5. सरकारः कार्य और विषय-क्षेत्र🔻
🔰बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1."प्रत्यक्ष कर एवं परोक्ष कर एक-दूसरे के पूरक है।" यह विचार किसका है।
(a) मार्शल का
(b) डाल्टन का
(c) डी मार्को का
(d) बैस्टेबल का
2. _________ वे कर है जिनका भुगतान करदाता प्रत्यक्ष रूप में कर-अधिकारी को करता है, उसे क्या कहते है ?
(a) प्रत्यक्ष कर
(b) अप्रत्यक्ष कर
(c) उपरोक्त दोनों
(d) इनमें से काई नहीं
3.जब कर भुगतान में करभार तथा कर-दायित्व अलग-अलग व्यक्तियों पर पड़ता है, तो उसे ______ कर कहते है।
(a) प्रत्यक्ष कर
(b) अप्रत्यक्ष कर
(c) उपरोक्त दोनों
(d) इनमें से काई नहीं
4. ________ कर वह कर है जो आय की वृद्धि के साथ बढ़ती है।
(a) आनुपातिक कर
(b) प्रगतिशील कर
5. निम्न में से कौन अप्रत्यक्ष कर है ।
(a) उत्पाद शुल्क
(b) बिक्री कर
(c) सीमा शुल्क
(d) उपर्युक्त सभी
6. भारत में GST को कब लागू किया गया ?
(a) 1 जुलाई 2017
(b) 19 अगस्त 2018
(c) 1 जुलाई 2019
(d) 15 अगस्त 2021
7. इनमें से कौन प्रत्यक्ष कर का उदाहरण नहीं है ?
(a) आय कर
(b) मृत्यु कर
(c) आयात कर
(d) निगम कर
8. भारत सरकार की आय का अधिंकाश भाग आता है ?
(a) विदेशी ऋण से
(b) मनोरंजन कर से
(c) प्रत्यक्ष कर से
(d) परोक्ष कर से
9. बिना भुगतान किए कर के दायित्व से मुक्त हो जाना .................... कहलाता है ?
(a) करमुक्त
(b) करवंचन
(c) कर से छूट
(d) हीनार्थ प्रबन्ध
10. बजट है ?
(a) सरकार के आय-व्यय का ब्यौरा
(b) सरकार की आर्थिक नीतियों का दस्तावेज
(c) सरकार के नए कार्यक्रमों का विवरण
(d) उपर्युक्त सभी
11. विकासशील राष्ट्रों के लिए कौन सा बजट सबसे उपयुक्त है।
(a) घाटे का बजट
(b) संतुलित बजट
(c) बजत का बजट
(d) उपर्युक्त सभी
12. जब सरकार की कुल आय उसके कुल व्यय से कम होती है तो उसे क्या कहते है ?
(a) सन्तुलित बजट
(b) धाटे का बजट
(c) बचत का बजट
(d) उपर्युक्त सभी
13. बजटीय धाटा है ?
(a) व्यय = प्राप्तियां
(b) व्यय > प्राप्तियां
(c) व्यय < प्राप्तियां
(d) इनमें से कोई नहीं।
14. केन्द्रीय, राज्य, व स्थानीय सरकारों के द्वारा किए जाने वाले व्यय को क्या कहते है ?
(a) सार्वजनिक ऋण
(b) सार्वजनिक व्यय
(c) सार्वजनिक कर
(d) उपर्युक्त सभी
15. जब सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक हो जाता है तो इस धाटे को पूरा करने हेतु सरकार द्वारा की जाने वाली व्यवस्था को .......... कहते है।
(a) सार्वजनिक ऋण
(b) हीनार्थ प्रबन्धन
(c) सार्वजनिक कर
(d) उपर्युक्त सभी
16. सर्वजनिक ऋण किन उद्देश्यों की आपूर्ति के लिए लिया जाता है ?
(a) संकटकालीन स्थितियों
(b) सार्वजनिक निमार्ण
(c) बजट के धाटों के लिए
(d) उपर्युक्त सभी
17. __________ दर दो देशों की मुद्राओं का विनिमय अनुपात होती है।
(a) विदेशी मुद्रा
(b) आयात-निर्यात दर
(c) विदेशी विनिमय दर
(d) उपर्युक्त सभी
18. निम्न में से किस कर को केन्द्र सरकार नहीं लगाती है।
(a) मनोरंजन कर
(b) आयकर
(c) निगम कर
(d) सम्पति कर
(a) मार्शल का
(b) डाल्टन का
(c) डी मार्को का
(d) बैस्टेबल का
2. _________ वे कर है जिनका भुगतान करदाता प्रत्यक्ष रूप में कर-अधिकारी को करता है, उसे क्या कहते है ?
(a) प्रत्यक्ष कर
(b) अप्रत्यक्ष कर
(c) उपरोक्त दोनों
(d) इनमें से काई नहीं
3.जब कर भुगतान में करभार तथा कर-दायित्व अलग-अलग व्यक्तियों पर पड़ता है, तो उसे ______ कर कहते है।
(a) प्रत्यक्ष कर
(b) अप्रत्यक्ष कर
(c) उपरोक्त दोनों
(d) इनमें से काई नहीं
4. ________ कर वह कर है जो आय की वृद्धि के साथ बढ़ती है।
(a) आनुपातिक कर
(b) प्रगतिशील कर
5. निम्न में से कौन अप्रत्यक्ष कर है ।
(a) उत्पाद शुल्क
(b) बिक्री कर
(c) सीमा शुल्क
(d) उपर्युक्त सभी
6. भारत में GST को कब लागू किया गया ?
(a) 1 जुलाई 2017
(b) 19 अगस्त 2018
(c) 1 जुलाई 2019
(d) 15 अगस्त 2021
7. इनमें से कौन प्रत्यक्ष कर का उदाहरण नहीं है ?
(a) आय कर
(b) मृत्यु कर
(c) आयात कर
(d) निगम कर
8. भारत सरकार की आय का अधिंकाश भाग आता है ?
(a) विदेशी ऋण से
(b) मनोरंजन कर से
(c) प्रत्यक्ष कर से
(d) परोक्ष कर से
9. बिना भुगतान किए कर के दायित्व से मुक्त हो जाना .................... कहलाता है ?
(a) करमुक्त
(b) करवंचन
(c) कर से छूट
(d) हीनार्थ प्रबन्ध
10. बजट है ?
(a) सरकार के आय-व्यय का ब्यौरा
(b) सरकार की आर्थिक नीतियों का दस्तावेज
(c) सरकार के नए कार्यक्रमों का विवरण
(d) उपर्युक्त सभी
11. विकासशील राष्ट्रों के लिए कौन सा बजट सबसे उपयुक्त है।
(a) घाटे का बजट
(b) संतुलित बजट
(c) बजत का बजट
(d) उपर्युक्त सभी
12. जब सरकार की कुल आय उसके कुल व्यय से कम होती है तो उसे क्या कहते है ?
(a) सन्तुलित बजट
(b) धाटे का बजट
(c) बचत का बजट
(d) उपर्युक्त सभी
13. बजटीय धाटा है ?
(a) व्यय = प्राप्तियां
(b) व्यय > प्राप्तियां
(c) व्यय < प्राप्तियां
(d) इनमें से कोई नहीं।
14. केन्द्रीय, राज्य, व स्थानीय सरकारों के द्वारा किए जाने वाले व्यय को क्या कहते है ?
(a) सार्वजनिक ऋण
(b) सार्वजनिक व्यय
(c) सार्वजनिक कर
(d) उपर्युक्त सभी
15. जब सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक हो जाता है तो इस धाटे को पूरा करने हेतु सरकार द्वारा की जाने वाली व्यवस्था को .......... कहते है।
(a) सार्वजनिक ऋण
(b) हीनार्थ प्रबन्धन
(c) सार्वजनिक कर
(d) उपर्युक्त सभी
16. सर्वजनिक ऋण किन उद्देश्यों की आपूर्ति के लिए लिया जाता है ?
(a) संकटकालीन स्थितियों
(b) सार्वजनिक निमार्ण
(c) बजट के धाटों के लिए
(d) उपर्युक्त सभी
17. __________ दर दो देशों की मुद्राओं का विनिमय अनुपात होती है।
(a) विदेशी मुद्रा
(b) आयात-निर्यात दर
(c) विदेशी विनिमय दर
(d) उपर्युक्त सभी
18. निम्न में से किस कर को केन्द्र सरकार नहीं लगाती है।
(a) मनोरंजन कर
(b) आयकर
(c) निगम कर
(d) सम्पति कर
🔰निशिचत तथा अति लधु प्रश्नोत्तर
प्र01. करारोपण के दो उदाहरण दीजिए ?
उ0 1. राजस्व या आय प्राप्त करना 2. अर्थव्यवस्था का नियमन करना।
प्र02. प्रत्यक्ष कर किसे कहते है ?
उ0 प्रत्यक्ष कर वे कर हैं जिनका भुगतान करदाता प्रत्यक्ष रूप से नकद रूप में कर-अधिकारी को करता है।
प्र03. परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर किसे कहते है ?
उ0 जब कर भुगतान में करभार तथा कर-दायित्व अलग-अलग व्यक्तियों पर पड़ता है, तो उसे परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर कहते है।
प्र04. आनुपातिक कर किसे कहते है ?
उ0 आनुपातिक कर वह कर है तो आय के अनुपात में लगाया जाता है।
प्र05. प्रगतिशील कर किसे कहते है ?
उ0 प्रगतिशील कर वह कर है जो आय की वृद्धि के साथ बढ़ती है।
प्र06. प्रत्यक्ष कर के दो उदाहरण दीजिए ?
उ0 1. सम्पत्ति कर 2. आयकर
प्र07. परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर के दो उदाहरण दीजिए ?
उ0 1. उत्पादन कर 2. सीमा कर
प्र08. सार्वजनिक व्यय से क्या आशय है ?
उ0 केन्द्रीय, राज्य व स्थानीय सरकारों के द्वारा किए जाने व्यय को सार्वजनिक व्यय कहते है।
प्र09. सार्वजनिक व्यय के दो उदाहरण दीजिए ?
उ0 1. देश में शान्ति तथा सुरक्षा बनाये रखना। 2. देश का आर्थिक विकास।
प्र010. करवंचन से क्या आशय है ?
उ0 बिना भुगतान किए कर के दायित्व से मुक्त होना को ही करवंचन कहते है।
प्र011. सार्वजनिक ऋण किसे कहते है ?
उ0 जब सरकार की कुल आय, कुल व्यय से कम होती है तो उसे धाटे का बजट कहते है।
प्र012. वित्तीय वर्ष की अवधि क्या हाती है ?
उ0 भारत में वित्तीय वर्ष की अवधि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक।
प्र013. संसद में बजट कौन प्रस्तुत करता है ? और कब ?
उ0 संसद में बजट वित्त मन्त्री फरवरी माह के अन्तिम दिन प्रस्तुत करता है।
प्र014. सन्तुलित बजट किसे कहते है ?
उ0 जब कुल आय तथा कुल व्यय बराबर हो तो उसे सन्तुलित बजट कहते है।
प्र015. धाटे के बजट से आप क्या समझते है ?
उ0 सार्वजनिक ऋण वह ऋण होता है जिसे राज्य अपने देश के नागरिकों व विदेशों के नागरिकों से लेता है।
प्र016. सार्वजनिक ऋण के दो उदाहरण दीजिए ?
उ0 1. प्राकृतिक साधनों का विदोहन 2. सार्वजनिक निमार्ण कार्य
प्र017. हीनार्थ प्रबन्धन क्या है ?
उ0 जब सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक हो जाता है तो इस धाटे को पूरा करने के लिए सरकार जो उपाय करती है उसे हीनार्थ प्रबन्धन कहते है।
प्र018. बजट किसे कहते है ?
उ0 बजट एक ऐसा वित्तीय एवं पारिमाणिक विवरण है जो एक निश्चित समय से पूर्व बनाया जाता है जिसमें तथा इसके अन्तर्गत निश्चित उददे्श को प्राप्त करने के लिए अपनार्ह जाने वाली नीति होती है।
उ0 1. राजस्व या आय प्राप्त करना 2. अर्थव्यवस्था का नियमन करना।
प्र02. प्रत्यक्ष कर किसे कहते है ?
उ0 प्रत्यक्ष कर वे कर हैं जिनका भुगतान करदाता प्रत्यक्ष रूप से नकद रूप में कर-अधिकारी को करता है।
प्र03. परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर किसे कहते है ?
उ0 जब कर भुगतान में करभार तथा कर-दायित्व अलग-अलग व्यक्तियों पर पड़ता है, तो उसे परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर कहते है।
प्र04. आनुपातिक कर किसे कहते है ?
उ0 आनुपातिक कर वह कर है तो आय के अनुपात में लगाया जाता है।
प्र05. प्रगतिशील कर किसे कहते है ?
उ0 प्रगतिशील कर वह कर है जो आय की वृद्धि के साथ बढ़ती है।
प्र06. प्रत्यक्ष कर के दो उदाहरण दीजिए ?
उ0 1. सम्पत्ति कर 2. आयकर
प्र07. परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर के दो उदाहरण दीजिए ?
उ0 1. उत्पादन कर 2. सीमा कर
प्र08. सार्वजनिक व्यय से क्या आशय है ?
उ0 केन्द्रीय, राज्य व स्थानीय सरकारों के द्वारा किए जाने व्यय को सार्वजनिक व्यय कहते है।
प्र09. सार्वजनिक व्यय के दो उदाहरण दीजिए ?
उ0 1. देश में शान्ति तथा सुरक्षा बनाये रखना। 2. देश का आर्थिक विकास।
प्र010. करवंचन से क्या आशय है ?
उ0 बिना भुगतान किए कर के दायित्व से मुक्त होना को ही करवंचन कहते है।
प्र011. सार्वजनिक ऋण किसे कहते है ?
उ0 जब सरकार की कुल आय, कुल व्यय से कम होती है तो उसे धाटे का बजट कहते है।
प्र012. वित्तीय वर्ष की अवधि क्या हाती है ?
उ0 भारत में वित्तीय वर्ष की अवधि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक।
प्र013. संसद में बजट कौन प्रस्तुत करता है ? और कब ?
उ0 संसद में बजट वित्त मन्त्री फरवरी माह के अन्तिम दिन प्रस्तुत करता है।
प्र014. सन्तुलित बजट किसे कहते है ?
उ0 जब कुल आय तथा कुल व्यय बराबर हो तो उसे सन्तुलित बजट कहते है।
प्र015. धाटे के बजट से आप क्या समझते है ?
उ0 सार्वजनिक ऋण वह ऋण होता है जिसे राज्य अपने देश के नागरिकों व विदेशों के नागरिकों से लेता है।
प्र016. सार्वजनिक ऋण के दो उदाहरण दीजिए ?
उ0 1. प्राकृतिक साधनों का विदोहन 2. सार्वजनिक निमार्ण कार्य
प्र017. हीनार्थ प्रबन्धन क्या है ?
उ0 जब सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक हो जाता है तो इस धाटे को पूरा करने के लिए सरकार जो उपाय करती है उसे हीनार्थ प्रबन्धन कहते है।
प्र018. बजट किसे कहते है ?
उ0 बजट एक ऐसा वित्तीय एवं पारिमाणिक विवरण है जो एक निश्चित समय से पूर्व बनाया जाता है जिसमें तथा इसके अन्तर्गत निश्चित उददे्श को प्राप्त करने के लिए अपनार्ह जाने वाली नीति होती है।
🔰विस्तृत प्रश्नोत्तर
प्र0 1. सार्वजनिक व्यय से क्या अभिप्राय है ? सार्वजनिक व्यय के उददे्श्यों की विवेचना कीजिए।
परिभाषा - "केन्द्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकारों के द्वारा किए जाने वाले व्यय को सार्वजनिक व्यय कहते है।"
सार्वजनिक व्यय के माध्यम से केन्द्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकारों देश का आर्थिक तथा सामाजिक विकास कार्य करती है।
सार्वजनिक व्यय के उददे्श्य
1. आर्थिक विकास - वर्तमान समय में सभी देशों की सरकारों का प्रथम लक्ष्य होता है देश का आर्थिक विकास करना जिससे राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्वि हो सके।
2. शान्ति, सुरक्षा तथा न्याय करना - सरकार राज्यों तथा देश की सीमाओं की रक्षा आदि करने के लिए पुलिस तथा सैनिक आदि क्षेत्रों में सार्वजनिक व्यय करती है।
3. आर्थिक विषमताओं को समाप्त करना - सरकार देश के निर्धन वर्गों के लोगों का जीवन-स्तर सुधारने के लिए निःशुल्क शिक्षा, चिकित्सा, आवास, भोजन तथा राशन आदि की सुविधाएँ देने के लिए सार्वजनिक व्यय करती है।
4. समाजिक सुरक्षा - सार्वजनिक व्यय के माध्यम से राज्य सरकारें लोगों को कई प्रकार से सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है। जैसे बीमारी बीमा, वृद्धावस्था पेंशन, विकलांग सहायता, बेरोजगारी भत्ता आादि।
5. रोजगार में वृद्वि करना - सरकार सार्वजनिक व्यय के माध्यम से देश में रोजगार में वृद्वि करने का प्रयास करती है। इसके लिए वे उद्योगों का विकास के साथ बहुमुखी विकास की योजनाएँ बनाती है।
6. सामाजिक सेवाएँ का विस्तार - सार्वजनिक व्यय के माध्यम से देश में सामाजिक सेवाएँ जैसे रेल, डाक व तार, यातायात, चिकित्सा आदि को प्रदान करती है।
प्र02. कर किसे कहते है ? करारोपण के उददे्श्य लिखिए।
परिभाषा - "कर देश के नागरिकों द्वारा राज्य को प्रदत्त एक अनिवार्य अंशदान है जिसके प्रयोग के लिए किसी भी व्यक्ति को निशिचत सेवा या लाभ का आश्वासन नहीं दिया जाता।"
कर एक अनिवार्य भुगतान है जो कि व्यक्ति सरकार द्वारा कल्याण कार्यो पर किए गए व्यय को पूरा करने के लिए करता है। कर सार्वजनिक आय का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है। भारत में कुल आय का अधिकांश भाग करों द्वारा ही प्राप्त होता है।
करारोपण के उददे्श्य
1. अर्थव्यवस्था का विकास - करों से प्राप्त आय का सरकार देश के विकास कार्यो में लगाती है। जैसे उत्पादन, सड़क निमार्ण, रेल, बिजली, संचार आदि।
2. आय प्राप्त करना - कर राज्यों तथा केन्द्र सरकार दोनों को महत्वपूर्ण आय प्रदान करती है जिसका प्रयोग वे देश के आर्थिक विकास के साथ समाज के कल्याण के कार्य करते है।
3. राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्वि करना - करों से प्राप्त आय को सरकार देश के विकास कार्यो में लगा कर राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्वि करने का प्रयास करते है। बचत एवं विनियोग के स्तर को बढ़ाने तथा आर्थिक विकास की दर में वृद्वि से राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्वि होती है।
4.आर्थिक असमानताओं को कम करना - करारोपण के माध्यम से सरकारों देश के अधिक आय वाले वर्ग के लोगों पर अधिक कर तथा कम आय वाले वर्ग पर कम कर लगाते है। और करों से प्राप्त आय को निर्धन लोगों के कल्याण पर खर्च करते है।
5.मुद्रा-स्फीति पर नियन्त्रण - करारोपण द्वारा सरकार मुद्रा स्फीति को नियन्त्रित करती है और आवश्यक वस्तुओं के दामों को कम करने का प्रयास करती है।
प्र0 3. प्रत्यक्ष और परोक्ष करों में अन्तर स्पष्ट करते हुए उनकेे उदाहरण लिखिए।
परिभाषा - "केन्द्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकारों के द्वारा किए जाने वाले व्यय को सार्वजनिक व्यय कहते है।"
सार्वजनिक व्यय के माध्यम से केन्द्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकारों देश का आर्थिक तथा सामाजिक विकास कार्य करती है।
सार्वजनिक व्यय के उददे्श्य
1. आर्थिक विकास - वर्तमान समय में सभी देशों की सरकारों का प्रथम लक्ष्य होता है देश का आर्थिक विकास करना जिससे राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्वि हो सके।
2. शान्ति, सुरक्षा तथा न्याय करना - सरकार राज्यों तथा देश की सीमाओं की रक्षा आदि करने के लिए पुलिस तथा सैनिक आदि क्षेत्रों में सार्वजनिक व्यय करती है।
3. आर्थिक विषमताओं को समाप्त करना - सरकार देश के निर्धन वर्गों के लोगों का जीवन-स्तर सुधारने के लिए निःशुल्क शिक्षा, चिकित्सा, आवास, भोजन तथा राशन आदि की सुविधाएँ देने के लिए सार्वजनिक व्यय करती है।
4. समाजिक सुरक्षा - सार्वजनिक व्यय के माध्यम से राज्य सरकारें लोगों को कई प्रकार से सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है। जैसे बीमारी बीमा, वृद्धावस्था पेंशन, विकलांग सहायता, बेरोजगारी भत्ता आादि।
5. रोजगार में वृद्वि करना - सरकार सार्वजनिक व्यय के माध्यम से देश में रोजगार में वृद्वि करने का प्रयास करती है। इसके लिए वे उद्योगों का विकास के साथ बहुमुखी विकास की योजनाएँ बनाती है।
6. सामाजिक सेवाएँ का विस्तार - सार्वजनिक व्यय के माध्यम से देश में सामाजिक सेवाएँ जैसे रेल, डाक व तार, यातायात, चिकित्सा आदि को प्रदान करती है।
प्र02. कर किसे कहते है ? करारोपण के उददे्श्य लिखिए।
परिभाषा - "कर देश के नागरिकों द्वारा राज्य को प्रदत्त एक अनिवार्य अंशदान है जिसके प्रयोग के लिए किसी भी व्यक्ति को निशिचत सेवा या लाभ का आश्वासन नहीं दिया जाता।"
कर एक अनिवार्य भुगतान है जो कि व्यक्ति सरकार द्वारा कल्याण कार्यो पर किए गए व्यय को पूरा करने के लिए करता है। कर सार्वजनिक आय का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है। भारत में कुल आय का अधिकांश भाग करों द्वारा ही प्राप्त होता है।
करारोपण के उददे्श्य
1. अर्थव्यवस्था का विकास - करों से प्राप्त आय का सरकार देश के विकास कार्यो में लगाती है। जैसे उत्पादन, सड़क निमार्ण, रेल, बिजली, संचार आदि।
2. आय प्राप्त करना - कर राज्यों तथा केन्द्र सरकार दोनों को महत्वपूर्ण आय प्रदान करती है जिसका प्रयोग वे देश के आर्थिक विकास के साथ समाज के कल्याण के कार्य करते है।
3. राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्वि करना - करों से प्राप्त आय को सरकार देश के विकास कार्यो में लगा कर राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्वि करने का प्रयास करते है। बचत एवं विनियोग के स्तर को बढ़ाने तथा आर्थिक विकास की दर में वृद्वि से राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्वि होती है।
4.आर्थिक असमानताओं को कम करना - करारोपण के माध्यम से सरकारों देश के अधिक आय वाले वर्ग के लोगों पर अधिक कर तथा कम आय वाले वर्ग पर कम कर लगाते है। और करों से प्राप्त आय को निर्धन लोगों के कल्याण पर खर्च करते है।
5.मुद्रा-स्फीति पर नियन्त्रण - करारोपण द्वारा सरकार मुद्रा स्फीति को नियन्त्रित करती है और आवश्यक वस्तुओं के दामों को कम करने का प्रयास करती है।
प्र0 3. प्रत्यक्ष और परोक्ष करों में अन्तर स्पष्ट करते हुए उनकेे उदाहरण लिखिए।
प्र0 4. प्रत्यक्ष कर किसे कहते है ? इसके गुण व दोष लिखिए।
परिभाषा - "प्रत्यक्ष कर वे कर है जिनका भुगतान करदाता प्रत्यक्ष रूप में कर-अधिकारी को करता है।" प्रत्यक्ष कर को करदाता दूसरों पर टाल नहीं सकता इसका भार उसे स्वयं वहन करना पड़ता है।
प्रत्यक्ष कर उदाहरण -
1. आयकर
2. निगम कर
3. मृत्यु कर
4. उपहार कर
5. कृषि आयकर
6. उत्तराधिकार कर आदि।
प्रत्यक्ष करों के गुण
1. न्यायशीलता - ये कर न्यायशील होते है क्यों की ये कर अधिक आय वाले व्यक्तियों पर ही लगाये जाते है।
2. मितव्ययिता - इन करों का भुगतान करदाता सीधे राजकोष में जमा करता है जिसके कारण इनको प्राप्त करने में साधनों का अपव्यय नहीं होता है।
3. लोच का गुण - प्रत्यक्ष कर लोचदार होते है क्योंकि आपातकाल में सरकार इनमें थोड़ा-सा परिवर्तन करके आय में वृद्वि तथा कमी की जा सकती है।
4. निशिचतता - प्रत्यक्ष कर में निशिचतता का भाव होता है क्योंकि करदाता को यह ज्ञात हाता है कि उसे कितनी मात्रा में कर देना है और राज्य भी यह जानता है कि उसे कर से कितनी मात्रा में आय प्राप्त होगी।
5. उत्पादकता - ये कर उत्पादक होते है क्योंकि आर्थिक विकास के साथ-साथ इन करों से प्राप्त हाने वाली राशि में वृद्वि होती है।
प्रत्यक्ष करों के दोष
1. असुविधाजनक - प्रत्यक्ष कर का भुगतान हमेशा से ही असुविधाजनक होता है क्योंकि इसके लिए करदाताओं को विस्तृत लेखा रखना पड़ता है।
2. करदाताओं का विरोध - प्रायः यह देखा जाता है कि प्रत्यक्ष करों का हमेश करदाताओं द्वारा विरोध किया जाता है। यह कारण है कि ऐसे करों की चोरी के लिए लोग प्रवृत्त होते है।
3. कर-निर्धारण में जटिलता - प्रत्यक्ष करों का निर्धारण जटिल होता है जिससे ईमानदार करदाताओं को हानि होती है और भ्रष्टाचार को भी प्रोत्साहन मिलता है।
4. सरकार को अपर्याप्त आय - प्रत्यक्ष करों का सीमित क्षेत्र होने के कारण सरकार को पर्याप्त आय प्राप्त होती है।
5. सीमित क्षेत्र - प्रत्यक्ष कर केवल उन्हीं व्यक्तियों पर लगाए जाते है, जो आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होते हैै। अतः इनका क्षेत्र अत्यन्त सीमित होता है।
प्र0 5. अप्रत्यक्ष या परोक्ष कर किसे कहते है ? इसके गुण व दोष लिखिए।
परिभाषा - "वे कर जिनके भार को करदाता दूसरों पर टालने में सफल हो जाता है उसे परोक्ष कर कहते है।" इन करों का तात्कालिक और अन्तिम भार अलग-अलग व्यक्तियों पर पड़ता है।
अप्रत्यक्ष करों के उदाहरण -
1. बिक्री कर
2. आयात-निर्यात कर
3. उत्पादन कर
4. मनोरंजन कर
5. सेवा कर आदि।
अप्रत्यक्ष करों के गुण
1. न्यायशीलता - ये कर न्यायशील होते है क्यों की ये कर उपभोग पदार्थों पर लगाए जाते है, जिससे इनका भार समाज के सभी अंगों पर उनकी करदेय क्षमता के अनुसार पड़ता है।
2. मितव्ययिता - ये कर मितव्ययी भी होते है क्योंकि इनके एकत्रीकरण पर राज्यों को अधिक व्यय नहीं करना पड़ता।
3. लोच का गुण - इन करों में लोच का गुण भी पाया जाता है क्योंकि बेलोचदार माँग वाले पदार्थों पर लगे अप्रत्यक्ष करों से आवश्यकतानुसार आय प्राप्त की जा सकती है।
4. सुविधाजनक - ये कर उपभोक्ता वस्तुओं पर लगते है इसलिए ये सुविधाजनक होते है। इनका भार एक साथ न सहकर अंशो में सहना पड़ता है और राज्यों को एकमुश्त राशि प्राप्त हो जाती है।
5. करों की चोरी न होना - इन करों की राशि वस्तुओं की कीमतों में शामिल रहती है। अतः इनकी चोरी करना सरल नहीं है।
अप्रत्यक्ष करों के दोष
1. अनिश्चितता - परोक्ष कर मूलतः अनिश्चित होते है क्योंकि ये कर उपभोक्ता वस्तुओं पर लगाये जाते है। उपभोग के अनिश्चित होने से इन करों से प्राप्त होने वाली राशि भी अनिश्चित हो जाती है।
2. असमानता - परोक्ष कर प्रायः आवश्यक उपभोग-पदार्थों पर लगते हैं जिसके कारण निम्न आय के वर्ग के लोगों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। ये कर समानता और न्यायशीलता के सिद्धान्त के प्रतिकूल होते है।
3. मूल्य स्तर में वृद्धि - ये कर उपभोक्ता वस्तुओं पर लगाये जाते है जिससे वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो जाती है और उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
4. कर चोरी - परोक्ष कर से बचने के लिए बिक्रेता चोरबाजारी तथा गलत बहीखातों के द्वारा कर चोरी करता है।
5. बेकारी तथा आर्थिक अनिश्चितता - अत्यधिक परोक्ष करों से माँग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे लोगों में बेकारी तथा देश में अनिश्चितता का वातावरण बनता है।
प्र0 6. सार्वजनिक ऋण से क्या आशय है ? सार्वजनिक ऋण क्यों लिए जाते हैं ?
परिभाषा - "सार्वजनिक ऋण वह ऋण होता है जिसे राज्य अपने देश अथवा अन्य देश के नागरिकों से लेता है।"
सार्वजनिक ऋण के उददे्श्य
1. सरकार सार्वजनिक ऋण का प्रयोग देश में संकटकालीन स्थितियों का सामना करने क लिए लेती है। जैसे आकस्मिक संकट, युद्ध, अकाल, बाढ़, सुखा, भूकम्प आदि।
2. सार्वजनिक ऋण, सरकार सार्वजनिक निमार्ण कार्यों के लिए जैसेः रेल, सड़क, हवाई मार्ग, नहरों, संचार आदि के लिऐ लेती है।
3. प्राकृतिक साधनों का विदोहन तथा देश के आर्थिक विकास के लिए सार्वजनिक ऋण लिया जाता है।
4. सरकार, विदेशी मृद्रा की कमी को दूर करने के लिए अन्र्तराष्ट्रीय संस्थाओं से सार्वजनिक ऋण भी लेती है।
5. सार्वजनिक ऋण के माध्यम से सरकारों भुगतान सन्तुलन की प्रतिकूलता को दूर करने का प्रयास करती है।
6. देश में उधोगों तथा रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार सार्वजनिक ऋण भी लेती है जिससे देश का आर्थिक विकास तेजी से हो सके।
प्र0 7. बजट से क्या तात्पर्य है ? सन्तुलित बजट, बचत पूर्ण बजट एवं धाटे का बजट को स्पष्ट कीजिए ?
परिभाषा - "बजट एक ऐसा वित्तीय एवं पारिमाणिक विवरण है जो एक निशिचत समय से पूर्व बनाया जाता है जिसमें बजट अवधि के अन्तर्गत निश्चित उदद्ेश्य को प्राप्त करने के लिए बनाई जाती है।"
1. सन्तुलित बजट - जब कुल आय तथा कुल व्यय के बराबर हो तो उसे सन्तुलित बजट कहते है।
2. बचतपूर्ण बजट - जब कुल आय में से कुल व्यय कम हों तो उसे बचतपूर्ण बजट कहते है।
3. धाटे का बजट - जब सरकार की कुल आय सरकार के कुल व्यय से कम होेती है तो उसे धाटे का बजट कहते है।
प्र0 8. सरकारी बजट की राजस्व प्राप्तियाँ एवं पूँजीगत प्राप्तियों में अन्तर बताइए। प्रत्येक के उदाहरण दीजिए।
राजस्व प्राप्तियाँ- राजस्व प्राप्तियाँ को कर और गैर-कर राजस्व में विभक्त किया जाता है। कर राजस्व - में कर की प्राप्तियाँ और केन्द्र सरकार द्वारा लगाए गए शुल्क होते है। जैसे प्रत्यक्ष कर (आय कर, सम्पत्ति कर, उपहार कर, निगम कर आदि) और अप्रत्यक्ष कर (उत्पादन शुल्क, आयात-निर्यात, सेवा शुल्क आदि)। उत्पादन शुल्क एकमात्र सर्वाधिक राजस्व प्राप्त करने वाला कर है।
परिभाषा - "प्रत्यक्ष कर वे कर है जिनका भुगतान करदाता प्रत्यक्ष रूप में कर-अधिकारी को करता है।" प्रत्यक्ष कर को करदाता दूसरों पर टाल नहीं सकता इसका भार उसे स्वयं वहन करना पड़ता है।
प्रत्यक्ष कर उदाहरण -
1. आयकर
2. निगम कर
3. मृत्यु कर
4. उपहार कर
5. कृषि आयकर
6. उत्तराधिकार कर आदि।
प्रत्यक्ष करों के गुण
1. न्यायशीलता - ये कर न्यायशील होते है क्यों की ये कर अधिक आय वाले व्यक्तियों पर ही लगाये जाते है।
2. मितव्ययिता - इन करों का भुगतान करदाता सीधे राजकोष में जमा करता है जिसके कारण इनको प्राप्त करने में साधनों का अपव्यय नहीं होता है।
3. लोच का गुण - प्रत्यक्ष कर लोचदार होते है क्योंकि आपातकाल में सरकार इनमें थोड़ा-सा परिवर्तन करके आय में वृद्वि तथा कमी की जा सकती है।
4. निशिचतता - प्रत्यक्ष कर में निशिचतता का भाव होता है क्योंकि करदाता को यह ज्ञात हाता है कि उसे कितनी मात्रा में कर देना है और राज्य भी यह जानता है कि उसे कर से कितनी मात्रा में आय प्राप्त होगी।
5. उत्पादकता - ये कर उत्पादक होते है क्योंकि आर्थिक विकास के साथ-साथ इन करों से प्राप्त हाने वाली राशि में वृद्वि होती है।
प्रत्यक्ष करों के दोष
1. असुविधाजनक - प्रत्यक्ष कर का भुगतान हमेशा से ही असुविधाजनक होता है क्योंकि इसके लिए करदाताओं को विस्तृत लेखा रखना पड़ता है।
2. करदाताओं का विरोध - प्रायः यह देखा जाता है कि प्रत्यक्ष करों का हमेश करदाताओं द्वारा विरोध किया जाता है। यह कारण है कि ऐसे करों की चोरी के लिए लोग प्रवृत्त होते है।
3. कर-निर्धारण में जटिलता - प्रत्यक्ष करों का निर्धारण जटिल होता है जिससे ईमानदार करदाताओं को हानि होती है और भ्रष्टाचार को भी प्रोत्साहन मिलता है।
4. सरकार को अपर्याप्त आय - प्रत्यक्ष करों का सीमित क्षेत्र होने के कारण सरकार को पर्याप्त आय प्राप्त होती है।
5. सीमित क्षेत्र - प्रत्यक्ष कर केवल उन्हीं व्यक्तियों पर लगाए जाते है, जो आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होते हैै। अतः इनका क्षेत्र अत्यन्त सीमित होता है।
प्र0 5. अप्रत्यक्ष या परोक्ष कर किसे कहते है ? इसके गुण व दोष लिखिए।
परिभाषा - "वे कर जिनके भार को करदाता दूसरों पर टालने में सफल हो जाता है उसे परोक्ष कर कहते है।" इन करों का तात्कालिक और अन्तिम भार अलग-अलग व्यक्तियों पर पड़ता है।
अप्रत्यक्ष करों के उदाहरण -
1. बिक्री कर
2. आयात-निर्यात कर
3. उत्पादन कर
4. मनोरंजन कर
5. सेवा कर आदि।
अप्रत्यक्ष करों के गुण
1. न्यायशीलता - ये कर न्यायशील होते है क्यों की ये कर उपभोग पदार्थों पर लगाए जाते है, जिससे इनका भार समाज के सभी अंगों पर उनकी करदेय क्षमता के अनुसार पड़ता है।
2. मितव्ययिता - ये कर मितव्ययी भी होते है क्योंकि इनके एकत्रीकरण पर राज्यों को अधिक व्यय नहीं करना पड़ता।
3. लोच का गुण - इन करों में लोच का गुण भी पाया जाता है क्योंकि बेलोचदार माँग वाले पदार्थों पर लगे अप्रत्यक्ष करों से आवश्यकतानुसार आय प्राप्त की जा सकती है।
4. सुविधाजनक - ये कर उपभोक्ता वस्तुओं पर लगते है इसलिए ये सुविधाजनक होते है। इनका भार एक साथ न सहकर अंशो में सहना पड़ता है और राज्यों को एकमुश्त राशि प्राप्त हो जाती है।
5. करों की चोरी न होना - इन करों की राशि वस्तुओं की कीमतों में शामिल रहती है। अतः इनकी चोरी करना सरल नहीं है।
अप्रत्यक्ष करों के दोष
1. अनिश्चितता - परोक्ष कर मूलतः अनिश्चित होते है क्योंकि ये कर उपभोक्ता वस्तुओं पर लगाये जाते है। उपभोग के अनिश्चित होने से इन करों से प्राप्त होने वाली राशि भी अनिश्चित हो जाती है।
2. असमानता - परोक्ष कर प्रायः आवश्यक उपभोग-पदार्थों पर लगते हैं जिसके कारण निम्न आय के वर्ग के लोगों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। ये कर समानता और न्यायशीलता के सिद्धान्त के प्रतिकूल होते है।
3. मूल्य स्तर में वृद्धि - ये कर उपभोक्ता वस्तुओं पर लगाये जाते है जिससे वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो जाती है और उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
4. कर चोरी - परोक्ष कर से बचने के लिए बिक्रेता चोरबाजारी तथा गलत बहीखातों के द्वारा कर चोरी करता है।
5. बेकारी तथा आर्थिक अनिश्चितता - अत्यधिक परोक्ष करों से माँग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे लोगों में बेकारी तथा देश में अनिश्चितता का वातावरण बनता है।
प्र0 6. सार्वजनिक ऋण से क्या आशय है ? सार्वजनिक ऋण क्यों लिए जाते हैं ?
परिभाषा - "सार्वजनिक ऋण वह ऋण होता है जिसे राज्य अपने देश अथवा अन्य देश के नागरिकों से लेता है।"
सार्वजनिक ऋण के उददे्श्य
1. सरकार सार्वजनिक ऋण का प्रयोग देश में संकटकालीन स्थितियों का सामना करने क लिए लेती है। जैसे आकस्मिक संकट, युद्ध, अकाल, बाढ़, सुखा, भूकम्प आदि।
2. सार्वजनिक ऋण, सरकार सार्वजनिक निमार्ण कार्यों के लिए जैसेः रेल, सड़क, हवाई मार्ग, नहरों, संचार आदि के लिऐ लेती है।
3. प्राकृतिक साधनों का विदोहन तथा देश के आर्थिक विकास के लिए सार्वजनिक ऋण लिया जाता है।
4. सरकार, विदेशी मृद्रा की कमी को दूर करने के लिए अन्र्तराष्ट्रीय संस्थाओं से सार्वजनिक ऋण भी लेती है।
5. सार्वजनिक ऋण के माध्यम से सरकारों भुगतान सन्तुलन की प्रतिकूलता को दूर करने का प्रयास करती है।
6. देश में उधोगों तथा रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार सार्वजनिक ऋण भी लेती है जिससे देश का आर्थिक विकास तेजी से हो सके।
प्र0 7. बजट से क्या तात्पर्य है ? सन्तुलित बजट, बचत पूर्ण बजट एवं धाटे का बजट को स्पष्ट कीजिए ?
परिभाषा - "बजट एक ऐसा वित्तीय एवं पारिमाणिक विवरण है जो एक निशिचत समय से पूर्व बनाया जाता है जिसमें बजट अवधि के अन्तर्गत निश्चित उदद्ेश्य को प्राप्त करने के लिए बनाई जाती है।"
1. सन्तुलित बजट - जब कुल आय तथा कुल व्यय के बराबर हो तो उसे सन्तुलित बजट कहते है।
2. बचतपूर्ण बजट - जब कुल आय में से कुल व्यय कम हों तो उसे बचतपूर्ण बजट कहते है।
3. धाटे का बजट - जब सरकार की कुल आय सरकार के कुल व्यय से कम होेती है तो उसे धाटे का बजट कहते है।
प्र0 8. सरकारी बजट की राजस्व प्राप्तियाँ एवं पूँजीगत प्राप्तियों में अन्तर बताइए। प्रत्येक के उदाहरण दीजिए।
राजस्व प्राप्तियाँ- राजस्व प्राप्तियाँ को कर और गैर-कर राजस्व में विभक्त किया जाता है। कर राजस्व - में कर की प्राप्तियाँ और केन्द्र सरकार द्वारा लगाए गए शुल्क होते है। जैसे प्रत्यक्ष कर (आय कर, सम्पत्ति कर, उपहार कर, निगम कर आदि) और अप्रत्यक्ष कर (उत्पादन शुल्क, आयात-निर्यात, सेवा शुल्क आदि)। उत्पादन शुल्क एकमात्र सर्वाधिक राजस्व प्राप्त करने वाला कर है।
पँूजीगत प्राप्तियाँ - पूँजीगत प्राप्तियाँ की मुख्य मदें सार्ववतनिक कर्ज है, जिसे सरकार द्वारा जनता से लिए जाता है। सरकार बाजार से, वित्तीय संस्थाओं, विदेशी सरकार, अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे प्डथ्ए ॅव्त्स्क् ठ।छज्ञ आदि से कर्ज या ऋण लेती है।
इसके साथ अन्य मदों में लधु बचतें जैसे - डाकधर बचत खाता, भविष्य निधि और सार्वजनिक उपक्रम के शेयरों की बिक्री आदि से सरकार को पूँजीगत प्राप्तियाँ होती है।
इसके साथ अन्य मदों में लधु बचतें जैसे - डाकधर बचत खाता, भविष्य निधि और सार्वजनिक उपक्रम के शेयरों की बिक्री आदि से सरकार को पूँजीगत प्राप्तियाँ होती है।
प्रश्न 9. राजस्व व्यय और पूँजीगत व्यय में भेद कीजिए।
उत्तर: राजस्व व्यय: ये वे व्यय हैं जिनसे किसी भी प्रकार की भौतिक या वित्तीय परिसम्पत्तियों का सृजन नहीं होता है। जैसे सरकार के सामान्य व्यय, सरकार द्वारा ऋण, व्याज अदायगी, अनुदान आदि।
पूँजीगत व्यय: पूँजीगत व्यय के अन्तर्गत भूमि अधिग्रहण, भवन निर्माण, मशीनरी, उपकरण, शेयरों में निवेश और केन्द्र सरकार के द्वारा अन्य राज्य सरकारों एवं संघ शासित प्रदेशों, सार्वजनिक उपक्रमों तथा अन्य पक्षों को प्रदान किये गए ऋण और अग्रिम संबंधी व्ययों को शामिल किया जाता है।
प्रश्न 10. राजकोषीय घाटा से सरकार को ऋण ग्रहण की आवश्यकता होती है, समझाइए।
उत्तर: राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और ऋण ग्रहण को छोड़कर कुल प्राप्तियों का अन्तर है अर्थात् दूसरे शब्दों में राजकोषीय घाटा सरकार की उधार सम्बन्धी आवश्यकताओं को प्रकट करता है, अत: राजकोषीय घाटा बजट व्यय को पूरा करने के लिए सरकार की उधार पर निर्भरता की मात्रा को दर्शाता है।
प्रश्न 11. राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा में संबंध बताइए।
उत्तर: राजस्व घाटा सरकार के राजस्व व्यय की राजस्व प्राप्तियों पर अधिकता को दर्शाता है जबकि राजकोषीय घाटा कुल व्यय जिसमें उधार को शामिल न किया जाए, की कुल प्राप्तियों पर अधिकता को दर्शाता है।
प्रश्न 12. राजकोषीय घाटे की माप कैसे की जाती है?
उत्तर : राजकोषीय घाटा बाजार की कुल प्राप्तियों और कुल व्यय के मध्य अन्तर है लेकिन उधार एवं अन्य देनदारियों को छोड़कर ।
राजकोषीय घाटे को उस राशि के रूप में परिभाषित किया जाता है जो सरकार सभी खर्चों को पूरा करने के लिए उधार लेती है। सरल शब्दों में, जब उधार को छोड़कर कुल व्यय, कुल राजस्व से अधिक हो जाता है तो इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है। इसकी गणना जीडीपी के प्रतिशत के रूप में की जाती है।
राजकोषीय घाटा मापने का सूत्र
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय - कुल राजस्व (उधार और अन्य देनदारियों को छोड़कर)।
प्रश्न 13. वस्तु एवं सेवाकर (GST) से आप क्या समझते हैं? पुरानी कर व्यवस्था के मुकाबले GST व्यवस्था कितनी श्रेष्ठ है? इसकी श्रेणियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: वस्तु एवं सेवा कर (GST): भारत में वस्तु एवं सेवाकर (GST) 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया। वस्तु एवं सेवा कर, उत्पाद को सेवा प्रदायकों से सीधे ही वस्तु एवं सेवाओं की पूर्ति पर लगाया गया एकल व्यापक अप्रत्यक्ष कर है। वस्तु एवं सेवाकर में पूरे देश में एक प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं पर एक समान दर से कर लगाया जाता है। इस कर में बड़ी संख्या में केन्द्रीय एवं राज्यकीय करों एवं उपकरों को मिला दिया गया है।
इसका उद्देश्य व्यवसायिक लागत और उपभोक्ताओं पर विभिन्न करों के प्रभाव को कम करना है। इसने केन्द्र/ राज्य/ केन्द्रशासित प्रदेशों के द्वारा लगाये गये विभिन्न प्रकार के करों/उपकरों को प्रतिस्थापित कर दिया है। केन्द्र द्वारा लगाये गये कुछ कर केन्द्रीय उत्पादन कर, सेवाकर, केन्द्रीय बिक्री कर और कृषि कल्याण कर, स्वच्छ भारत कर उपकर थे। राज्य के प्रमुखकर, वाट/सेल्सटैक्स, प्रवेशकर, विलासिता कर, चुंगी, मनोरंजन कर विज्ञापनों पर कर, लौटरी/बैंटिंग/जुआ कर, वस्तुओं पर राज्यीय कर आदि थे।
ये सब कर (GST) में सम्मिलित हो गये हैं। मानव उपयोग के लिये मादक पेयों पर राज्य सरकारें वस्तु और सेवाकर लगाती रहेंगी। तम्बाकू तथा तम्बाकू पदार्थों पर वस्तु एवं सेवा कर तथा केन्द्रीय उत्पादन कर दोनों लगेंगे। वस्तु एवं सेवाकर के अन्तर्गत पूरे देश में वस्तुओं और अथवा वस्तुओं पर 6 मानक दरें जैसे, 0%, 3%, 5%, 12%, 18% तथा 28% लागू होगी।
उत्तर: राजस्व व्यय: ये वे व्यय हैं जिनसे किसी भी प्रकार की भौतिक या वित्तीय परिसम्पत्तियों का सृजन नहीं होता है। जैसे सरकार के सामान्य व्यय, सरकार द्वारा ऋण, व्याज अदायगी, अनुदान आदि।
पूँजीगत व्यय: पूँजीगत व्यय के अन्तर्गत भूमि अधिग्रहण, भवन निर्माण, मशीनरी, उपकरण, शेयरों में निवेश और केन्द्र सरकार के द्वारा अन्य राज्य सरकारों एवं संघ शासित प्रदेशों, सार्वजनिक उपक्रमों तथा अन्य पक्षों को प्रदान किये गए ऋण और अग्रिम संबंधी व्ययों को शामिल किया जाता है।
प्रश्न 10. राजकोषीय घाटा से सरकार को ऋण ग्रहण की आवश्यकता होती है, समझाइए।
उत्तर: राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और ऋण ग्रहण को छोड़कर कुल प्राप्तियों का अन्तर है अर्थात् दूसरे शब्दों में राजकोषीय घाटा सरकार की उधार सम्बन्धी आवश्यकताओं को प्रकट करता है, अत: राजकोषीय घाटा बजट व्यय को पूरा करने के लिए सरकार की उधार पर निर्भरता की मात्रा को दर्शाता है।
प्रश्न 11. राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा में संबंध बताइए।
उत्तर: राजस्व घाटा सरकार के राजस्व व्यय की राजस्व प्राप्तियों पर अधिकता को दर्शाता है जबकि राजकोषीय घाटा कुल व्यय जिसमें उधार को शामिल न किया जाए, की कुल प्राप्तियों पर अधिकता को दर्शाता है।
प्रश्न 12. राजकोषीय घाटे की माप कैसे की जाती है?
उत्तर : राजकोषीय घाटा बाजार की कुल प्राप्तियों और कुल व्यय के मध्य अन्तर है लेकिन उधार एवं अन्य देनदारियों को छोड़कर ।
राजकोषीय घाटे को उस राशि के रूप में परिभाषित किया जाता है जो सरकार सभी खर्चों को पूरा करने के लिए उधार लेती है। सरल शब्दों में, जब उधार को छोड़कर कुल व्यय, कुल राजस्व से अधिक हो जाता है तो इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है। इसकी गणना जीडीपी के प्रतिशत के रूप में की जाती है।
राजकोषीय घाटा मापने का सूत्र
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय - कुल राजस्व (उधार और अन्य देनदारियों को छोड़कर)।
प्रश्न 13. वस्तु एवं सेवाकर (GST) से आप क्या समझते हैं? पुरानी कर व्यवस्था के मुकाबले GST व्यवस्था कितनी श्रेष्ठ है? इसकी श्रेणियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: वस्तु एवं सेवा कर (GST): भारत में वस्तु एवं सेवाकर (GST) 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया। वस्तु एवं सेवा कर, उत्पाद को सेवा प्रदायकों से सीधे ही वस्तु एवं सेवाओं की पूर्ति पर लगाया गया एकल व्यापक अप्रत्यक्ष कर है। वस्तु एवं सेवाकर में पूरे देश में एक प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं पर एक समान दर से कर लगाया जाता है। इस कर में बड़ी संख्या में केन्द्रीय एवं राज्यकीय करों एवं उपकरों को मिला दिया गया है।
इसका उद्देश्य व्यवसायिक लागत और उपभोक्ताओं पर विभिन्न करों के प्रभाव को कम करना है। इसने केन्द्र/ राज्य/ केन्द्रशासित प्रदेशों के द्वारा लगाये गये विभिन्न प्रकार के करों/उपकरों को प्रतिस्थापित कर दिया है। केन्द्र द्वारा लगाये गये कुछ कर केन्द्रीय उत्पादन कर, सेवाकर, केन्द्रीय बिक्री कर और कृषि कल्याण कर, स्वच्छ भारत कर उपकर थे। राज्य के प्रमुखकर, वाट/सेल्सटैक्स, प्रवेशकर, विलासिता कर, चुंगी, मनोरंजन कर विज्ञापनों पर कर, लौटरी/बैंटिंग/जुआ कर, वस्तुओं पर राज्यीय कर आदि थे।
ये सब कर (GST) में सम्मिलित हो गये हैं। मानव उपयोग के लिये मादक पेयों पर राज्य सरकारें वस्तु और सेवाकर लगाती रहेंगी। तम्बाकू तथा तम्बाकू पदार्थों पर वस्तु एवं सेवा कर तथा केन्द्रीय उत्पादन कर दोनों लगेंगे। वस्तु एवं सेवाकर के अन्तर्गत पूरे देश में वस्तुओं और अथवा वस्तुओं पर 6 मानक दरें जैसे, 0%, 3%, 5%, 12%, 18% तथा 28% लागू होगी।
ASSESSMENT (मूल्यांकन)
ASSESSMENT (मूल्यांकन)
सभी प्रश्न करना अनिवार्य है। प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के होगें।