बैंकिंग सेवाएं, यातायात सेवाएं, पर्यटन आदि
प्रश्न 8. भुगतान संतुलन की परिभाषा दीजिए ? इसकी मुख्य मदें समझाइए ?
भुगतान संतुलन किसी देश का अन्य देशों से संपूर्ण लेनदेन का विस्तृत विवरण होता है। विभिन्न राष्ट्रों के मध्य जो भुगतान होते हैं, वे केवल - आयात निर्यात तक ही सीमित नहीं होते बल्कि उनमें अनेक प्रकार की सेवाएं जैसे बैंकिंग, बीमा यातायात, विदेशों में शिक्षा आदि के आयात-निर्यात, पर्यटन, ब्याज, सैनिक सहायता, विदेशी दान, जुर्माने मुआवजे तथा अन्य हस्तांतरण से संबंधित आय व भुगतान राशियों को भी इसमें शामिल किया जाता है।
प्रोफेसर बेन्हम के अनुसार, एक देश का भुगतान संतुलन एक निश्चित काल के भीतर उसके शेष विश्व के साथ मौद्रिक सौदों का लेखा होता है।
भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें
किसी देश का भुगतान संतुलन उसके संपूर्ण विदेशी लेनदेन का एक विवरण होता है इसके बायी और सभी लेनदारियां तथा दायीं ओर सभी देनदारितयां प्रदर्शित की जाती हैं।
भुगतान सन्तुलन का खाता दो भागों में बांटा जा सकता है चालू खाता तथा पूंजी खाता। भुगतान संतुलन के स्वरूप का अनुमान निम्नलिखित तालिका से लगाया जा सकता है
उत्तर - एक देश का भुगतान संतुलन उसके निवासियों और बाकी विश्व के बीच किए गए समस्त लेन-देनों का विवरण होता है।
प्रश्न 2 - व्यापार संतुलन और भुगतान संतुलन को परिभाषित कीजिए ?
उत्तर - व्यापार संतुलन जब वस्तुओं के निर्यात और आयात का मूल्य बराबर होता है तो यह व्यापार संतुलन कहलाता है। भुगतान संतुलन एक देश का भुगतान संतुलन उसके निवासियों और बाकी विश्व के बीच किए गए समस्त लेन-दनों का विवरण होता है यह सामान्यतः 1 वर्ष के लिए लिखित विवरण होता है।
प्रश्न 3 - व्यापार संतुलन और भुगतान संतुलन में क्या अंतर है ?
उत्तर - व्यापार संतुलन ज्ञात करने के लिए केवल आयतों तथा निर्यातों को ही लिया जाता है जबकि भुगतान संतुलन के अंतर्गत आयतों तथा निर्याता के अतिरिक्त सभी प्रकार के पूंजीगत लेन-देनों को शामिल किया जाता है।
व्यापार संतुलन की तीन स्थितियां हो सकती हैं पक्ष-विपक्ष तथा संतुलन की दशा में, परंतु भुगतान संतुलन सदैव संतुलित रहता है।
भुगतान संतुलन का विचार, व्यापार संतुलन की तुलना में अधिक व्यापक है क्योंकि व्यापार संतुलन इसका एक अंश मात्र होता है ।
व्यापार संतुलन का अनुकूल अथवा प्रतिकूल होना इतना महत्वपूर्ण नहीं जितना भुगतान संतुलन का साम्य महत्वपूर्ण होता है क्योंकि भुगतान संतुलन का साम्य गंभीर आर्थिक स्थिति की ओर संकेत करता है।
प्रश्न 4 - विनिमय दर का क्या अर्थ है ? स्थिर विनिमय दर को स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर - सरल शब्दों में विनिमय दर वह दर है जिस पर किसी देश की मुद्रा की एक इकाई दूसरे देश की मुद्रा में बदली जाती है । स्थिर विनिमय दर जब एक देश अपनी मुद्रा का मूल्य दूसरे देश की मुद्रा में निश्चित कर देता है और इस निर्धारित मूल्य को स्थिर रखा जाता है तब वहां विनिमय दर निश्चित अथवा स्थिर विनिमय दर कहलाती है। जैसे 1 डॉलर का मूल्य रुपए के 81 रूपये के बराबर है।
प्रश्न 5 - सरकारी बजट क्या है ? इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ? अथवा बजट का क्या अर्थ है ? संतुलित एवं घाटे का बजट में क्या अंतर है समझाइए ?
उत्तर - बजट का अर्थ व परिभाषा
प्रोफेसर रेन स्टोर्न के अनुसार – “बजट एक ऐसा प्रपत्र है जिसमें सार्वजनिक आय-व्यय की स्वीकृत व्यवस्था होती है।“
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में सरकारी बजट का महत्वपूर्ण स्थान होता है। बजट के द्वारा ही सरकार देश में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर ढंग से उपयोग करके देश की आर्थिक क्रियाओं को जैसे राजगार, उत्पाद आदि को प्रभावित करती है।
बजट की विशेषताएं
- बजट का एक विवरण होता है।
- बजट का आधार नगद राशि होता है।
- इसमें अनुमानित आय और व्यय के आंकड़े दिए हुए होते हैं ।
- इसकी एक निश्चित अवधि 1 वर्ष के लिए इसको बनाया जाता है।
- इसमें पूंजीगत मदें व आयगत मदें होती हैं।
घाटे का बजट जब सरकार की कुल आय सरकार के कुल व्यय से कम होती है तो उसे घाटे का बजट कहते हैं।
प्रश्न 6 - भुगतान संतुलन में असमानता के तीन कारणों का उल्लेख कीजिए ?
उत्तर - भुगतान संतुलन में असमानता के तीन कारण इस प्रकार है
1. निर्यातों में वृद्धि न होना - भुगतान संतुलन में असमानता या प्रतिकूल होने का मुख्य कारण निर्यात में वृद्धि न कर पाना है जिससे भुगतान संतुलन प्रतिकूल बना रहता है और देश में विदेशी मुद्रा की कमी हो जाती है।
2. आयातों की अधिकता - जब किसी देश में किसी वस्तु का उत्पादन कम होता है तो उस वस्तु की पूर्ति करने के लिए विदेशों से उस वस्तु को मंगाना पड़ता है जिसमें विदेशी मुद्रा खर्च होती है जिसके कारण भुगतान संतुलन में असमानता आ जाती है।
3. वस्तुओं के निर्माण में लागतो का अधिक होना - वस्तुओं के निर्माण में जितनी अधिक लागत आएगी वह वस्तु इतनी महंगी हो जाएगी जिसके कारण उस वस्तु की बिक्री पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इससे भुगतान संतुलन में असमानता उत्पन्न हो जाती है
प्रश्न - व्यापार शेष और भुगतान शेष को परिभाषित कीजिए ?
उत्तर - एक देश के कुल निर्यात तथा कुल आयात के मूल्यों का अंतर व्यापार शेष कहलाता है। इसमें केवल दृश्य मदों के निर्यात एवं आयात का मूल्य शामिल होता है। जब वस्तुओं के निर्यात और आयात का मूल्य बराबर होता है तो वह संतुलित व्यापार शेष कहलाता है।
इसका सूत्र है
संतुलित व्यापार शेष = निर्यात मूल्य =आयात मूल्य
इसके विपरीत भुगतान शेष का चालू खाता अल्पकालीन वास्तविक सौदों को दर्शाता है। व्यापार शेष में अदृश्य मदें सेवाएं तथा शुद्ध अंतरण जोड़ देने से चालू खाता शेष प्राप्त होता है।
इसका सूत्र इस प्रकार है
चालू खाता शेष = व्यापार शेष + अदृश्य व्यापार + एकपक्षीय अंतरण शेष
प्रश्न 7. भुगतान संतुलन के खाते में दृश्य तथा अदृश्य मदों से क्या अभिप्राय है ? अथवा भुगतान शेष में दृश्य व्यापार और अदृश्य व्यापार के बीच भेद कीजिए तथा प्रत्येक का एक उदाहरण भी दीजिए ?
उत्तर - दृश्य मदों सभी प्रकार की वस्तुएं जो निर्यात और आयात की जाती हैं दृश्य मदों कहलाती हैं। यह मदों दृश्य होती है क्योंकि यह किसी पदार्थ से बनी होती हैं। इन मदों का लेखा बंदरगाहों पर उपलब्ध होता है। दृश्य मदों के उदाहरण इस प्रकार हैं पेट्रोलियम, चाय, जूट, स्वर्ण-गहने आदि।
अदृश्य मदों - सभी प्रकार की सेवाएं जो विदेशों को दी जाती हैं या विदेशों से प्राप्त की जाती हैं अदृश्य मदों कहलाती हैं । यह मदों अदृश्य होती हैं क्योंकि यह किसी भी पदार्थ से नहीं बनी होती हैं । इन मदों का लेखा.जोखा बंदरगाहों पर उपलब्ध नहीं होता है। अदृश्य मदों के उदाहरण इस प्रकार हैं बीमा और बैंकिंग सेवाएं, यातायात सेवाएं, पर्यटन आदि
प्रश्न 8. भुगतान संतुलन की परिभाषा दीजिए ? इसकी मुख्य मदें समझाइए ?
भुगतान संतुलन किसी देश का अन्य देशों से संपूर्ण लेनदेन का विस्तृत विवरण होता है। विभिन्न राष्ट्रों के मध्य जो भुगतान होते हैं, वे केवल - आयात निर्यात तक ही सीमित नहीं होते बल्कि उनमें अनेक प्रकार की सेवाएं जैसे बैंकिंग, बीमा यातायात, विदेशों में शिक्षा आदि के आयात-निर्यात, पर्यटन, ब्याज, सैनिक सहायता, विदेशी दान, जुर्माने मुआवजे तथा अन्य हस्तांतरण से संबंधित आय व भुगतान राशियों को भी इसमें शामिल किया जाता है।
प्रोफेसर बेन्हम के अनुसार, एक देश का भुगतान संतुलन एक निश्चित काल के भीतर उसके शेष विश्व के साथ मौद्रिक सौदों का लेखा होता है।
भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें
किसी देश का भुगतान संतुलन उसके संपूर्ण विदेशी लेनदेन का एक विवरण होता है इसके बायी और सभी लेनदारियां तथा दायीं ओर सभी देनदारितयां प्रदर्शित की जाती हैं।
भुगतान सन्तुलन का खाता दो भागों में बांटा जा सकता है चालू खाता तथा पूंजी खाता। भुगतान संतुलन के स्वरूप का अनुमान निम्नलिखित तालिका से लगाया जा सकता है
इस प्रकार हम भुगतान सन्तुलन के खाते में मुख्य रूप से अग्रलिखित मदों का समावेश करते है।
- वस्तुओं का आयात निर्यात - इसमें वस्तुओं के साथ-साथ सोना, चांदी अन्य प्रकार के उपभोक्ता वस्तुओं का आयात निर्यात किया जाता है।
- सेवाएं - वस्तुओं के साथ-साथ विभिन्न देशों की सेवाओं का भी आयात-निर्यात किया जाता है। यह सेवाएं अदृश्य रूप में भी होती हैं। यह तीन प्रकार की होती हैं –
- व्यापारिक कंपनियों द्वारा प्रदत्त सेवाएं इसमें बैंक, बीमा कंपनियां, जहाजी कंपनियां आदि के द्वारा प्रदान की गई सेवा में आती हैं। विशेषज्ञों की सेवाएं - इस श्रेणी में मुख्यतः प्रोफेसरों, डॉक्टर इंजीनियर, तकनीकी विशेषज्ञों आदि की सेवाएं आती हैं। इन विशेषज्ञों को उनकी सेवाओं के बदले वेतन दिया जाता है। यात्रियों की सेवाएं - आजकल पर्यटन काफी लोकप्रिय हो रहा है अतः बड़ी संख्या में पर्यटकों द्वारा विदेशों में जाकर जो धन खर्च किया जाता है उसे भी भुगतान संतुलन में शामिल किया जाता है।
- ऋण, ब्याज व लाभ का लेनदेन - कुछ देश अन्य देशों से ऋण, ब्याज आदि प्राप्त करते है। बाद में इस ऋण का मूलधन, ब्याज आदि को उस देश को लौटाया जाता है। इन मदों को भुगतान संतुलन में शमिल किया जाता है।
- सरकारों का वर्तमान समय में विभिन्न देशों के साथ मधुर संबंध बनाने के लिए दूतावासों की व्यवस्था करती है जिसके कारण उनका व्यय होता है। इन मदों को भुगतान संतुलन में शमिल किया जाता है।
- जनसंख्या का आवास-प्रवास - जो व्यक्ति एक देश छोड़कर दूसरे देशों में जाकर बसते हैं। तो वह प्राय अपने साथ कुछ जमा राशि ले जाते हैं यह राशियां भी भुगतान संतुलन पर प्रभाव डालती है
प्रश्न 9. विदेशी विनिमय दर के निर्धारण की प्रक्रिया को विस्तार से समझाइये।
उत्तर: विनिमय दर वह दर है जिस पर एक देश की एक मुद्रा इकाई का दूसरे देश की मुद्रा में विनिमय किया जाता है। दूसरे शब्दों में, विदेशी विनिमय दर यह बताती है कि किसी देश की मुद्रा की एक इकाई के बदले में दूसरे देश की मुद्रा की कितनी इकाइयाँ मिल सकती हैं।
क्राउथर के अनुसार-"विनिमय दर एक देश की इकाई मुद्रा के बदले में दूसरे देश की मुद्रा मिलने वाली इकाइयों की माप है।"
अब प्रश्न यह उठता है कि विनिमय दर का निर्धारण कैसे होता है? विनिमय दर के निर्धारण के लिए अर्थशास्त्रियों ने कई सिद्धांत दिए हैं। जिस प्रकार से वस्तु की कीमत बाजार में माँग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है, उसी प्रकार विनिमय दर भी विदेशी विनिमय बाजार में माँग एवं पूर्ति के द्वारा ही निर्धारित होती है। दूसरे शब्दों में, एक विदेशी विनिमय बाजार में विदेशी विनिमय की संतुलन दर विदेशी विनिमय की मांग और पूर्ति के बीच समानता द्वारा निर्धारित होती है।
विनिमय दर का निर्धारण – अर्थशास्त्रियों द्वारा विनिमय दर के निर्धारण के लिए माँग पूर्ति सिद्धान्त, क्रय शक्ति समता सिद्धान्त, भुगतान शेष सिद्धान्त और टकसाल दर समता सिद्धान्त आदि प्रतिपादित किये गए है।
माँग पूर्ति सिद्धान्त – जिस प्रकार बाजारों में कीमतों का निर्धारण ये उनकी माँग और पूर्ति के द्वारा होता है, उसी प्रकार विदेशी विनिमय बाजार में भी विनिमय दर का निर्धारण विदेशी विनिमय की माँग और पूर्ति द्वारा निर्धारित होता है।
उत्तर: विनिमय दर वह दर है जिस पर एक देश की एक मुद्रा इकाई का दूसरे देश की मुद्रा में विनिमय किया जाता है। दूसरे शब्दों में, विदेशी विनिमय दर यह बताती है कि किसी देश की मुद्रा की एक इकाई के बदले में दूसरे देश की मुद्रा की कितनी इकाइयाँ मिल सकती हैं।
क्राउथर के अनुसार-"विनिमय दर एक देश की इकाई मुद्रा के बदले में दूसरे देश की मुद्रा मिलने वाली इकाइयों की माप है।"
अब प्रश्न यह उठता है कि विनिमय दर का निर्धारण कैसे होता है? विनिमय दर के निर्धारण के लिए अर्थशास्त्रियों ने कई सिद्धांत दिए हैं। जिस प्रकार से वस्तु की कीमत बाजार में माँग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है, उसी प्रकार विनिमय दर भी विदेशी विनिमय बाजार में माँग एवं पूर्ति के द्वारा ही निर्धारित होती है। दूसरे शब्दों में, एक विदेशी विनिमय बाजार में विदेशी विनिमय की संतुलन दर विदेशी विनिमय की मांग और पूर्ति के बीच समानता द्वारा निर्धारित होती है।
विनिमय दर का निर्धारण – अर्थशास्त्रियों द्वारा विनिमय दर के निर्धारण के लिए माँग पूर्ति सिद्धान्त, क्रय शक्ति समता सिद्धान्त, भुगतान शेष सिद्धान्त और टकसाल दर समता सिद्धान्त आदि प्रतिपादित किये गए है।
माँग पूर्ति सिद्धान्त – जिस प्रकार बाजारों में कीमतों का निर्धारण ये उनकी माँग और पूर्ति के द्वारा होता है, उसी प्रकार विदेशी विनिमय बाजार में भी विनिमय दर का निर्धारण विदेशी विनिमय की माँग और पूर्ति द्वारा निर्धारित होता है।
चित्र में सन्तुलन E बिन्दु पर है जहाँ DD विदेशी विनिमय की माँग SS विदेशी विनिमय की पूर्ति के बराबर है। विदेशी विनिमय की माँग और पूर्ति OQ होती है। विनिमय दर OR है। यदि. विनिमय की दर OR1 होती है तो विदेशी विनिमय की पूर्ति माँग से अधिक होगी। परिणामस्वरूप विनिमय दर विदेशी विनिमय मात्रा घटेगी और E पर साम्य होंगे। इसके विपरीत OR1 पर विदेशी विनिमय की माँग विदेशी विनिमय की पूर्ति से अधिक है जिससे विनिमय दर बढ़कर पुनः सन्तुलन E पर स्थापित होगा। भुगतान सन्तुलन इन लोचदार विनिमय दरों के कारण सन्तुलन की स्थिति में रहता है। इस प्रकार विनिमय दरों में परिवर्तन से विदेशी विनिमय की माँग पूर्ति में भी परिवर्तन आता है। इसके अन्य कई आर्थिक कारण भी उत्तरदायी हो सकते हैं। जैसे – आयात और निर्यात की मात्रा, देश की पूँजी का प्रवाह, बैंक दर, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में अनिश्चितता और देश का राजनैतिक वातावरण।
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प्रश्न 10. विदेशी विनिमय दर क्या है? विनिमय दर को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए। अथवा
विनिमय दरों में परिवर्तन के कारणों की विवेचना कीजिए ?
उत्तर- विदेशी विनिमय दर- विदेशी विनिमय दर दो देशों के बीच एक देश की मुद्रा की वह मात्रा है, जिसके द्वारा दूसरे देश की मुद्रा की एक इकाई को क्रय किया जा सकता है। विनिमय दर को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं-
1. कीमतों में परिवर्तन- दो देशों में किसी एक देश में सापेक्षिक दृष्टि से कीमत के परिवर्तन के परिणामस्वरूप विनिमय दर परिवर्तित हो जाती है। उदाहरणार्थ, माना भारत में कीमत स्तर बढ़ जाता है, जबकि इंग्लैण्ड में कीमत स्तर में कोई परिवर्तन नहीं होता है। भारतवासियों को इंग्लैण्ड की वस्तुएँ सस्ती पड़ने लगेंगी और वह वहाँ से बड़ी मात्रा में आयात करने लगेंगे। अतः पौण्ड की माँग बढ़ेगी। पौण्ड का मूल्य रुपयों में बढ़ जायेगा।
2. आयात एवं निर्यात में परिवर्तन- आयात एवं निर्यात में परिवर्तन के परिणामस्वरूप विदेशी विनिमय की माँग एवं पूर्ति में परिवर्तन हो जाता है। यदि देश के निर्यात उसके आयातों से अधिक हैं तो देश की मुद्रा की माँग बढ़ेगी और विदेशी विनिमय दर देश के पक्ष में परिवर्तित होगी। इसके विपरीत, यदि देश के आयात, निर्यात से अधिक हैं तो विदेशी मुद्रा की माँग बढ़ेगी तथा विनिमय दर देश के विपक्ष में हो जायेगी।
3. पूँजी का आवागमन- जिस देश में विदेशों से पूँजी आती है उस देश की मुद्रा की माँग बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप विनिमय दर उस देश के पक्ष में हो जाती है। इसके विपरीत जब पूँजी देश से विदेश को जाती है तो विदेशी विनिमय की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर विपक्ष में हो जाती है।
4. बैंकिंग सम्बन्धी प्रभाव- बैंक अपनी क्रियाओं के द्वारा भी विनिमय दर को प्रभावित किया करते हैं। यदि व्यापारिक बैंक विदेशी बैंक पर बड़ी मात्रा में बैंकर्स ड्राफ्ट तथा अन्य प्रकार के साख पत्र जारी करता है तो इससे विदेशी विनिमय की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर देश के विपक्ष में हो जाती है। इसके विपरीत जब विदेशी बैंक देश के बैंकों के ऊपर साख पत्र जारी करते हैं तो देशी मुद्रा की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर देश के पक्ष में हो जाती है।
विनिमय दरों में परिवर्तन के कारणों की विवेचना कीजिए ?
उत्तर- विदेशी विनिमय दर- विदेशी विनिमय दर दो देशों के बीच एक देश की मुद्रा की वह मात्रा है, जिसके द्वारा दूसरे देश की मुद्रा की एक इकाई को क्रय किया जा सकता है। विनिमय दर को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं-
1. कीमतों में परिवर्तन- दो देशों में किसी एक देश में सापेक्षिक दृष्टि से कीमत के परिवर्तन के परिणामस्वरूप विनिमय दर परिवर्तित हो जाती है। उदाहरणार्थ, माना भारत में कीमत स्तर बढ़ जाता है, जबकि इंग्लैण्ड में कीमत स्तर में कोई परिवर्तन नहीं होता है। भारतवासियों को इंग्लैण्ड की वस्तुएँ सस्ती पड़ने लगेंगी और वह वहाँ से बड़ी मात्रा में आयात करने लगेंगे। अतः पौण्ड की माँग बढ़ेगी। पौण्ड का मूल्य रुपयों में बढ़ जायेगा।
2. आयात एवं निर्यात में परिवर्तन- आयात एवं निर्यात में परिवर्तन के परिणामस्वरूप विदेशी विनिमय की माँग एवं पूर्ति में परिवर्तन हो जाता है। यदि देश के निर्यात उसके आयातों से अधिक हैं तो देश की मुद्रा की माँग बढ़ेगी और विदेशी विनिमय दर देश के पक्ष में परिवर्तित होगी। इसके विपरीत, यदि देश के आयात, निर्यात से अधिक हैं तो विदेशी मुद्रा की माँग बढ़ेगी तथा विनिमय दर देश के विपक्ष में हो जायेगी।
3. पूँजी का आवागमन- जिस देश में विदेशों से पूँजी आती है उस देश की मुद्रा की माँग बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप विनिमय दर उस देश के पक्ष में हो जाती है। इसके विपरीत जब पूँजी देश से विदेश को जाती है तो विदेशी विनिमय की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर विपक्ष में हो जाती है।
4. बैंकिंग सम्बन्धी प्रभाव- बैंक अपनी क्रियाओं के द्वारा भी विनिमय दर को प्रभावित किया करते हैं। यदि व्यापारिक बैंक विदेशी बैंक पर बड़ी मात्रा में बैंकर्स ड्राफ्ट तथा अन्य प्रकार के साख पत्र जारी करता है तो इससे विदेशी विनिमय की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर देश के विपक्ष में हो जाती है। इसके विपरीत जब विदेशी बैंक देश के बैंकों के ऊपर साख पत्र जारी करते हैं तो देशी मुद्रा की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर देश के पक्ष में हो जाती है।
ASSESSMENT (рдореВрд▓реНрдпрд╛рдВрдХрди)
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सभी प्रश्न करना अनिवार्य है। प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के होगें।