1. व्यष्टि अर्थशास्त्र - एक परिचय
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आर्थिक समस्या क्या है ? WATCH VIDEO 🔼
अर्थशास्त्र के महत्वपूर्ण बिन्दु (What is Microeconomics Key Points-HOTS)
- अर्थशास्त्र (Economics) शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों OIKOS(घरेलू) तथा NEMEIN(प्रबंध) से बना है।
- एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का पितामह (Father of Economics) माना जाता है।
- विश्व आर्थिक मंदी वर्ष 1929-30 में आई थी।
- नॉर्वे के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री तथा अर्थशास्त्र के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रैगनर फ़्रिश ने 1933 में अर्थशास्त्र को दो भागों में बांटा है-व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र ।
- अर्थशास्त्र की प्रकृति कला और विज्ञान दोनों हैं।
- विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान है और वास्तविक और आदर्शात्मक विज्ञान दोनों हैं।
🔰बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. किसी अर्थव्यवस्था में चयन की समस्या का कारण है ?
(a) संसाधनों की अधिकता
(b) प्रति व्यक्ति आय
(c) प्रौद्योगिकीय प्रगति
(d) संसाधनों की कमी
2. अर्थशास्त्र के जनक कौन थे-
(a) जे०बी० से
(b) माल्थस
(c) एडम स्मिथ
(d) रिकार्डो।
3. किसने कहा है कि 'अर्थशास्त्र चयन का तर्कशास्त्र है'-
(a) कीन्स
(b) हिक्स
(c) रोबिन्स
(d) मार्शल।
4. निम्न में से कौन-सी आर्थिक क्रियाएँ अर्थशास्त्र की अध्ययन सामग्री के अन्तर्गत सम्मिलित की जाती हैं-
(a) असीमित आवश्यकताओं से जुड़ी आर्थिक क्रियाएँ
(b) सीमित साधनों से जुड़ी आर्थिक क्रियाएँ
(c) 'a' व 'b' दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
5. किसने कहा है कि अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है-
(a) माल्थस
(b) एडम स्मिथ
(c) मार्शल
(d) रिकार्डों
6. व्यष्टि अर्थशास्त्र में सम्मिलित होती हैं-
(a) व्यक्तिगत इकाई
(b) छोटे-छोटे चर
(c) व्यक्तिगत मूल्य निर्धारण
(d) ये सभी।
7. व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत निम्न में से किसका अध्ययन किया जाता है-
(a) व्यक्तिगत इकाई
(b) आर्थिक समग्र
(c) राष्ट्रीय आय
(d) इनमें से कोई नहीं।
8. किस अर्थव्यवस्था में कीमत यन्त्र के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं-
(a) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
(b) समाजवादी अर्थव्यवस्था
(c) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(d) इनमें से कोई नहीं।
9. एक समाजवादी अर्थव्यवस्था का मूल उद्देश्य होता है-
(a) अधिकाधिक उत्पादन
(b) अधिकाधिक लाभ
(c) अधिकतम सामाजिक कल्याण
(d) आर्थिक स्वतन्त्रता ।
10. निम्न में से किस अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र का सह-अस्तित्व होता है-
(a) पूँजीवादी
(b) मिश्रित
(c) साम्यवादी
(d) समाजवादी।
(a) संसाधनों की अधिकता
(b) प्रति व्यक्ति आय
(c) प्रौद्योगिकीय प्रगति
(d) संसाधनों की कमी
2. अर्थशास्त्र के जनक कौन थे-
(a) जे०बी० से
(b) माल्थस
(c) एडम स्मिथ
(d) रिकार्डो।
3. किसने कहा है कि 'अर्थशास्त्र चयन का तर्कशास्त्र है'-
(a) कीन्स
(b) हिक्स
(c) रोबिन्स
(d) मार्शल।
4. निम्न में से कौन-सी आर्थिक क्रियाएँ अर्थशास्त्र की अध्ययन सामग्री के अन्तर्गत सम्मिलित की जाती हैं-
(a) असीमित आवश्यकताओं से जुड़ी आर्थिक क्रियाएँ
(b) सीमित साधनों से जुड़ी आर्थिक क्रियाएँ
(c) 'a' व 'b' दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
5. किसने कहा है कि अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है-
(a) माल्थस
(b) एडम स्मिथ
(c) मार्शल
(d) रिकार्डों
6. व्यष्टि अर्थशास्त्र में सम्मिलित होती हैं-
(a) व्यक्तिगत इकाई
(b) छोटे-छोटे चर
(c) व्यक्तिगत मूल्य निर्धारण
(d) ये सभी।
7. व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत निम्न में से किसका अध्ययन किया जाता है-
(a) व्यक्तिगत इकाई
(b) आर्थिक समग्र
(c) राष्ट्रीय आय
(d) इनमें से कोई नहीं।
8. किस अर्थव्यवस्था में कीमत यन्त्र के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं-
(a) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
(b) समाजवादी अर्थव्यवस्था
(c) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(d) इनमें से कोई नहीं।
9. एक समाजवादी अर्थव्यवस्था का मूल उद्देश्य होता है-
(a) अधिकाधिक उत्पादन
(b) अधिकाधिक लाभ
(c) अधिकतम सामाजिक कल्याण
(d) आर्थिक स्वतन्त्रता ।
10. निम्न में से किस अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र का सह-अस्तित्व होता है-
(a) पूँजीवादी
(b) मिश्रित
(c) साम्यवादी
(d) समाजवादी।
🔰निशिचत तथा अति लधु प्रश्नोत्तर
1. अर्थशास्त्र किसे कहते है ?
" अर्थशास्त्र सीमित साधनों, असीमित आवश्यकताओं, वैकल्पिक प्रयोगों तथा विशेष प्रयोग के चुनाव का अध्ययन करता है।"
2. व्यष्टि अर्थशास्त्र किसे कहते है ?
व्यष्टि अर्थशास्त्र छोटे स्तर पर आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है जिसमें एक उपभोक्ता, एक उत्पादक, एक फर्म अथवा एक उद्योग का अध्ययन किया जाता है।
3. आर्थिक क्रिया किसे कहते है ?
"उस क्रिया को आर्थिक क्रिया कहते हैं जिसका सम्बन्ध मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए सीमित साधनों के उपयोग से होता है।"
4. आर्थिक समस्याओं का क्या अर्थ है ?
असीमित आवश्यकताओं,सीमित साधनों एवं उनके वैकल्पिक प्रयोग के कारण उत्पन्न चयन की समय ही आर्थिक समस्या है।
5. अर्थशास्त्र का जनक कौन है ?
एडम स्मिथ
6. सीमितता का क्या अर्थ है ?
सीमितता का अर्थ है साधनों की कुल पूर्ति उनकी कुल माँग से कम है।
7. चयन की समस्या क्या है ?
मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित है और उनको पुरे करने वाले साधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है जिनका वैकल्पिक प्र्रयोग सम्भव है। इन साधनों से किस आवश्यकता को पहले सन्तुष्टि किया जाए और किसे बाद में, यही चयन की समस्या है।
8. वास्तविक अर्थशास्त्र किसे कहते है ?
जो किसी तथ्य के कारण तथा परिणाम दोनों का अध्ययन करता है उसे वास्तविक अर्थशास्त्र कहते है।
9. अवसर लागत किसे है ?
एक वस्तु की कुछ अधिक मात्रा प्राप्त करने के बदले दूसरी वस्तु की कुछ मात्रा को छोड़ना पड़ता है। इस एक अतिरिक्त इकाई को प्राप्त करने को ही अवसर लागत कहते है।
10. उत्पादन सम्भावना वक्र क्या है ?
उत्पादन सम्भावना वक्र दो वस्तुओं के सभी संयोगों को बताता है जिससे सन्तुष्टि प्राप्त होती है।
11. भारत में किस प्रकार की अर्थव्यवस्था पाई जाती है ?
मिश्रित अर्थव्यवस्था
12. संसाधनों से क्या अभिप्राय है ?
संसाधनों उन वस्तुओं तथा सेवाओं से है जिनका उपयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करने में होता है। जैसे भूमि, श्रम, पूँजी, मशीनें आदि।
13. मध्यवर्ती वस्तुएँ किन्हें कहते है ?
वे वस्तुएँ जिनका उपयोग किन्हीं अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए किया जाता है उसे मध्यवर्ती वस्तुएँ कहते है।
14. अर्थव्यवस्था की तीन केन्द्रीय समस्याएँ क्या है ?
1. किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में
2. उत्पादन कैसे किया जाए।
3. उत्पादन किसके लिए किया जाए।
15. बाजार अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
बाजार अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक क्रियाकलापों का निर्धारण बाजार की स्थितियों के अनुसार होता है। बाजार में वस्तुओं की कीमत का निर्धारण माँग और पूर्ति की सापेक्षिक के द्वारा निधारित होता है।
16. अर्थव्यवस्था क्या है ?
अर्थव्यवस्था से अभिप्राय किसी क्षेत्र विशेष में होने वाली समस्त आर्थिक क्रियाओं उत्पादन उपभोग विनिमय निवेश इत्यादि के सामूहिक स्वरूप ढांचे से है या क्षेत्र विशेष एक लघु क्षेत्र जिला राज्य देश या समस्त विश्व हो सकता है|
17. सकारात्मक अर्थशास्त्र क्या है ?
सकारात्मक अर्थशास्त्र है जो तथ्यों का उसी रूप में अध्ययन करता है जिसमें वह पाए जाते हैं यहां इस प्रकार का निर्णय या सुझाव नहीं देता कि क्या सही है और क्या गलत है यहां कारण और परिणाम के संबंध का विश्लेषण करता है जैसे भारत में बेरोजगारी की समस्या है|
18. आदर्शत्मक अर्थशास्त्र क्या है ?
आदर्शत्मक वह विज्ञान है जो आर्थिक घटनाओं का परीक्षण करता है कि क्या सही है और क्या गलत और इस आधार पर सुझाव देता है कि क्या होना चाहिए जैसे सरकार को बेरोजगारी की समस्या दूर करना चाहिए|
19. आर्थिक समस्या क्या है ?
आर्थिक समस्या चैन की समस्या चयन उत्पन्न होने के कारण मानवीय आवश्यकताएं असीमित अनंत है अनंत मानवीय आवश्यकताओं को पूर्ण करने वाले संसाधन सीमित होते हैं संसाधनों के वैकल्पिक उपयोग होते हैं|
20. उत्पादन संभावना वक्र क्या है ?
उत्पादन संभावना वक्र वह वक्र है जो दो वस्तुओं के उन विभिन्न संभावित संयोग ओं को बताता है सहयोग संयोग चिन्ह एक अर्थव्यवस्था उपलब्ध तकनीकी व संसाधनों के द्वारा उत्पादित कर सकती है नेम इसे निम्न तालिका तथा चित्र द्वारा स्पष्ट किया गया है|
" अर्थशास्त्र सीमित साधनों, असीमित आवश्यकताओं, वैकल्पिक प्रयोगों तथा विशेष प्रयोग के चुनाव का अध्ययन करता है।"
2. व्यष्टि अर्थशास्त्र किसे कहते है ?
व्यष्टि अर्थशास्त्र छोटे स्तर पर आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है जिसमें एक उपभोक्ता, एक उत्पादक, एक फर्म अथवा एक उद्योग का अध्ययन किया जाता है।
3. आर्थिक क्रिया किसे कहते है ?
"उस क्रिया को आर्थिक क्रिया कहते हैं जिसका सम्बन्ध मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए सीमित साधनों के उपयोग से होता है।"
4. आर्थिक समस्याओं का क्या अर्थ है ?
असीमित आवश्यकताओं,सीमित साधनों एवं उनके वैकल्पिक प्रयोग के कारण उत्पन्न चयन की समय ही आर्थिक समस्या है।
5. अर्थशास्त्र का जनक कौन है ?
एडम स्मिथ
6. सीमितता का क्या अर्थ है ?
सीमितता का अर्थ है साधनों की कुल पूर्ति उनकी कुल माँग से कम है।
7. चयन की समस्या क्या है ?
मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित है और उनको पुरे करने वाले साधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है जिनका वैकल्पिक प्र्रयोग सम्भव है। इन साधनों से किस आवश्यकता को पहले सन्तुष्टि किया जाए और किसे बाद में, यही चयन की समस्या है।
8. वास्तविक अर्थशास्त्र किसे कहते है ?
जो किसी तथ्य के कारण तथा परिणाम दोनों का अध्ययन करता है उसे वास्तविक अर्थशास्त्र कहते है।
9. अवसर लागत किसे है ?
एक वस्तु की कुछ अधिक मात्रा प्राप्त करने के बदले दूसरी वस्तु की कुछ मात्रा को छोड़ना पड़ता है। इस एक अतिरिक्त इकाई को प्राप्त करने को ही अवसर लागत कहते है।
10. उत्पादन सम्भावना वक्र क्या है ?
उत्पादन सम्भावना वक्र दो वस्तुओं के सभी संयोगों को बताता है जिससे सन्तुष्टि प्राप्त होती है।
11. भारत में किस प्रकार की अर्थव्यवस्था पाई जाती है ?
मिश्रित अर्थव्यवस्था
12. संसाधनों से क्या अभिप्राय है ?
संसाधनों उन वस्तुओं तथा सेवाओं से है जिनका उपयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करने में होता है। जैसे भूमि, श्रम, पूँजी, मशीनें आदि।
13. मध्यवर्ती वस्तुएँ किन्हें कहते है ?
वे वस्तुएँ जिनका उपयोग किन्हीं अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए किया जाता है उसे मध्यवर्ती वस्तुएँ कहते है।
14. अर्थव्यवस्था की तीन केन्द्रीय समस्याएँ क्या है ?
1. किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में
2. उत्पादन कैसे किया जाए।
3. उत्पादन किसके लिए किया जाए।
15. बाजार अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
बाजार अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक क्रियाकलापों का निर्धारण बाजार की स्थितियों के अनुसार होता है। बाजार में वस्तुओं की कीमत का निर्धारण माँग और पूर्ति की सापेक्षिक के द्वारा निधारित होता है।
16. अर्थव्यवस्था क्या है ?
अर्थव्यवस्था से अभिप्राय किसी क्षेत्र विशेष में होने वाली समस्त आर्थिक क्रियाओं उत्पादन उपभोग विनिमय निवेश इत्यादि के सामूहिक स्वरूप ढांचे से है या क्षेत्र विशेष एक लघु क्षेत्र जिला राज्य देश या समस्त विश्व हो सकता है|
17. सकारात्मक अर्थशास्त्र क्या है ?
सकारात्मक अर्थशास्त्र है जो तथ्यों का उसी रूप में अध्ययन करता है जिसमें वह पाए जाते हैं यहां इस प्रकार का निर्णय या सुझाव नहीं देता कि क्या सही है और क्या गलत है यहां कारण और परिणाम के संबंध का विश्लेषण करता है जैसे भारत में बेरोजगारी की समस्या है|
18. आदर्शत्मक अर्थशास्त्र क्या है ?
आदर्शत्मक वह विज्ञान है जो आर्थिक घटनाओं का परीक्षण करता है कि क्या सही है और क्या गलत और इस आधार पर सुझाव देता है कि क्या होना चाहिए जैसे सरकार को बेरोजगारी की समस्या दूर करना चाहिए|
19. आर्थिक समस्या क्या है ?
आर्थिक समस्या चैन की समस्या चयन उत्पन्न होने के कारण मानवीय आवश्यकताएं असीमित अनंत है अनंत मानवीय आवश्यकताओं को पूर्ण करने वाले संसाधन सीमित होते हैं संसाधनों के वैकल्पिक उपयोग होते हैं|
20. उत्पादन संभावना वक्र क्या है ?
उत्पादन संभावना वक्र वह वक्र है जो दो वस्तुओं के उन विभिन्न संभावित संयोग ओं को बताता है सहयोग संयोग चिन्ह एक अर्थव्यवस्था उपलब्ध तकनीकी व संसाधनों के द्वारा उत्पादित कर सकती है नेम इसे निम्न तालिका तथा चित्र द्वारा स्पष्ट किया गया है|
🔰विस्तृत प्रश्नोत्तर
. अर्थशास्त्र क्या है ? उसकी विभिन्न प्रकार की परिभाषा दीजिऐ ?
अर्थशास्त्र का अर्थ और परिभाषा-
अर्थशास्त्र 2 शब्दों से मिल कर बना है- अर्थ=धन और शास्त्र=वैज्ञानिक अध्ययन । अर्थात अर्थशास्त्र वह शास्त्र है, जिसमें मनुष्य की धन संबंधी क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। अंग्रेजी भाषा में अर्थशास्त्र को ECONOMICS कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा का यह शब्द ग्रीक भाषा के 2 शब्दों यानी OIKOS(घरेलू) तथा NEMEIN(प्रबंध) से लिया गया है। इसका अर्थ होता है गृह प्रबंध।
प्रत्येक गृहस्थ की आवश्यकताएं असीमित होती है, परंतु उन्हें संतुष्ट करने वाले अधिकतर साधन जैसे-कपड़ा,भोजन, आय आदि सीमित होते हैं । इन्हीं सीमित साधनों को धन कहा जाता है । प्रत्येक गृहस्थ अपने धन का उचित उपयोग इस तरह से करता है जिससे वह अपनी अधिक से अधिक आवश्यकताओं को संतुष्ट कर सके। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उसे अर्थशास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता होगी।
अर्थशास्त्र की परिभाषा
अर्थशास्त्र एक विकासशील शास्त्र है। समय-समय पर विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने इसकी अलग-अलग परिभाषाएं दी है। अर्थशास्त्र की परिभाषाओं को हम निम्नलिखित भागों में बांट सकते हैं-
1-धन संबंधी परिभाषा (Wealth definition of Economics)
आधुनिक अर्थशास्त्र के पिता एडम स्मिथ ने 1776 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘An enquiry into the nature and causes of wealth of nation’ में अर्थशास्त्र की निम्न परिभाषा दी है-“अर्थशास्त्र राष्ट्रों के धन की प्रकृति तथा कारणों की खोज है।”
2-भौतिक कल्याण संबंधी परिभाषा (Material Welfare definition of Economics)
डॉ मार्शल ने 1890 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘Principle of Economics’ में अर्थशास्त्र के निम्न परिभाषा दी है-“अर्थशास्त्र जीवन के साधारण व्यवसाय के संबंध में मानव जाति का अध्ययन है। यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक कार्यों के उस भाग का अध्ययन करता है, जिसका घनिष्ठ संबंध कल्याण प्रदान करने वाले भौतिक पदार्थों की प्राप्ति तथा उनका उपयोग करने से है।”
3-दुर्लभता संबंधी परिभाषा (Scarcity definition of Economics)
रॉबिंस ने 1932 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “AN ESSAY ON THE NATURE AND SIGNIGICANCE OF ECONOMICS SCIENCE” में अर्थशास्त्र की दुर्लभता संबंधी परिभाषा दी है।
रॉबिन्स के अनुसार-“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो विभिन्न उपयोगों वाले सीमित साधनों तथा उद्देश्य से संबंध रखने वाले मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है।”
4-विकास केंद्रित परिभाषा (Growth Oriented definition of Economics)
आधुनिक अर्थशास्त्री जैसे नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री प्रोफेसर सेमुअलसन, पीटरसन, फर्गुसन आदि के अनुसार – “अर्थशास्त्र वह शास्त्र है जिसमें मनुष्य के उन कार्यों का अध्ययन किया जाता है जो वे अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के लिए सीमित साधनों के उचित प्रयोग के संबंध में करते हैं।“
2. अर्थशास्त्र के कौन से दो भाग है ?
अर्थशास्त्र के दो भाग व्यष्टि और समष्टि अर्थशास्त्र है
नॉर्वे के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री तथा अर्थशास्त्र के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रैगनर फ़्रिश ने 1933 में अर्थशास्त्र को दो भागों में बांटा है-व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र ।
A-व्यष्टि अर्थशास्त्र (MICRO ECONOMICS) अंग्रेजी भाषा में व्यष्टि को MICRO कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा का यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्द (MIKROS) से लिया गया है, जिसका अर्थ है-छोटा।
व्यष्टि अर्थशास्त्र में केवल एक आर्थिक इकाई की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे एक गृहस्थ की आय का अध्ययन या एक फर्म के उत्पादन का अध्ययन। प्रोफ़ेसर बोर्डिंग के अनुसार-“व्यष्टि अर्थशास्त्र में केवल फर्म, एक गृहस्थ, व्यक्तिगत कीमत, मजदूरी, आय, उद्योग तथा वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है।“
B-समष्टि अर्थशास्त्र (MACRO ECONOMICS)अंग्रेजी भाषा में समष्टि को MACRO कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा का यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्द (MAKROS) से लिया गया है। जिसका अर्थ है-बड़ा
समष्टि अर्थशास्त्र में संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक क्रियाओं तथा आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है । राष्ट्रीय आय और रोजगार और कीमत स्तर यह विषय समष्टि अर्थशास्त्र के मूल अंग है।
3. व्यष्टि अर्थशास्त्र के विषय सामग्री को कितने भागें में बांटा गया है ?
1-मांग का सिद्धांत–
व्यष्टि अर्थशास्त्र में यह अध्ययन किया जाता है कि किसी वस्तु की मांग कैसे निर्धारित होती है? इसके अंतर्गत मांग के सिद्धांत का भी अध्ययन किया जाता है।
2-उत्पादन का सिद्धांत–
व्यष्टि अर्थशास्त्र में उत्पादन के सिद्धांत का भी अध्ययन किया जाता है एक फर्म विभिन्न साधनों को एकत्रित करके उत्पादन करती है। इसके अंतर्गत उत्पादन के नियमों का अध्ययन भी किया जाता है ।
3-कीमत निर्धारण का सिद्धांत–
एक फर्म अपने उत्पादन को विभिन्न उपभोक्ताओं को किस कीमत पर बेचती है, इसका अध्ययन कीमत निर्धारण सिद्धांत के अंतर्गत किया जाता है। इस सिद्धांत में मांग व पूर्ति की दशाओं का भी विश्लेषण किया जाता है ।
4-साधन कीमत का सिद्धांत–
किसी भी वस्तु का उत्पादन करने के लिए चार साधनों की आवश्यकता होती है। भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमी । एक फर्म को अपना उत्पादन बेचने से जो आय प्राप्त होती है उसे इन चार साधनों में (क्रमशः लगान, मजदूरी, ब्याज और लाभ) बांटने का अध्ययन भी इसी साधन कीमत सिद्धांत के अंतर्गत किया जाता है। इसे साधन या कारक कीमत का सिद्धांत भी कहा जाता है।
4. व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन का महत्व ?
व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन के निम्न लाभ है
1-अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली– व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा एक अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इसे हमें ज्ञात होता है कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न अंग जैसे उपभोक्ता, फर्म आदि कुशलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं अथवा नहीं। प्रो. वाटसन के अनुसार,“व्यष्टि अर्थशास्त्र के कई उपयोग हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण उपयोगी है समझाने में है कि अर्थव्यवस्था किस प्रकार कार्य करती है।”
2-भविष्यवाणी– व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन करके हम आर्थिक भविष्यवाणी कर सकते हैं। क्योंकि यदि एक विशेष घटना घटी है तो उसके कुछ विशेष परिणाम निकलेंगे। उदाहरण के लिए यदि किसी वस्तु की मांग बढ़ती है तो उसकी कीमतों में बढ़ने की संभावना होती है।
3-आर्थिक नीतियां– व्यष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग आर्थिक नीति बनाने में भी किया जाता है। कीमत नीति एक ऐसा उपकरण है जो इस कार्य में बहुत सहायक होती है। इसमें हम अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले सरकारी नीतियों का विश्लेषण कर सकते हैं।
4-आर्थिक कल्याण– व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा आर्थिक कल्याण के लिए आवश्यक विभिन्न शर्तों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र इस बात का सुझाव देता है कि आर्थिक कल्याण के आदर्श को कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
5-प्रबंध संबंधी निर्णय- व्यष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग प्रबंध-संबंधी निर्णय लेने में भी किया जाता है। उदाहरण के लिए लागतों तथा मांग का विश्लेषण करके फ़र्मे अपनी नीतियां निर्धारित करते हैं ।
6-अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सहयोग– व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्यापार की समस्याओं जैसे व्यापार-शेष संतुलन, विदेशी विनिमय दर आदि को साझा किया जाता है।
5. अर्थशास्त्र की प्रकृति कैसी है ?
अर्थशास्त्र की प्रकृति को दो भागों में बांटा जा सकता है। एक विज्ञान के रूप में और दूसरा कला के रूप में।
A-अर्थशास्त्र विज्ञान है प्रोफेसर सैलिगमैन के अनुसार विज्ञान दो प्रकार का हो सकता है- 1) सामाजिक विज्ञान, 2) प्राकृतिक विज्ञान। अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, क्योंकि इसका संबंध मनुष्यों से है। जबकि भौतिकी, रसायन आदि प्राकृतिक विज्ञान है। अर्थशास्त्र को सामाजिक विज्ञान मानने के निम्न कारण है-
1-क्रमागत अध्ययन एक सामाजिक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र में मनुष्य के व्यवहार का क्रमागत अध्ययन किया जाता है।
2-वैज्ञानिक नियम अर्थशास्त्र के नियम जैसे मांग का नियम पूर्ति का नियम आदि वैज्ञानिक नियम है। यह नियम विभिन्न चरों के कारण तथा परिणाम में संबंध स्थापित करते हैं उदाहरण- मांग के नियम से प्रकट होता है कि किसी वस्तु की कीमत बढ़ने से उसकी मांग कम हो जाएगी। इस तरह से अर्थशास्त्र के नियम, वैज्ञानिक नियमों की भांति लागू होते हैं ।
3-नियमों की सत्यता प्रत्येक विज्ञान अपने नियमों की सत्यता की जांच करता है। अर्थशास्त्र में भी विभिन्न नियमों की सत्यता की जांच की जा सकती है।
6. अर्थशास्त्र एक वास्तविक (POSITIVE), आदर्शात्मक (NORMATIVE) विज्ञानऔर कला के रूप में से कौन सा है ?
वास्तविक विज्ञान के रूप में- वास्तविक विज्ञान वह विज्ञान है जिसमें किसी विषय की सही तथा वास्तविक स्थिति का अध्ययन किया जाता है। एक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र के कथन वास्तविक कथन होते हैं। वास्तविक कथन वे कथन होते हैं जिन से ज्ञात होता है कि “क्या है? क्या था> तथा विशेष परिस्थितियों में क्या होगा ? उदाहरणतया- भारत के जनसंख्या 125 करोड़ है। भारत की विकास दर 7% है। यह वास्तविक विज्ञान कथन के उदाहरण है।
आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में- प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जैसे मार्शल, पीगू आदि यह मानते थे कि अर्थशास्त्री आदर्शात्मक विज्ञान भी है। आदर्शात्मक विज्ञान वह विज्ञान है जिसमें क्या होना चाहिए का अध्ययन किया जाता है। उदाहरण के लिए भारत की जनसंख्या पर नियंत्रण होना चाहिए। भारत की विकास दर 10% से अधिक होनी चाहिए। कीमतों में स्थिरता पाए जानी चाहिए। आय का समान वितरण होना चाहिए। संक्षेप में अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान भी है और आदर्शात्मक विज्ञान भी है।
अर्थशास्त्र कला का कला के रूप में
किसी निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ज्ञान का व्यवहारिक प्रयोग कला कहलाता है। अर्थशास्त्र में विभिन्न उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अर्थशास्त्र के सिद्धांतों का व्यवहारिक रूप में प्रयोग किया जाता है। अतः अर्थशास्त्र को एक कला के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। प्रो. जे. एम. केन्ज ने कला के स्थान पर व्यावहारिक अर्थशास्त्र शब्द का प्रयोग किया है। आधुनिक अर्थशास्त्री कला के लिए आर्थिक नीति शब्द का प्रयोग करते हैं ।
अंत में हम कह सकते हैं कि अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों ही हैं। प्रोफेसर चेपमेन में ने ठीक ही कहा है कि “अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान है जो आर्थिक तथ्यों की वास्तविक स्थिति से संबंधित है और एक कला है जो इस प्रकार के उपाय और साधन ढूंढता है जिनसे इच्छित लक्ष्य प्राप्त किए जा सकें।“
7. आर्थिक समस्या क्या है ? यह क्यों उत्पन्न होती है ?
आर्थिक समस्या मूल रूप में साधनों की दुर्लभता के कारण होती है। दुर्लभता का अर्थ माँग की तुलना में पूर्ति का कम होना है। मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित है किन्तु उसके पास इन आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए साधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। अतः सीमित साधनों से वह अपनी सभी आवश्यकताओं को सन्तुष्टि नहीं कर सकता है। अतः प्रत्येक उपभोक्ता का यह प्रयास होता है कि वह कम साधनों से अधिक से अधिक सन्तुष्टि प्राप्त कर सके। इसलिए उसे यह चयन करना पड़ता है कि किन वस्तुओं का कितनी मात्रा में उपभोग करे। चयन की समस्या ही आर्थिक समस्या को जन्म देती है। चयन की समस्या को ही आर्थिक समस्या कहते है।
जिस प्रकार व्यक्ति विशेष के पास साधन सीमित है और आवश्यकताएँ असीमित है, उसी प्रकार एक अर्थव्यस्था (देश) के पास भी साधन सीमित होते है और लक्ष्य या योजना असीमित होती है। साधनों की सीमितता के कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है। जैसे
1. किस वस्तु का उत्पादन किया जाए ?
2. उत्पादन के लिए किस तकनीक को उपनाया जाए ?
3. उत्पादन किसके लिए किया जाए ?
आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के कारण
1 .असीमित मानवीय आवश्यकताएँ - मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित है और उनको पुरे करने वाले साधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए उपभोक्ता सबसे पहले तीव्र आवश्यकताओं को पुरे करने का प्रयास करता है।
2. सीमित साधन - आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य के पास सीमित मात्रा में साधन उपलब्ध होते है। जिनसे वह अपनी सभी आवश्यकताओं की पुर्ति एक साथ नहीं कर सकता।
3. साधनों के वैकल्पिक प्रयोग सम्भव होना - सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग हो सकते है। जैसे दूध का प्रयोग दही, मिठाई बनाने आदि में किया जाता है।
असीमित आवश्यकताओं, सीमित साधनों एवं साधनों के वैकल्पिक प्रयोग होने के कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है। यही आर्थिक समस्या है।
8. अर्थशास्त्र की विषय सामग्री क्या है ?
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री को पांच भागों में बांटा गया है
1.उपभोग - वस्तुओं और सेवाओं की उपयोगिता को नष्ट करना या कम करना ही उपभोग कहलाता है उपभोग के अंतर्गत आवश्यकताओं उनके लक्षण वर्गीकरण तथा संतुष्टि करने की विधि का अध्ययन किया जाता है
2. उत्पादन - माननीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसी वस्तु में उपयोगिता का सर्जन करना उत्पादन कहलाता है| उत्पादन के इस विभाग में उत्पत्ति तथा उत्पादन के साधन उनके लक्ष्य और कार्य क्षमता उत्पत्ति के नियम व उत्पत्ति की अन्य समस्याओं का अध्ययन किया जाता है|
3. विनिमय - में विनिमय का अर्थ वस्तु की अदला बदली से है इस विभाग के अंतर्गत कीमत निर्धारण में बाजार के रूप मुद्रा बैंकिंग बीमा एवं व्यापार आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है|
4. वितरण - उत्पत्ति या उत्पादन के विभिन्न साधनों के सामूहिक सहयोग से जो उत्पादन/ आय सृजित होती है उसको विभिन्न साधनों में उनके प्रतिफल के रूप में बांटना ही वितरण का अध्ययन है इसमें लाभ लगान ब्याज मजदूरी और वेतन का अध्ययन किया जाता है|
5. राजस्व - राजस्व के अंतर्गत सरकार की आय-व्यय बजट सार्वजनिक ऋण तथा वित्तीय प्रशासन आदि से संबंधित समस्याएं का अध्ययन किया जाता है|
अर्थशास्त्र का अर्थ और परिभाषा-
अर्थशास्त्र 2 शब्दों से मिल कर बना है- अर्थ=धन और शास्त्र=वैज्ञानिक अध्ययन । अर्थात अर्थशास्त्र वह शास्त्र है, जिसमें मनुष्य की धन संबंधी क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। अंग्रेजी भाषा में अर्थशास्त्र को ECONOMICS कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा का यह शब्द ग्रीक भाषा के 2 शब्दों यानी OIKOS(घरेलू) तथा NEMEIN(प्रबंध) से लिया गया है। इसका अर्थ होता है गृह प्रबंध।
प्रत्येक गृहस्थ की आवश्यकताएं असीमित होती है, परंतु उन्हें संतुष्ट करने वाले अधिकतर साधन जैसे-कपड़ा,भोजन, आय आदि सीमित होते हैं । इन्हीं सीमित साधनों को धन कहा जाता है । प्रत्येक गृहस्थ अपने धन का उचित उपयोग इस तरह से करता है जिससे वह अपनी अधिक से अधिक आवश्यकताओं को संतुष्ट कर सके। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उसे अर्थशास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता होगी।
अर्थशास्त्र की परिभाषा
अर्थशास्त्र एक विकासशील शास्त्र है। समय-समय पर विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने इसकी अलग-अलग परिभाषाएं दी है। अर्थशास्त्र की परिभाषाओं को हम निम्नलिखित भागों में बांट सकते हैं-
1-धन संबंधी परिभाषा (Wealth definition of Economics)
आधुनिक अर्थशास्त्र के पिता एडम स्मिथ ने 1776 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘An enquiry into the nature and causes of wealth of nation’ में अर्थशास्त्र की निम्न परिभाषा दी है-“अर्थशास्त्र राष्ट्रों के धन की प्रकृति तथा कारणों की खोज है।”
2-भौतिक कल्याण संबंधी परिभाषा (Material Welfare definition of Economics)
डॉ मार्शल ने 1890 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘Principle of Economics’ में अर्थशास्त्र के निम्न परिभाषा दी है-“अर्थशास्त्र जीवन के साधारण व्यवसाय के संबंध में मानव जाति का अध्ययन है। यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक कार्यों के उस भाग का अध्ययन करता है, जिसका घनिष्ठ संबंध कल्याण प्रदान करने वाले भौतिक पदार्थों की प्राप्ति तथा उनका उपयोग करने से है।”
3-दुर्लभता संबंधी परिभाषा (Scarcity definition of Economics)
रॉबिंस ने 1932 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “AN ESSAY ON THE NATURE AND SIGNIGICANCE OF ECONOMICS SCIENCE” में अर्थशास्त्र की दुर्लभता संबंधी परिभाषा दी है।
रॉबिन्स के अनुसार-“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो विभिन्न उपयोगों वाले सीमित साधनों तथा उद्देश्य से संबंध रखने वाले मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है।”
4-विकास केंद्रित परिभाषा (Growth Oriented definition of Economics)
आधुनिक अर्थशास्त्री जैसे नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री प्रोफेसर सेमुअलसन, पीटरसन, फर्गुसन आदि के अनुसार – “अर्थशास्त्र वह शास्त्र है जिसमें मनुष्य के उन कार्यों का अध्ययन किया जाता है जो वे अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के लिए सीमित साधनों के उचित प्रयोग के संबंध में करते हैं।“
2. अर्थशास्त्र के कौन से दो भाग है ?
अर्थशास्त्र के दो भाग व्यष्टि और समष्टि अर्थशास्त्र है
नॉर्वे के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री तथा अर्थशास्त्र के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रैगनर फ़्रिश ने 1933 में अर्थशास्त्र को दो भागों में बांटा है-व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र ।
A-व्यष्टि अर्थशास्त्र (MICRO ECONOMICS) अंग्रेजी भाषा में व्यष्टि को MICRO कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा का यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्द (MIKROS) से लिया गया है, जिसका अर्थ है-छोटा।
व्यष्टि अर्थशास्त्र में केवल एक आर्थिक इकाई की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे एक गृहस्थ की आय का अध्ययन या एक फर्म के उत्पादन का अध्ययन। प्रोफ़ेसर बोर्डिंग के अनुसार-“व्यष्टि अर्थशास्त्र में केवल फर्म, एक गृहस्थ, व्यक्तिगत कीमत, मजदूरी, आय, उद्योग तथा वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है।“
B-समष्टि अर्थशास्त्र (MACRO ECONOMICS)अंग्रेजी भाषा में समष्टि को MACRO कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा का यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्द (MAKROS) से लिया गया है। जिसका अर्थ है-बड़ा
समष्टि अर्थशास्त्र में संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक क्रियाओं तथा आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है । राष्ट्रीय आय और रोजगार और कीमत स्तर यह विषय समष्टि अर्थशास्त्र के मूल अंग है।
3. व्यष्टि अर्थशास्त्र के विषय सामग्री को कितने भागें में बांटा गया है ?
1-मांग का सिद्धांत–
व्यष्टि अर्थशास्त्र में यह अध्ययन किया जाता है कि किसी वस्तु की मांग कैसे निर्धारित होती है? इसके अंतर्गत मांग के सिद्धांत का भी अध्ययन किया जाता है।
2-उत्पादन का सिद्धांत–
व्यष्टि अर्थशास्त्र में उत्पादन के सिद्धांत का भी अध्ययन किया जाता है एक फर्म विभिन्न साधनों को एकत्रित करके उत्पादन करती है। इसके अंतर्गत उत्पादन के नियमों का अध्ययन भी किया जाता है ।
3-कीमत निर्धारण का सिद्धांत–
एक फर्म अपने उत्पादन को विभिन्न उपभोक्ताओं को किस कीमत पर बेचती है, इसका अध्ययन कीमत निर्धारण सिद्धांत के अंतर्गत किया जाता है। इस सिद्धांत में मांग व पूर्ति की दशाओं का भी विश्लेषण किया जाता है ।
4-साधन कीमत का सिद्धांत–
किसी भी वस्तु का उत्पादन करने के लिए चार साधनों की आवश्यकता होती है। भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमी । एक फर्म को अपना उत्पादन बेचने से जो आय प्राप्त होती है उसे इन चार साधनों में (क्रमशः लगान, मजदूरी, ब्याज और लाभ) बांटने का अध्ययन भी इसी साधन कीमत सिद्धांत के अंतर्गत किया जाता है। इसे साधन या कारक कीमत का सिद्धांत भी कहा जाता है।
4. व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन का महत्व ?
व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन के निम्न लाभ है
1-अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली– व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा एक अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इसे हमें ज्ञात होता है कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न अंग जैसे उपभोक्ता, फर्म आदि कुशलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं अथवा नहीं। प्रो. वाटसन के अनुसार,“व्यष्टि अर्थशास्त्र के कई उपयोग हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण उपयोगी है समझाने में है कि अर्थव्यवस्था किस प्रकार कार्य करती है।”
2-भविष्यवाणी– व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन करके हम आर्थिक भविष्यवाणी कर सकते हैं। क्योंकि यदि एक विशेष घटना घटी है तो उसके कुछ विशेष परिणाम निकलेंगे। उदाहरण के लिए यदि किसी वस्तु की मांग बढ़ती है तो उसकी कीमतों में बढ़ने की संभावना होती है।
3-आर्थिक नीतियां– व्यष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग आर्थिक नीति बनाने में भी किया जाता है। कीमत नीति एक ऐसा उपकरण है जो इस कार्य में बहुत सहायक होती है। इसमें हम अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले सरकारी नीतियों का विश्लेषण कर सकते हैं।
4-आर्थिक कल्याण– व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा आर्थिक कल्याण के लिए आवश्यक विभिन्न शर्तों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र इस बात का सुझाव देता है कि आर्थिक कल्याण के आदर्श को कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
5-प्रबंध संबंधी निर्णय- व्यष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग प्रबंध-संबंधी निर्णय लेने में भी किया जाता है। उदाहरण के लिए लागतों तथा मांग का विश्लेषण करके फ़र्मे अपनी नीतियां निर्धारित करते हैं ।
6-अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सहयोग– व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्यापार की समस्याओं जैसे व्यापार-शेष संतुलन, विदेशी विनिमय दर आदि को साझा किया जाता है।
5. अर्थशास्त्र की प्रकृति कैसी है ?
अर्थशास्त्र की प्रकृति को दो भागों में बांटा जा सकता है। एक विज्ञान के रूप में और दूसरा कला के रूप में।
A-अर्थशास्त्र विज्ञान है प्रोफेसर सैलिगमैन के अनुसार विज्ञान दो प्रकार का हो सकता है- 1) सामाजिक विज्ञान, 2) प्राकृतिक विज्ञान। अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, क्योंकि इसका संबंध मनुष्यों से है। जबकि भौतिकी, रसायन आदि प्राकृतिक विज्ञान है। अर्थशास्त्र को सामाजिक विज्ञान मानने के निम्न कारण है-
1-क्रमागत अध्ययन एक सामाजिक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र में मनुष्य के व्यवहार का क्रमागत अध्ययन किया जाता है।
2-वैज्ञानिक नियम अर्थशास्त्र के नियम जैसे मांग का नियम पूर्ति का नियम आदि वैज्ञानिक नियम है। यह नियम विभिन्न चरों के कारण तथा परिणाम में संबंध स्थापित करते हैं उदाहरण- मांग के नियम से प्रकट होता है कि किसी वस्तु की कीमत बढ़ने से उसकी मांग कम हो जाएगी। इस तरह से अर्थशास्त्र के नियम, वैज्ञानिक नियमों की भांति लागू होते हैं ।
3-नियमों की सत्यता प्रत्येक विज्ञान अपने नियमों की सत्यता की जांच करता है। अर्थशास्त्र में भी विभिन्न नियमों की सत्यता की जांच की जा सकती है।
6. अर्थशास्त्र एक वास्तविक (POSITIVE), आदर्शात्मक (NORMATIVE) विज्ञानऔर कला के रूप में से कौन सा है ?
वास्तविक विज्ञान के रूप में- वास्तविक विज्ञान वह विज्ञान है जिसमें किसी विषय की सही तथा वास्तविक स्थिति का अध्ययन किया जाता है। एक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र के कथन वास्तविक कथन होते हैं। वास्तविक कथन वे कथन होते हैं जिन से ज्ञात होता है कि “क्या है? क्या था> तथा विशेष परिस्थितियों में क्या होगा ? उदाहरणतया- भारत के जनसंख्या 125 करोड़ है। भारत की विकास दर 7% है। यह वास्तविक विज्ञान कथन के उदाहरण है।
आदर्शात्मक विज्ञान के रूप में- प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जैसे मार्शल, पीगू आदि यह मानते थे कि अर्थशास्त्री आदर्शात्मक विज्ञान भी है। आदर्शात्मक विज्ञान वह विज्ञान है जिसमें क्या होना चाहिए का अध्ययन किया जाता है। उदाहरण के लिए भारत की जनसंख्या पर नियंत्रण होना चाहिए। भारत की विकास दर 10% से अधिक होनी चाहिए। कीमतों में स्थिरता पाए जानी चाहिए। आय का समान वितरण होना चाहिए। संक्षेप में अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान भी है और आदर्शात्मक विज्ञान भी है।
अर्थशास्त्र कला का कला के रूप में
किसी निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ज्ञान का व्यवहारिक प्रयोग कला कहलाता है। अर्थशास्त्र में विभिन्न उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अर्थशास्त्र के सिद्धांतों का व्यवहारिक रूप में प्रयोग किया जाता है। अतः अर्थशास्त्र को एक कला के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। प्रो. जे. एम. केन्ज ने कला के स्थान पर व्यावहारिक अर्थशास्त्र शब्द का प्रयोग किया है। आधुनिक अर्थशास्त्री कला के लिए आर्थिक नीति शब्द का प्रयोग करते हैं ।
अंत में हम कह सकते हैं कि अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों ही हैं। प्रोफेसर चेपमेन में ने ठीक ही कहा है कि “अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान है जो आर्थिक तथ्यों की वास्तविक स्थिति से संबंधित है और एक कला है जो इस प्रकार के उपाय और साधन ढूंढता है जिनसे इच्छित लक्ष्य प्राप्त किए जा सकें।“
7. आर्थिक समस्या क्या है ? यह क्यों उत्पन्न होती है ?
आर्थिक समस्या मूल रूप में साधनों की दुर्लभता के कारण होती है। दुर्लभता का अर्थ माँग की तुलना में पूर्ति का कम होना है। मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित है किन्तु उसके पास इन आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए साधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। अतः सीमित साधनों से वह अपनी सभी आवश्यकताओं को सन्तुष्टि नहीं कर सकता है। अतः प्रत्येक उपभोक्ता का यह प्रयास होता है कि वह कम साधनों से अधिक से अधिक सन्तुष्टि प्राप्त कर सके। इसलिए उसे यह चयन करना पड़ता है कि किन वस्तुओं का कितनी मात्रा में उपभोग करे। चयन की समस्या ही आर्थिक समस्या को जन्म देती है। चयन की समस्या को ही आर्थिक समस्या कहते है।
जिस प्रकार व्यक्ति विशेष के पास साधन सीमित है और आवश्यकताएँ असीमित है, उसी प्रकार एक अर्थव्यस्था (देश) के पास भी साधन सीमित होते है और लक्ष्य या योजना असीमित होती है। साधनों की सीमितता के कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है। जैसे
1. किस वस्तु का उत्पादन किया जाए ?
2. उत्पादन के लिए किस तकनीक को उपनाया जाए ?
3. उत्पादन किसके लिए किया जाए ?
आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के कारण
1 .असीमित मानवीय आवश्यकताएँ - मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित है और उनको पुरे करने वाले साधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए उपभोक्ता सबसे पहले तीव्र आवश्यकताओं को पुरे करने का प्रयास करता है।
2. सीमित साधन - आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य के पास सीमित मात्रा में साधन उपलब्ध होते है। जिनसे वह अपनी सभी आवश्यकताओं की पुर्ति एक साथ नहीं कर सकता।
3. साधनों के वैकल्पिक प्रयोग सम्भव होना - सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग हो सकते है। जैसे दूध का प्रयोग दही, मिठाई बनाने आदि में किया जाता है।
असीमित आवश्यकताओं, सीमित साधनों एवं साधनों के वैकल्पिक प्रयोग होने के कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है। यही आर्थिक समस्या है।
8. अर्थशास्त्र की विषय सामग्री क्या है ?
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री को पांच भागों में बांटा गया है
1.उपभोग - वस्तुओं और सेवाओं की उपयोगिता को नष्ट करना या कम करना ही उपभोग कहलाता है उपभोग के अंतर्गत आवश्यकताओं उनके लक्षण वर्गीकरण तथा संतुष्टि करने की विधि का अध्ययन किया जाता है
2. उत्पादन - माननीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसी वस्तु में उपयोगिता का सर्जन करना उत्पादन कहलाता है| उत्पादन के इस विभाग में उत्पत्ति तथा उत्पादन के साधन उनके लक्ष्य और कार्य क्षमता उत्पत्ति के नियम व उत्पत्ति की अन्य समस्याओं का अध्ययन किया जाता है|
3. विनिमय - में विनिमय का अर्थ वस्तु की अदला बदली से है इस विभाग के अंतर्गत कीमत निर्धारण में बाजार के रूप मुद्रा बैंकिंग बीमा एवं व्यापार आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है|
4. वितरण - उत्पत्ति या उत्पादन के विभिन्न साधनों के सामूहिक सहयोग से जो उत्पादन/ आय सृजित होती है उसको विभिन्न साधनों में उनके प्रतिफल के रूप में बांटना ही वितरण का अध्ययन है इसमें लाभ लगान ब्याज मजदूरी और वेतन का अध्ययन किया जाता है|
5. राजस्व - राजस्व के अंतर्गत सरकार की आय-व्यय बजट सार्वजनिक ऋण तथा वित्तीय प्रशासन आदि से संबंधित समस्याएं का अध्ययन किया जाता है|
9. व्यष्टि तथा स्माष्टि अर्थशास्त्र में क्या अन्तर है।
व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में क्या अन्तर है? Watch Video 🔺
ASSESSMENT (मूल्यांकन)
ASSESSMENT (मूल्यांकन)
सभी प्रश्न करना अनिवार्य है। प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के होगें।