6. समृद्धि अनौपचारिक करण एवं अन्य मुद्दे
1. श्रमिक किसे कहते हैं?
उत्तर-एक श्रमिक वह है जो आर्थिक क्रियाओं में लगे हुए है और राष्ट्रीय उत्पाद में योगदान देता है|
2. श्रमिक जनसंख्या अनुपात की परिभाषा दें।
उत्तर-श्रमिक-जनसंख्या अनुपात यह जानने में सहायक है कि जनसंख्या का कितना अनुपात वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। यह देश के कुल श्रमशक्ति और कुल जनसंख्या के बीच के अनुपात के द्वारा मापा जाता है।
श्रमिक जनसंख्या अनुपात कुल श्रमशक्ति / कुल जनसंख्या 100 E
3. क्या ये भी श्रमिक है: एक भिखारी, एक चौर, एक तस्कर, एक जुआरी ? क्यों?
उत्तर-नहीं, एक भिखारी, एक चोर, एक तस्कर और एक जुआरी को श्रमिक नहीं कह सकते हैं। एक श्रमिक आर्थिक क्रियाओं में शामिल होता है जो सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देता है। चूंकि इनमें से कोई भी कानूनी आर्थिक उत्पादन क्रिया में शामिल नहीं हैं जो देश की राष्ट्रीय आय में योगदान देता हो। इसलिए उनमें से कोई भी श्रमिक नहीं माना जा सकता है।
4. इस समूह में कौन असंगत प्रतीत होता है:
(क) नाई की दुकान का मालिक
(ख) एक मोची
(ग) मदर डेयरी का कोषपाल
(घ) ट्यूशन पढ़ाने वाला शिक्षक:
(ङ) परिवहन कंपनी का संचालक
(च) निर्माण मजदूर
उत्तर- इन समूह में मदर डेयरी का कोषपाल सबसे अलग है क्योंकि कोषपाल नियमित वेतनभोगी नौकरी कर रहा है।
5. नये उभरते रोजगार मुख्यतः ........क्षेत्रक में ही मिल रहे हैं। (सेवा/विनिर्माण)
उत्तर-सेवा
6. चार व्यक्तियों को मजदूरी पर काम देने वाले प्रतिष्ठान की ....... क्षेत्रक कहा जाता है। (औपचारिक/अनौपचारिक)
उत्तर-अनौपचारिक
7. राज स्कूल जाता है। पर जब वह स्कूल में नहीं होता, तो प्राय अपने खेत में काम करता दिखाई देता है। क्या आप उसे श्रमिक मानेंगे? क्यों?
उत्तर-राज को श्रमिक माना जा सकता है क्योंकि वह अपने खेत की उत्पादकता में योगदान दे रहा है।
8. शहरी महिलाओं की अपेक्षा अधिक ग्रामीण महिलाएं काम करती दिखाई देती है। क्यों?
उत्तर-ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रमशक्ति का प्रतिशत लगभग 30 प्रतिशत है जबकि शहरी क्षेत्रों में केवल 15 प्रतिशत है। इन आँकड़ो से पता चलता है कि शहरी महिलाओं की अपेक्षा अधिक ग्रामीण महिलाएँ काम करती हैं। इसके निम्नलिखित कारण हैं:
• शहरी महिलाओं की तुलना में ग्रामीण महिलाएं बड़े आकार के परिवार तथा आय के कम स्रोत के कारण अधिक असुरक्षित तथा गरीब होती हैं |
• जैसे कि कृषि और संबद्ध गतिविधियों में उच्च स्तर के कौशल और विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए ग्रामीण . महिलाओं ने अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए स्वयं को कृषि कार्य में संलग्न किया है।
• भारत में महिला साक्षरता में काफी सुधार हो रहा है, लेकिन कुल महिला श्रमशक्ति में शहरी महिलाओं की हिस्सेदारी बेहतर करने की जरूरत है।
9. मीना एक गृहिणी हैं। घर के कामों के साथ-साथ वह अपने पति की कपड़े की दुकान के काम में भी हाथ बंटाती है। क्या उसे एक श्रमिक माना जा सकता है? क्या ?
उत्तर- मीना को एक श्रमिक माना जा सकता है क्योंकि वह उत्पादन गतिविधि में शामिल है और सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देती है।
10. यहाँ किसे असंगत माना जाएगा:
(ख) राजमिस्त्री
(क) किसी अन्य के अधीन रिक्शा चलाने वाला (ग) किसी मेकेनिक की दुकान पर काम करने वाला श्रमिक
(घ) जूते पालिश करने वाला लड़का |
उत्तर- न सब में जूते पालिश करने वाला लड़का सबसे अलग माना जाएगा क्योंकि अन्य सभी श्रमिक काम पर नियुक्त किए गए हैं। वे अपने नियोक्ताओं को सेवाएँ प्रदान करते हैं और बदले में वेतन या मजदूरी के रूप में पुरस्कार प्राप्त करते हैं। जबकि जूता पालिश करने वाला लड़का स्व-नियोजित श्रमिक है और अपना व्यवसाय स्वयं संचालित करता है। दूसरे शब्दों में, वह अपने व्यवसाय में स्वयं ही लगा हुआ है।
11. निम्न सारणी में 1972-73 में भारत के श्रमबल का वितरण दिखाया गया है। इसे ध्यान से पढ़कर श्रमबल के वितरण के स्वरुप के कारण बताइए| ध्यान रहे कि ये आँकड़े 30 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।
उत्तर-एक श्रमिक वह है जो आर्थिक क्रियाओं में लगे हुए है और राष्ट्रीय उत्पाद में योगदान देता है|
2. श्रमिक जनसंख्या अनुपात की परिभाषा दें।
उत्तर-श्रमिक-जनसंख्या अनुपात यह जानने में सहायक है कि जनसंख्या का कितना अनुपात वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। यह देश के कुल श्रमशक्ति और कुल जनसंख्या के बीच के अनुपात के द्वारा मापा जाता है।
श्रमिक जनसंख्या अनुपात कुल श्रमशक्ति / कुल जनसंख्या 100 E
3. क्या ये भी श्रमिक है: एक भिखारी, एक चौर, एक तस्कर, एक जुआरी ? क्यों?
उत्तर-नहीं, एक भिखारी, एक चोर, एक तस्कर और एक जुआरी को श्रमिक नहीं कह सकते हैं। एक श्रमिक आर्थिक क्रियाओं में शामिल होता है जो सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देता है। चूंकि इनमें से कोई भी कानूनी आर्थिक उत्पादन क्रिया में शामिल नहीं हैं जो देश की राष्ट्रीय आय में योगदान देता हो। इसलिए उनमें से कोई भी श्रमिक नहीं माना जा सकता है।
4. इस समूह में कौन असंगत प्रतीत होता है:
(क) नाई की दुकान का मालिक
(ख) एक मोची
(ग) मदर डेयरी का कोषपाल
(घ) ट्यूशन पढ़ाने वाला शिक्षक:
(ङ) परिवहन कंपनी का संचालक
(च) निर्माण मजदूर
उत्तर- इन समूह में मदर डेयरी का कोषपाल सबसे अलग है क्योंकि कोषपाल नियमित वेतनभोगी नौकरी कर रहा है।
5. नये उभरते रोजगार मुख्यतः ........क्षेत्रक में ही मिल रहे हैं। (सेवा/विनिर्माण)
उत्तर-सेवा
6. चार व्यक्तियों को मजदूरी पर काम देने वाले प्रतिष्ठान की ....... क्षेत्रक कहा जाता है। (औपचारिक/अनौपचारिक)
उत्तर-अनौपचारिक
7. राज स्कूल जाता है। पर जब वह स्कूल में नहीं होता, तो प्राय अपने खेत में काम करता दिखाई देता है। क्या आप उसे श्रमिक मानेंगे? क्यों?
उत्तर-राज को श्रमिक माना जा सकता है क्योंकि वह अपने खेत की उत्पादकता में योगदान दे रहा है।
8. शहरी महिलाओं की अपेक्षा अधिक ग्रामीण महिलाएं काम करती दिखाई देती है। क्यों?
उत्तर-ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रमशक्ति का प्रतिशत लगभग 30 प्रतिशत है जबकि शहरी क्षेत्रों में केवल 15 प्रतिशत है। इन आँकड़ो से पता चलता है कि शहरी महिलाओं की अपेक्षा अधिक ग्रामीण महिलाएँ काम करती हैं। इसके निम्नलिखित कारण हैं:
• शहरी महिलाओं की तुलना में ग्रामीण महिलाएं बड़े आकार के परिवार तथा आय के कम स्रोत के कारण अधिक असुरक्षित तथा गरीब होती हैं |
• जैसे कि कृषि और संबद्ध गतिविधियों में उच्च स्तर के कौशल और विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए ग्रामीण . महिलाओं ने अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए स्वयं को कृषि कार्य में संलग्न किया है।
• भारत में महिला साक्षरता में काफी सुधार हो रहा है, लेकिन कुल महिला श्रमशक्ति में शहरी महिलाओं की हिस्सेदारी बेहतर करने की जरूरत है।
9. मीना एक गृहिणी हैं। घर के कामों के साथ-साथ वह अपने पति की कपड़े की दुकान के काम में भी हाथ बंटाती है। क्या उसे एक श्रमिक माना जा सकता है? क्या ?
उत्तर- मीना को एक श्रमिक माना जा सकता है क्योंकि वह उत्पादन गतिविधि में शामिल है और सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देती है।
10. यहाँ किसे असंगत माना जाएगा:
(ख) राजमिस्त्री
(क) किसी अन्य के अधीन रिक्शा चलाने वाला (ग) किसी मेकेनिक की दुकान पर काम करने वाला श्रमिक
(घ) जूते पालिश करने वाला लड़का |
उत्तर- न सब में जूते पालिश करने वाला लड़का सबसे अलग माना जाएगा क्योंकि अन्य सभी श्रमिक काम पर नियुक्त किए गए हैं। वे अपने नियोक्ताओं को सेवाएँ प्रदान करते हैं और बदले में वेतन या मजदूरी के रूप में पुरस्कार प्राप्त करते हैं। जबकि जूता पालिश करने वाला लड़का स्व-नियोजित श्रमिक है और अपना व्यवसाय स्वयं संचालित करता है। दूसरे शब्दों में, वह अपने व्यवसाय में स्वयं ही लगा हुआ है।
11. निम्न सारणी में 1972-73 में भारत के श्रमबल का वितरण दिखाया गया है। इसे ध्यान से पढ़कर श्रमबल के वितरण के स्वरुप के कारण बताइए| ध्यान रहे कि ये आँकड़े 30 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।
उत्तर
(क) वर्ष 1972-73 में भारत में कुल श्रमबल की संख्या 423.4 करोड़ थी, जिसमें 419.5 करोड़ ग्रामीण श्रमबल और शहरी श्रमबलों की संख्या 3.9 करोड़ थी। यह ग्रामीण श्रमबलों की बड़ी भागीदारी जिसमें कुल श्रमिकों की संख्या का 83 प्रतिशत शामिल है जबकि शहरी श्रमिकों के 17 प्रतिशत भागीदारी को दर्शाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकांश ग्रामीण जनसंख्या कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में लगी हुई थी।
(ख) ग्रामीण श्रमबलों में पुरुष श्रमिकों का 64 प्रतिशत और महिला श्रमिकों की 36 प्रतिशत संख्या शामिल हैं। इसके विपरीत, शहरी श्रमबल में पुरूष श्रमिकों की संख्या का लगभग 82 प्रतिशत तथा महिला श्रमिकों की संख्या का 18 प्रतिशत शामिल है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए महिलाओं के लिए उपलब्ध अवसरों की कमी के कारण ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में पुरुषों की भागीदारी महिलाओं की तुलना में अधिक है। इसके अलावा, प्रायः कई परिवार महिला सदस्यों को नौकरी करने के लिए हतोत्साहित करते हैं और परिणामस्वरूप, महिलाओं को केवल घरेलू कार्यों तक ही सीमित रखा गया था|
(ग) ग्रामीण महिला श्रमबल के साथ शहरी श्रमबल की तुलना करते हुए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या का 36 प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्रों में 18 प्रतिशत श्रमबल का निर्माण करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में, अधिकतर जनसंख्या कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगे हुए थे। कृषि क्षेत्र की उत्पादकता निम्न होने के कारण उनकी आय कम थी जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक गरीबी उत्पन्न हुई। इस प्रकार उपर्युक्त आँकड़ों का विश्लेषण करके यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 30 वर्ष पहले भारतीय अर्थव्यवस्था निम्न उत्पादकता, तीव्र बेरोजगारी, व्यापक गरीबी, कृषि क्षेत्र में छुपी हुई बेरोजगारी तथा श्रमबल में महिलाओं की कम भागीदारी दर की समस्या से ग्रस्त थी।
13. शहरी क्षेत्रों में नियमित वेतनभोगी कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्र से अधिक क्यों होते है?
उत्तर- शहरी क्षेत्रों में नियमित वेतनभोगी कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्र से अधिक होते हैं क्योंकिः
• नियमित वेतनभोगी कर्मचारी पेशेवर कुशल श्रमिक होते हैं तथा उनके पास शैक्षणिक योग्यता होती हैं। इन कौशलों को प्रशिक्षण और शिक्षा के माध्यम से प्राप्त किया जाता है जो ग्रामीण क्षेत्रों तक निवेश आधारिक संरचना, और ग्रामीण साक्षरता दर की कमी के कारण नहीं पहुँचाया जा सकता है।.
• बड़े बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ आधारिक संरचनाओं, बैंकिंग, परिवहन, संचार जैसे आधुनिक सुविधाओं की उपलब्धता के कारण . शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित है जो नौकरी की सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
14. नियमित वेतनभोगी कर्मचारियों में महिलाएं कम क्यों है?
उत्तर- नियमित वेतनभोगी कर्मचारियों में महिलाएं कम है, क्योंकिः
• भारत में स्त्री शिक्षा को प्राथिमकता नहीं दी जाती है इसलिए अधिकांश महिलाएँ नियमित वेतनभोगी रोजगार के लिए पेशेवर कौशल नहीं होती हैं।
• कई परिवारों में महिलाओं को घर से बाहर जा कर काम करने के लिए हतोत्साहित किया जाता है।
• महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक कमजोर परिस्थितियों में कार्य करती हैं, इसके बावजूद उन्हें पुरूष श्रमबल के तुलना में कम भुगतान किया जाता है |
• महिलाओं को अपने परिवार की देखभाल तथा घर के कार्य भी करने पड़ते हैं।
15. भारत में श्रमचल के क्षेत्रकवार वितरण की हाल की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करे।
उत्तर- अर्थव्यवस्था को तीन प्रमुख क्षेत्रकों अर्थात प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्रक में बाँटा गया है जिन्हें सामूहिक रूप से अर्थव्यवस्था के व्यावसायिक संरचना के रूप में जाना जाता है। भारत में अधिकांश श्रमिकों के रोजगार का स्रोत प्राथमिक क्षेत्रक ही है। द्वितीयक क्षेत्रक केवल लगभग 24 प्रतिशत श्रमबल को नियोजित कर रहा है। लगभग 27 प्रतिशत श्रमिक सेवा क्षेत्रक में संलग्न हैं। लगभग 16 प्रतिशत ग्रामीण श्रमिक ही विनिर्माण उद्योगों, निर्माण और अन्य क्षेत्रों में लगे हुए है। केवल 17 प्रतिशत ग्रामीण श्रमिकों को सेवा क्षेत्र से ही रोजगार मिलता है। किंतु, शहरी क्षेत्रकों में कृषि और खनन रोजगार के प्रमुख स्रोत नहीं है, जहाँ अधिकांश लोग सेवा क्षेत्रक में कार्यरत हैं। 60 प्रतिशत शहरी श्रमिक सेवा क्षेत्रक में हैं। लगभग 30 प्रतिशत शहरी श्रमिक द्वितीयक क्षेत्रक में नियोजित हैं।
यद्यपि प्राथमिक क्षेत्रक में पुरुष और महिला दोनों ही प्रकार के श्रमिक सकेंद्रित हैं, पर वहाँ महिलाओं का संकेन्द्रण बहुत अधिक है। इस प्राथमिक क्षेत्रक में लगभग 63 प्रतिशत महिलाएँ कार्यरत है जबकि इस क्षेत्र में काम कर रहे पुरुषों की संख्या आधे से कम है। पुरुषों को द्वितीयक और सेवा क्षेत्रक दोनों में ही रोजगार के अवसर प्राप्त हो जाते हैं|
16. 1970 से अब तक विभिन्न उद्योगों में श्रमबल के वितरण में शायद ही कोई परिवर्तन आया है। टिप्पणी करें।
उत्तर-यह सच नहीं है कि 1970 से अब तक विभिन्न उद्योगों में श्रमबल के वितरण में शायद ही कोई परिवर्तन आया है। जहाँ 1972-73 में प्राथमिक क्षेत्रक में 74 प्रतिशत श्रमबल लगा था, वहीं 2011-12 में यह अनुपात घटकर 50 प्रतिशत रह गया है। द्वितीयक और सेवा क्षेत्रक भारत के श्रमबल के लिए आशावादी भविष्य का संकेत दे रहे हैं। पिछले चार दशकों में लोग स्वरोजगार तथा नियमित वेतन-रोजगार से हटकर अनियत श्रम की ओर बढ़ रहे हैं। फिर भी स्वरोजगार, रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है।
18. क्या औपचारिक क्षेत्रक में ही रोजगार का सृजन आवश्यक है? अनौपचारिक में नहीं ? कारण बताइए ||
उत्तर- हाँ, अनौपचारिक क्षेत्रक की अपेक्षा औपचारिक क्षेत्रक में ही रोजगार का सृजन आवश्यक है।
• पेंशन, भविष्य निधि और ग्रेच्युटी आदि जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ औपचारिक क्षेत्र में प्रदान किए जाते हैं।
• अनौपचारिक क्षेत्र की तुलना में औपचारिक क्षेत्र में श्रमिक और उद्यम नियमित और अधिक आय प्राप्त करते हैं।
• औपचारिक क्षेत्रों के उद्योगों में आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाता है।
इस प्रकार, औपचारिक क्षेत्र में रोजगार पैदा करने से गरीबी और आय असमानताओं में कमी आ जाती है।
19. विक्टर को दिन में केवल दो घंटे काम मिल पाता है। बाकी सारे समय वह काम की तलाश में रहता है। क्या वह बेरोजगार है? क्यों? विक्टर जैसे लोग क्या काम करते होंगे?
उत्तर- हाँ, विक्टर बेरोजगार है क्योंकि वह अपनी पूर्ण क्षमता के अनुरूप काम नहीं कर रहा है। एक नियोजित व्यक्ति रोज 6-8 घंटे काम करता है। विक्टर पार्ट टाइम नौकरी कर सकता है, जैसे कि अखबार बेचना, रेस्तरां में काम करना, कोरियर बाँटना |
20. क्या आप गाँव में रह रहे हैं? यदि आपको ग्राम पंचायत को सलाह देने देने को कहा जाए तो आप गाँव की उन्नति के लिए किस प्रकार के क्रियाकलाप का सुझाव देंगे, जिससे रोजगार सृजन भी हो।
उत्तर- गाँव की उन्नति के लिए में निम्नलिखित क्रियाकलापों का सुझाव दूँगा / दूँगी, जिससे रोजगार सृजन भी हो |
• गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, रोजगार के अवसर उपलब्ध करने वाले कार्य जैसे, सड़कों तथा स्कूलों के निर्माण पर ध्यान देना। .
• ग्रामीण श्रमिकों को तकनीकी ज्ञान और आधुनिक जानकारी प्रदान की जानी चाहिए कि यह न केवल उनकी उत्पादकता को . बढ़ाएगा बल्कि आधुनिकीकरण की स्वीकार्यता को भी बढ़ाएगी।
• वित्त और साख की आसान और सस्ती उपलब्धता ताकि ग्रामीण लोग छोटे पैमाने पर उद्योग शुरू कर सकें।
• घरों, ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता, आदि के माध्यम से मजदूरी रोजगार पैदा करके सामुदायिक संपत्ति का विकास |
21. अनियत दिहाड़ी मजदूर कौन होते हैं?
उत्तर- अनियत दिहाड़ी मजदूर उन मजदूरों को कहते हैं जो पूरे वर्ष काम नहीं करते हैं। वे कुछ महीने काम कर पारिश्रमिक प्राप्त करते हैं| अनियत मजदूरों को नियोक्ताओं द्वारा नियमित आधार पर नहीं रखा जाता है। वे आमतौर पर अकुशल श्रमिक होते हैं। उदाहरण के लिए, एक निर्माण स्थल पर काम कर रहा श्रमिक |
22. आपको यह कैसे पता चलेगा कि कोई व्यक्ति अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रहा है?
उत्तर- अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रहे श्रमिक की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
• एक श्रमिक (सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उद्यमों के अलावा) 10 या उससे कम श्रमिकों को काम पर नियुक्त करता है।
• इस क्षेत्र में लाखों किसानों, कृषि मजदूरों, छोटे उद्यमों के मालिक और स्वनियोजित है। इस वर्ग में श्रमिकों को काम पर नहीं रखा जाता है।
• अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत एक कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा लाभ जैसे कि प्रॉविडेंट फंड, ग्रेच्युटी, पेंशन आदि का सुविधा नहीं उठा पाता है।
•अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों का आर्थिक हित न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अलावा किसी भी श्रम कानून द्वारा संरक्षित नहीं है। इसलिए, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को बाजार की अनिश्चितताओं से अवगत कराया जाता है तथा सौदेबाजी की क्षमता कम होती है।
(क) वर्ष 1972-73 में भारत में कुल श्रमबल की संख्या 423.4 करोड़ थी, जिसमें 419.5 करोड़ ग्रामीण श्रमबल और शहरी श्रमबलों की संख्या 3.9 करोड़ थी। यह ग्रामीण श्रमबलों की बड़ी भागीदारी जिसमें कुल श्रमिकों की संख्या का 83 प्रतिशत शामिल है जबकि शहरी श्रमिकों के 17 प्रतिशत भागीदारी को दर्शाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकांश ग्रामीण जनसंख्या कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में लगी हुई थी।
(ख) ग्रामीण श्रमबलों में पुरुष श्रमिकों का 64 प्रतिशत और महिला श्रमिकों की 36 प्रतिशत संख्या शामिल हैं। इसके विपरीत, शहरी श्रमबल में पुरूष श्रमिकों की संख्या का लगभग 82 प्रतिशत तथा महिला श्रमिकों की संख्या का 18 प्रतिशत शामिल है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए महिलाओं के लिए उपलब्ध अवसरों की कमी के कारण ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में पुरुषों की भागीदारी महिलाओं की तुलना में अधिक है। इसके अलावा, प्रायः कई परिवार महिला सदस्यों को नौकरी करने के लिए हतोत्साहित करते हैं और परिणामस्वरूप, महिलाओं को केवल घरेलू कार्यों तक ही सीमित रखा गया था|
(ग) ग्रामीण महिला श्रमबल के साथ शहरी श्रमबल की तुलना करते हुए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या का 36 प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्रों में 18 प्रतिशत श्रमबल का निर्माण करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में, अधिकतर जनसंख्या कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगे हुए थे। कृषि क्षेत्र की उत्पादकता निम्न होने के कारण उनकी आय कम थी जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक गरीबी उत्पन्न हुई। इस प्रकार उपर्युक्त आँकड़ों का विश्लेषण करके यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 30 वर्ष पहले भारतीय अर्थव्यवस्था निम्न उत्पादकता, तीव्र बेरोजगारी, व्यापक गरीबी, कृषि क्षेत्र में छुपी हुई बेरोजगारी तथा श्रमबल में महिलाओं की कम भागीदारी दर की समस्या से ग्रस्त थी।
13. शहरी क्षेत्रों में नियमित वेतनभोगी कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्र से अधिक क्यों होते है?
उत्तर- शहरी क्षेत्रों में नियमित वेतनभोगी कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्र से अधिक होते हैं क्योंकिः
• नियमित वेतनभोगी कर्मचारी पेशेवर कुशल श्रमिक होते हैं तथा उनके पास शैक्षणिक योग्यता होती हैं। इन कौशलों को प्रशिक्षण और शिक्षा के माध्यम से प्राप्त किया जाता है जो ग्रामीण क्षेत्रों तक निवेश आधारिक संरचना, और ग्रामीण साक्षरता दर की कमी के कारण नहीं पहुँचाया जा सकता है।.
• बड़े बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ आधारिक संरचनाओं, बैंकिंग, परिवहन, संचार जैसे आधुनिक सुविधाओं की उपलब्धता के कारण . शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित है जो नौकरी की सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
14. नियमित वेतनभोगी कर्मचारियों में महिलाएं कम क्यों है?
उत्तर- नियमित वेतनभोगी कर्मचारियों में महिलाएं कम है, क्योंकिः
• भारत में स्त्री शिक्षा को प्राथिमकता नहीं दी जाती है इसलिए अधिकांश महिलाएँ नियमित वेतनभोगी रोजगार के लिए पेशेवर कौशल नहीं होती हैं।
• कई परिवारों में महिलाओं को घर से बाहर जा कर काम करने के लिए हतोत्साहित किया जाता है।
• महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक कमजोर परिस्थितियों में कार्य करती हैं, इसके बावजूद उन्हें पुरूष श्रमबल के तुलना में कम भुगतान किया जाता है |
• महिलाओं को अपने परिवार की देखभाल तथा घर के कार्य भी करने पड़ते हैं।
15. भारत में श्रमचल के क्षेत्रकवार वितरण की हाल की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करे।
उत्तर- अर्थव्यवस्था को तीन प्रमुख क्षेत्रकों अर्थात प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्रक में बाँटा गया है जिन्हें सामूहिक रूप से अर्थव्यवस्था के व्यावसायिक संरचना के रूप में जाना जाता है। भारत में अधिकांश श्रमिकों के रोजगार का स्रोत प्राथमिक क्षेत्रक ही है। द्वितीयक क्षेत्रक केवल लगभग 24 प्रतिशत श्रमबल को नियोजित कर रहा है। लगभग 27 प्रतिशत श्रमिक सेवा क्षेत्रक में संलग्न हैं। लगभग 16 प्रतिशत ग्रामीण श्रमिक ही विनिर्माण उद्योगों, निर्माण और अन्य क्षेत्रों में लगे हुए है। केवल 17 प्रतिशत ग्रामीण श्रमिकों को सेवा क्षेत्र से ही रोजगार मिलता है। किंतु, शहरी क्षेत्रकों में कृषि और खनन रोजगार के प्रमुख स्रोत नहीं है, जहाँ अधिकांश लोग सेवा क्षेत्रक में कार्यरत हैं। 60 प्रतिशत शहरी श्रमिक सेवा क्षेत्रक में हैं। लगभग 30 प्रतिशत शहरी श्रमिक द्वितीयक क्षेत्रक में नियोजित हैं।
यद्यपि प्राथमिक क्षेत्रक में पुरुष और महिला दोनों ही प्रकार के श्रमिक सकेंद्रित हैं, पर वहाँ महिलाओं का संकेन्द्रण बहुत अधिक है। इस प्राथमिक क्षेत्रक में लगभग 63 प्रतिशत महिलाएँ कार्यरत है जबकि इस क्षेत्र में काम कर रहे पुरुषों की संख्या आधे से कम है। पुरुषों को द्वितीयक और सेवा क्षेत्रक दोनों में ही रोजगार के अवसर प्राप्त हो जाते हैं|
16. 1970 से अब तक विभिन्न उद्योगों में श्रमबल के वितरण में शायद ही कोई परिवर्तन आया है। टिप्पणी करें।
उत्तर-यह सच नहीं है कि 1970 से अब तक विभिन्न उद्योगों में श्रमबल के वितरण में शायद ही कोई परिवर्तन आया है। जहाँ 1972-73 में प्राथमिक क्षेत्रक में 74 प्रतिशत श्रमबल लगा था, वहीं 2011-12 में यह अनुपात घटकर 50 प्रतिशत रह गया है। द्वितीयक और सेवा क्षेत्रक भारत के श्रमबल के लिए आशावादी भविष्य का संकेत दे रहे हैं। पिछले चार दशकों में लोग स्वरोजगार तथा नियमित वेतन-रोजगार से हटकर अनियत श्रम की ओर बढ़ रहे हैं। फिर भी स्वरोजगार, रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है।
18. क्या औपचारिक क्षेत्रक में ही रोजगार का सृजन आवश्यक है? अनौपचारिक में नहीं ? कारण बताइए ||
उत्तर- हाँ, अनौपचारिक क्षेत्रक की अपेक्षा औपचारिक क्षेत्रक में ही रोजगार का सृजन आवश्यक है।
• पेंशन, भविष्य निधि और ग्रेच्युटी आदि जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ औपचारिक क्षेत्र में प्रदान किए जाते हैं।
• अनौपचारिक क्षेत्र की तुलना में औपचारिक क्षेत्र में श्रमिक और उद्यम नियमित और अधिक आय प्राप्त करते हैं।
• औपचारिक क्षेत्रों के उद्योगों में आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाता है।
इस प्रकार, औपचारिक क्षेत्र में रोजगार पैदा करने से गरीबी और आय असमानताओं में कमी आ जाती है।
19. विक्टर को दिन में केवल दो घंटे काम मिल पाता है। बाकी सारे समय वह काम की तलाश में रहता है। क्या वह बेरोजगार है? क्यों? विक्टर जैसे लोग क्या काम करते होंगे?
उत्तर- हाँ, विक्टर बेरोजगार है क्योंकि वह अपनी पूर्ण क्षमता के अनुरूप काम नहीं कर रहा है। एक नियोजित व्यक्ति रोज 6-8 घंटे काम करता है। विक्टर पार्ट टाइम नौकरी कर सकता है, जैसे कि अखबार बेचना, रेस्तरां में काम करना, कोरियर बाँटना |
20. क्या आप गाँव में रह रहे हैं? यदि आपको ग्राम पंचायत को सलाह देने देने को कहा जाए तो आप गाँव की उन्नति के लिए किस प्रकार के क्रियाकलाप का सुझाव देंगे, जिससे रोजगार सृजन भी हो।
उत्तर- गाँव की उन्नति के लिए में निम्नलिखित क्रियाकलापों का सुझाव दूँगा / दूँगी, जिससे रोजगार सृजन भी हो |
• गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, रोजगार के अवसर उपलब्ध करने वाले कार्य जैसे, सड़कों तथा स्कूलों के निर्माण पर ध्यान देना। .
• ग्रामीण श्रमिकों को तकनीकी ज्ञान और आधुनिक जानकारी प्रदान की जानी चाहिए कि यह न केवल उनकी उत्पादकता को . बढ़ाएगा बल्कि आधुनिकीकरण की स्वीकार्यता को भी बढ़ाएगी।
• वित्त और साख की आसान और सस्ती उपलब्धता ताकि ग्रामीण लोग छोटे पैमाने पर उद्योग शुरू कर सकें।
• घरों, ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता, आदि के माध्यम से मजदूरी रोजगार पैदा करके सामुदायिक संपत्ति का विकास |
21. अनियत दिहाड़ी मजदूर कौन होते हैं?
उत्तर- अनियत दिहाड़ी मजदूर उन मजदूरों को कहते हैं जो पूरे वर्ष काम नहीं करते हैं। वे कुछ महीने काम कर पारिश्रमिक प्राप्त करते हैं| अनियत मजदूरों को नियोक्ताओं द्वारा नियमित आधार पर नहीं रखा जाता है। वे आमतौर पर अकुशल श्रमिक होते हैं। उदाहरण के लिए, एक निर्माण स्थल पर काम कर रहा श्रमिक |
22. आपको यह कैसे पता चलेगा कि कोई व्यक्ति अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रहा है?
उत्तर- अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रहे श्रमिक की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
• एक श्रमिक (सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उद्यमों के अलावा) 10 या उससे कम श्रमिकों को काम पर नियुक्त करता है।
• इस क्षेत्र में लाखों किसानों, कृषि मजदूरों, छोटे उद्यमों के मालिक और स्वनियोजित है। इस वर्ग में श्रमिकों को काम पर नहीं रखा जाता है।
• अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत एक कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा लाभ जैसे कि प्रॉविडेंट फंड, ग्रेच्युटी, पेंशन आदि का सुविधा नहीं उठा पाता है।
•अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों का आर्थिक हित न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अलावा किसी भी श्रम कानून द्वारा संरक्षित नहीं है। इसलिए, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को बाजार की अनिश्चितताओं से अवगत कराया जाता है तथा सौदेबाजी की क्षमता कम होती है।