2. राष्ट्रीय आय का लेखांकन
राष्ट्रीय आय किसे कहते है ? Watch Video
🔰बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूँजी द्वारा कार्य करने पर प्रतिवर्ष एवं भौतिक व अभौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इन सबकी शुद्ध उत्पति का योग निवल ....................... होती है।
(a) प्रति व्यक्ति आय
(b) उपभोग्य आय
(c) कुल धरेलु आय
(d) राष्ट्रीय आय
2. राष्ट्रीय आय के आकलन में मध्यवर्ती वस्तुओं को शामिल क्यों नहीं किया जाता है ?
(a) मध्यवर्ती वस्तुएं ठीक नहीं होती
(b) दोहरी गणना से बचने के लिए
(c) इससे आय कम हो जाती है
(d) उपरोक्त सभी।
3. किसी अर्थव्यवस्था में जो भी अन्तिम वस्तुएँ और सेवाएँ एक वर्ष अवधि में उत्पादित की जाती है, उन सभी के बाजार मूल्य के योग्य को ............................... कहते है।
(a) सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(b) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
(c) सकल धरेलु उत्पाद
(d) उपभोग्य आय
4. एक वर्ष की अवधि में एक देश के सभी व्यक्ति या परिवार जितनी आय वास्तव में प्राप्त करते है, उन सभी आय के योग को ..................... आय कहते है।
(a) राष्ट्रीय आय
(b) सकल धरेलु आय
(c) वैयक्तिक आय
(d) उपभोग्य आय
5. राष्ट्रीय आय की गणना में कौन सी कठिनाइयाॅ आती है।
(a) पर्याप्त आँकड़ों का अभाव
(b) अमौद्रिक क्षेत्र
(c) दोहरी गणना की समस्या
(d) उपरोक्त सभी
6. निम्न में से किसे राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाएगा ?
(a) विदेशों से प्राप्त उपहार
(b) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज की अदायगी
(c) भौतिक-अभौतिक वस्तुओं
(d) सम्पत्ति कर
7. द्वितीय क्षेत्र में निम्न में से कौन सम्मिलित है।
(a) बैंकिंग
(b) व्यापार
(c) विनिर्माण
(d) बीमा
8. स्थायी पूँजी के उपभोग को कहते है।
(a) मूल्यहृास
(b) पूँजी निर्माण
(c) निवेश
(d) उपरोक्त सभी
9. प्राथमिक क्षेत्र - में उत्पादन इकाइयां प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करके उत्पादन करती है। निम्न में से कौन सा कार्यो को इसमें शामिल किया जाता है।
(a) कृषि
(b) वन-उधोग और लटठे बनाना
(c) मछली पालन
(d) उपरोक्त सभी
10. राष्टीय आय का मापन निम्न में से किस विधि से किया जाता है ?
(a) आय विधि
(b) उत्पादन विधि
(c) व्यय विधि
(d) उपर्पुक्त सभी
11. इनमें से कौन सी मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।
(a) गृहिणी की सेवाएँ
(b) प्रकृति प्रदत्त वस्तुएँ
(c) वुद्धावस्था पेन्शन
(d) उपरोक्त सभी
12. निम्नलिखित में कौन राष्ट्रीय आय है।
(a) साधन लागत पर जी0एन0पी0
(b) साधन लागत पर जी0डी0पी0
(c) साधन लागत पर एन0डी0पी0
(d) साधन लागत पर एन0एन0पी0
13. एक अर्थव्यवस्था में कौन-सा क्षेत्र सम्मिलित रहता है?
(a) प्राथमिक क्षेत्र
(b) द्वितीयक क्षेत्र
(c) तृतीयक क्षेत्र
(d) ये सभी।
14. फर्मों से परिवारो को और परिवारों से फर्मों को मुद्रा का भुगतान किया जाता है। इसे ही ......................... कहते हैं।
(a) आय प्रवाह
(b) मुद्रा प्रवाह
(c) पूँजी प्रवाह
(d) इनमें से कोई नहीं
15. वे सभी वस्तुएं जिनका उपयोग केवल एक बार किया जाता है वे ........................ वस्तुएं कहलाती है।
(a) टिकाऊ वस्तुएं
(b) उपभोक्ता वस्तुएं
(c) गैर-टिकाऊ वस्तुएं
(d) इनमें से कोई नहीं।
16. एक लेखा वर्ष के अन्त में उत्पादकों के पास टिकाउ और गैर टिकाऊ वस्तूओं का स्टाँक ..........................स्टाँक कहलाता है।
(a) उत्पादक
(b) पूँजीगत
(c) उपभोक्ता
(d) विक्रेता
17. परिवार फर्मों कोे निम्न में कौन-सी सेवाएँ प्रदान करते है ?
(a) भूमि
(b) श्रम
(c) पूँजी और उद्यम
(d) उपर्युक्त सभी
(a) प्रति व्यक्ति आय
(b) उपभोग्य आय
(c) कुल धरेलु आय
(d) राष्ट्रीय आय
2. राष्ट्रीय आय के आकलन में मध्यवर्ती वस्तुओं को शामिल क्यों नहीं किया जाता है ?
(a) मध्यवर्ती वस्तुएं ठीक नहीं होती
(b) दोहरी गणना से बचने के लिए
(c) इससे आय कम हो जाती है
(d) उपरोक्त सभी।
3. किसी अर्थव्यवस्था में जो भी अन्तिम वस्तुएँ और सेवाएँ एक वर्ष अवधि में उत्पादित की जाती है, उन सभी के बाजार मूल्य के योग्य को ............................... कहते है।
(a) सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(b) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
(c) सकल धरेलु उत्पाद
(d) उपभोग्य आय
4. एक वर्ष की अवधि में एक देश के सभी व्यक्ति या परिवार जितनी आय वास्तव में प्राप्त करते है, उन सभी आय के योग को ..................... आय कहते है।
(a) राष्ट्रीय आय
(b) सकल धरेलु आय
(c) वैयक्तिक आय
(d) उपभोग्य आय
5. राष्ट्रीय आय की गणना में कौन सी कठिनाइयाॅ आती है।
(a) पर्याप्त आँकड़ों का अभाव
(b) अमौद्रिक क्षेत्र
(c) दोहरी गणना की समस्या
(d) उपरोक्त सभी
6. निम्न में से किसे राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाएगा ?
(a) विदेशों से प्राप्त उपहार
(b) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज की अदायगी
(c) भौतिक-अभौतिक वस्तुओं
(d) सम्पत्ति कर
7. द्वितीय क्षेत्र में निम्न में से कौन सम्मिलित है।
(a) बैंकिंग
(b) व्यापार
(c) विनिर्माण
(d) बीमा
8. स्थायी पूँजी के उपभोग को कहते है।
(a) मूल्यहृास
(b) पूँजी निर्माण
(c) निवेश
(d) उपरोक्त सभी
9. प्राथमिक क्षेत्र - में उत्पादन इकाइयां प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करके उत्पादन करती है। निम्न में से कौन सा कार्यो को इसमें शामिल किया जाता है।
(a) कृषि
(b) वन-उधोग और लटठे बनाना
(c) मछली पालन
(d) उपरोक्त सभी
10. राष्टीय आय का मापन निम्न में से किस विधि से किया जाता है ?
(a) आय विधि
(b) उत्पादन विधि
(c) व्यय विधि
(d) उपर्पुक्त सभी
11. इनमें से कौन सी मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।
(a) गृहिणी की सेवाएँ
(b) प्रकृति प्रदत्त वस्तुएँ
(c) वुद्धावस्था पेन्शन
(d) उपरोक्त सभी
12. निम्नलिखित में कौन राष्ट्रीय आय है।
(a) साधन लागत पर जी0एन0पी0
(b) साधन लागत पर जी0डी0पी0
(c) साधन लागत पर एन0डी0पी0
(d) साधन लागत पर एन0एन0पी0
13. एक अर्थव्यवस्था में कौन-सा क्षेत्र सम्मिलित रहता है?
(a) प्राथमिक क्षेत्र
(b) द्वितीयक क्षेत्र
(c) तृतीयक क्षेत्र
(d) ये सभी।
14. फर्मों से परिवारो को और परिवारों से फर्मों को मुद्रा का भुगतान किया जाता है। इसे ही ......................... कहते हैं।
(a) आय प्रवाह
(b) मुद्रा प्रवाह
(c) पूँजी प्रवाह
(d) इनमें से कोई नहीं
15. वे सभी वस्तुएं जिनका उपयोग केवल एक बार किया जाता है वे ........................ वस्तुएं कहलाती है।
(a) टिकाऊ वस्तुएं
(b) उपभोक्ता वस्तुएं
(c) गैर-टिकाऊ वस्तुएं
(d) इनमें से कोई नहीं।
16. एक लेखा वर्ष के अन्त में उत्पादकों के पास टिकाउ और गैर टिकाऊ वस्तूओं का स्टाँक ..........................स्टाँक कहलाता है।
(a) उत्पादक
(b) पूँजीगत
(c) उपभोक्ता
(d) विक्रेता
17. परिवार फर्मों कोे निम्न में कौन-सी सेवाएँ प्रदान करते है ?
(a) भूमि
(b) श्रम
(c) पूँजी और उद्यम
(d) उपर्युक्त सभी
🔰निशिचत तथा अति लधु प्रश्नोत्तर
प्र01. अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय से कुल जनसंख्या को भाग देकर ................. को ज्ञात किया जाता है।
उ0 प्रति व्यक्ति आय
प्र02 ..................... आय एकपक्षीय भुगतान है। यह बिना किसी वस्तु या सेवा के बदले प्राप्त होती है।
उ0 हस्तान्तरण आय
प्र03. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना कौन सा संगठन करता है।
उ0 केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन
प्र04. सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से मूल्य ह्यस को धटा देने से जो शेष बचता है उसे ................................ कहते है।
उ0 शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
प्र05. भारत में लेखा अवधि क्या है ?
उ0 1अप्रैल से 31 मार्च तक
प्र06. सकल धरेलू उत्पाद का सूत्र लिखिए ?
उ0 GDP = GNP-(E-1)
प्र07. राष्ट्रीय आय किसे कहते है ?
उ0 प्रौ0 मार्शल के अनुसार - "देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूॅजी द्वारा कार्य करने पर प्रतिवर्ष भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इन सबकी शुद्ध उत्पति का योग राष्ट्रीय आय कहलाती है"।
प्र08. प्रति व्यक्ति आय किसे कहते है ?
उ0 कल आय को कुल जनसंख्या से भाग देने से जो आय प्राप्त होती है उसे प्रति व्यक्ति आय कहते है।
प्र09. हस्तान्तरण आय किसे कहते है ?
उ0 यह एकपक्षीय भुगतान है। यह बिना किसी वस्तु या सेवा क बदले प्राप्त होती है।
प्र010. वैयक्तिक आय क्या है ?
उ0 एक वर्ष की अवधि में एक देश के सभी व्यक्ति या परिवार जितनी आय वास्तव में प्राप्त करते है उन सभी आय के योग को वैयक्तिक आय कहते है।
प्र011. राष्ट्रीय प्रयोज्य आय क्या है ?
उ0 राष्ट्रीय प्रयोज्य आय राष्ट्रीय आय, अप्रत्यख कर तथा शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध आय का योग होता है।
प्र012. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना किस संस्था द्वारा की जाती है ?
उ0 केन्द्रीय संाख्यिकीय संगठन द्वारा है।
प्र013. हृास व्यय किसे कहते है ?
उ0 एक लेखा वर्ष में उत्पादन प्रक्रिया के दौरान पँूजीगत वस्तुओं के मूल्य में सामान्य टूट-फूट और धिसावट को हृास व्यय कहते है।
उ0 प्रति व्यक्ति आय
प्र02 ..................... आय एकपक्षीय भुगतान है। यह बिना किसी वस्तु या सेवा के बदले प्राप्त होती है।
उ0 हस्तान्तरण आय
प्र03. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना कौन सा संगठन करता है।
उ0 केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन
प्र04. सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से मूल्य ह्यस को धटा देने से जो शेष बचता है उसे ................................ कहते है।
उ0 शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
प्र05. भारत में लेखा अवधि क्या है ?
उ0 1अप्रैल से 31 मार्च तक
प्र06. सकल धरेलू उत्पाद का सूत्र लिखिए ?
उ0 GDP = GNP-(E-1)
प्र07. राष्ट्रीय आय किसे कहते है ?
उ0 प्रौ0 मार्शल के अनुसार - "देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूॅजी द्वारा कार्य करने पर प्रतिवर्ष भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इन सबकी शुद्ध उत्पति का योग राष्ट्रीय आय कहलाती है"।
प्र08. प्रति व्यक्ति आय किसे कहते है ?
उ0 कल आय को कुल जनसंख्या से भाग देने से जो आय प्राप्त होती है उसे प्रति व्यक्ति आय कहते है।
प्र09. हस्तान्तरण आय किसे कहते है ?
उ0 यह एकपक्षीय भुगतान है। यह बिना किसी वस्तु या सेवा क बदले प्राप्त होती है।
प्र010. वैयक्तिक आय क्या है ?
उ0 एक वर्ष की अवधि में एक देश के सभी व्यक्ति या परिवार जितनी आय वास्तव में प्राप्त करते है उन सभी आय के योग को वैयक्तिक आय कहते है।
प्र011. राष्ट्रीय प्रयोज्य आय क्या है ?
उ0 राष्ट्रीय प्रयोज्य आय राष्ट्रीय आय, अप्रत्यख कर तथा शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध आय का योग होता है।
प्र012. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना किस संस्था द्वारा की जाती है ?
उ0 केन्द्रीय संाख्यिकीय संगठन द्वारा है।
प्र013. हृास व्यय किसे कहते है ?
उ0 एक लेखा वर्ष में उत्पादन प्रक्रिया के दौरान पँूजीगत वस्तुओं के मूल्य में सामान्य टूट-फूट और धिसावट को हृास व्यय कहते है।
🔰लधु तथा विस्तृत प्रश्नोत्तर
प्र0 1. अंतिम और मध्यवर्ती वस्तु क्या है?
उ0 अंतिम वस्तु वे वस्तुएँ होती हैं जो उपभोक्ता द्वारा अंतिम वस्तु के रूप में प्रयोग होती है। मध्यवर्ती वस्तु-मध्यवर्ती वस्तु वे वस्तुएँ हैं जो उद्योगों द्वारा, कच्चे माल के रूप में प्रयोग की जाती है।
प्र0 2. उपभोग वस्तुएँ और पूँजीगत वस्तुएँ किसे कहते है ?
उ0 पूंजीगत सामान-पूंजीगत वस्तुओं का उपयोग अन्य वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, किसी कारखाने में लगी भारी मशीनरी। उपभोक्ता वस्तुएं-उपभोक्ता वस्तुएँ प्रत्यक्ष उपभोग के लिए होती हैं। दूसरे शब्दों में, उपभोक्ता वस्तुओं का उपयोग नया माल बनाने के लिए नहीं किया जाता है।
प्र0 3. पूँजीगत वस्तुएँ क्या होती है ?
उ0 पूंजीगत वस्तुएँ (Capital Goods) भौतिक संपत्तियांँ हैं जिन्हें एक कंपनी उत्पादन प्रक्रिया में उत्पादों और सेवाओं के निर्माण हेतु उपयोग करती है तथा जिनका बाद में उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग किया जाता है। पूंजीगत वस्तुओं में भवन, मशीनरी, उपकरण, वाहन और उपकरण शामिल हैं।
प्र0 4. टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएँ क्या होती है ?
उ0 वस्तुएँ अधिक समय तक उपभोग की जाती है जैसे टेलीविजन, कम्प्यूटर, टेबल आदि को टिकाऊ वस्तुएँ कहते हैं। इनका जीवन काल लंबा होता है। उपयोग होने पर इनमें भी टूट-फूट होती है और मरम्मत करने पर यह दूबार उपभोग किया जा सकता है। इस प्रकार की वस्तुएँ को टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएँ कहते हैं।
प्र0 5. स्टॉक और प्रवाह में क्या अन्तर है ?
उ0 स्टॉक एक समय बिंदु या निश्चित समय पर मापा जाने वाला चर है। प्रवाह वह चर है जो एक निश्चित समयावधि पर मापा जाता है। स्टॉक का समय-काल नहीं होता है। प्रवाह का समय-काल होता है।
प्र0 6.आय का चक्रीय प्रवाह या आय का वर्तुल प्रवाह किसे कहते है ?
उ0 अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र आपस में एक-दूसरे से सम्बन्धित रहते हैं। अत: अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के मध्य पारस्परिक सम्बन्धों के कारण आय व उत्पादों का एक-दूसरे क्षेत्र के मध्य आदान-प्रदान होता रहता है. इसी को आय का चक्रीय प्रवाह या आय का वर्तुल प्रवाह कहा जाता है।
प्र0 7. मौद्रिक प्रवाह से क्या आशय है?
मौद्रिक प्रवाह से आशय 'किसी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रकों के बीच मुद्रा या अन्य साधनों की मौद्रिक आयों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आदान-प्रदान अर्थात आवागमन' मौद्रिक प्रवाह कहलाता है।
प्र0 8. मूल्यह्रास किसे कहते हैं?
सरल शब्दों में स्थायी संपत्तियों के निरन्तर उपयोग हाने से उसमें समय-समय पर टूट.फूट के कारण मूल्य में जो कमी आती हैए उसे मूल्य ह्रास कहते हैं। मूल्य ह्रास से संपत्तियों की कीमतों में लगातार कमी होती रहती है।
प्र0 9 - राष्ट्रीय आय किसे कहते है। राष्ट्रीय आय और आर्थिक विकास में क्या सम्बन्ध है ?
राष्ट्रीय आय का अर्थ, परिभाषा तथा विशेषताएॅ-
एक अर्थव्यवस्था में, एक वर्ष में पैदा सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है जिसकी गणना, दोहरी गणना के बिना की जाती है। यह गणना प्रचलित कीमतों पर की जाती है तथा इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन सम्मिलित की जाती है।
अन्य परिभाषा -
प्रौ0 मार्शल के अनुसार - "देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूॅजी द्वारा कार्य करने पर प्रतिवर्ष भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इन सबकी शुद्ध उत्पति का योग राष्ट्रीय आय कहलाती है।"
राष्ट्रीय आय की विशेषताएॅ -
1. यह पैदा की गई सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य होता है।
2. यह देश के सभी निवासियों की आय को शामिल किया जाता है।
3. आय की गणना दोहरी गणना के बिना की जाती है।
4. एक लेखा वर्ष के लिए की जाती है।
5. इसमें अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं होते।
राष्ट्रीय आय और आर्थिक विकास में सम्बन्ध
राष्ट्रीय आय एक अर्थव्यवस्था में आर्थिक प्रगति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है।राष्ट्रीयआय एवं आर्थिक विकास में धनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। उच्च प्रति व्यक्ति आय वाला देश निम्न प्रति व्यक्ति आय वाला देश की अपेक्ष अधिक विकासित माना जाता है। राष्ट्रीय आय में वृद्वि से किसी भी देश के आर्थिक कल्याण में वृद्वि होती है। जिससे उपभोग के लिए अधिक मात्रा में वस्तुएॅ व सेवाएॅ उपलब्ध हो जाती है इससे अधिक आर्थिक कल्याण में वृद्वि होती है। इसके विपरित राष्ट्रीय आय में कमी से किसी भी देश के आर्थिक कल्याण में कमी होती है जिससे उपभोग के लिए कम मात्रा में वस्तुएॅ व सेवाएॅ उपलब्ध हो जाती है जिसका देश की अर्थव्यवस्था तथा आर्थिक विकास में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और देश की विकास दर धीमी हो जाती है जिससे देश के उधोग, रोजगार, कीमतों, व्यापार आदि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
प्र010. राष्ट्रीय आय की विभिन्न संकल्पनाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए ?
राष्ट्रीय आय की विभिन्न संकल्पनाएॅ-
1. कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) - एक अर्थव्यवस्था में, एक वर्ष में पैदा सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है जिसकी गणना, दोहरी गणना के बिना की जाती है। यह गणना बाजारी प्रचलित कीमतों पर की जाती है।
2. कुल धरेलू उत्पाद (GDP) - किसी देश में एक वर्ष की अवधि में जिन वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाता है, उनके मौद्रिक मूल्य को ही धरेलू उत्पाद कहते है। इस मूल्य में से विदेशियों द्वारा अर्जित आय को धटा दिया जाता हैं और विदेशों से प्राप्त आय को जोड़ दिया जाता है।
सूत्र - कुल धरेलू उत्पाद (GDP) = कुल राष्ट्रीय उत्पाद - (निर्यात - आयात मूल्य)
3. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) - कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से मूल्यहृस को धटा देने से शेष बचता है उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहते है।
सूत्र - शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद - मूल्यहृस
4. शुद्ध धरेलू उत्पाद (NDP) - किसी देश में एक वर्ष की अवधि में देश के अपने ही साधनों द्वारा उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य में से यदि धिसावट व्यय अथवा मूलयहृास व्यय धटा दिया तो जो शेष बचता है, उसे शुद्ध धरेलू उत्पाद कहते है।
सूत्र - शुद्ध धरेलू उत्पाद (NDP) = कुल धरेलू उत्पाद - धिसावट व्यय
5. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय (NNIFC) - बाजार मूल्यों पर विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में से परोक्ष कर धटाने व आर्थिक सहायता जोड़ने से जो राशि आती है, वह साधन लागत पर विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहलाती है। इसे ही देश की राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
सूत्र - राष्ट्रीय आय = शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद - परोक्ष कर + आर्थिक सहायता
6. वैयक्तिक आय (Personal Income) - एक वर्ष की अवधि में एक देश के सभी व्यक्ति या परिवार जितनी आय वास्तव में प्राप्त करते है, उन सभी आयों के योग को वैयक्तिक आय कहते है। इसके अन्र्तगत हम मजदूरी, वेतन, ब्याज, लगान तथा लाभांश आदि को सम्मिलित करते है।
राष्ट्रीय आय में से वैयक्ति आय निकालने के लिए।
सूत्र - वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय - (सामाजिक सुरक्षा कटौती + संयुक्त पूॅजी वाली कम्पनिया के लाभ - हस्तान्तरित भुगतान।
7 उपभोग आय (Disposable Income) - व्यक्ति तथा परिवारों के पास जो वैयक्तिक आय होती है, वह सब उपभोग कार्यो पर व्यय नहीं की जाती, आय का एक भाग वैयक्तिक करों के रूप में सरकार को भुगतान करना होता है और जो भाग शेष बचा रहता है, उपभोग के काम आता है।
सूत्र - उपभोग्य आय = वैयक्तिक आय - वैयक्तिक कर
परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि उपभोग्य आय पूरी तरह से उपभोग पर व्यय कर दी जाए। जो व्यक्ति अपनी आय का कुछ भाग बचा लेते है उसे बचत कहते है।
सूत्र - उपभोग्य आय = उपभोग्य + बचत
प्र0 11. - राष्ट्रीय आय की परिभाषा दीजिए। इसके मापने में किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ?
राष्ट्रीय आय का अर्थ तथा परिभाषा
"एक अर्थव्यवस्था में, एक वर्ष में पैदा सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है जिसकी गणना, दोहरी गणना के बिना की जाती है। यह गणना प्रचलित कीमतों पर की जाती है तथा इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन सम्मिलित की जाती है।"
अन्य परिभाषा -
प्रौ0 मार्शल के अनुसार - "देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूॅजी द्वारा कार्य करने पर प्रतिवर्ष भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इन सबकी शुद्ध उत्पादन का योग राष्ट्रीय आय कहलाती है।"
भारत की राष्ट्रीय आय गणना में होने वाली कठिनाइयाॅ-
1. पर्याप्त एवं विश्वसनीय आंकडों का अभाव।
2. व्यावसायिक विशिष्टीकरण का अभाव।
3. उत्पादन के कुछ भाग की गणना करना कठिन होना।
4. कुछ वस्तुओं तथा सेवाओं का राष्ट्रीय आय के अन्र्तगत निर्धारण का अभाव।
5. देश में औद्योगिक श्रमता का पूर्ण उपयोग न होना।
6. सरकार द्वारा लगाये गये कर तथा व्यय के कारण राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाई उत्पन्न होना।
7. देश में प्राकृतिक तथा मानवी संसाधनों का समुचित उपयोग न होना।
8. सामाजिक व आर्थिक पिछड़ापन तथा शिक्षा तथा जगरूकता का अभाव।
9. दोहरी गणना की समस्या।
10.अमौद्रिक क्षेत्र का प्रभाव।
प्र0 12. - राष्ट्रीय आय व प्रति व्यक्ति आय में क्या अन्तर होता है ?
राष्ट्रीय आय व प्रति व्यक्ति आय में अन्तर
राष्ट्रीय आय
एक अर्थव्यवस्था में, एक वर्ष में पैदा सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है जिसकी गणना, दोहरी गणना के बिना की जाती है। राष्ट्रीय आय अर्थव्यवस्था में उत्पादित विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओें की मात्रा का योग होती है।
अन्य परिभाषा -
प्रौ0 मार्शल के अनुसार - "देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूॅजी द्वारा कार्य करने पर प्रतिवर्ष भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इन सबकी शुद्ध उत्पादन का योग राष्ट्रीय आय कहलाती है।"
राष्ट्रीय आय आय व प्रति व्यक्ति आय में अन्तर
प्रति व्यक्ति आय - प्रति व्यक्ति आय अर्थव्यवस्था की औसत आय के बारे में बताती है। अर्थव्यवस्था की कुल आय से कुल जनसंख्या को भाग देकर प्रति व्यक्ति आय को ज्ञात किया जाता है।
कुल राष्ट्रीय आय
सूत्र - प्रति व्यक्ति आय = -------------------------
कुल जनसख्या
प्र013. राष्ट्रीय आय की गणन विधियाॅ लिखिए ।
राष्ट्रीय आय की गणन विधियाॅ
1. उत्पादन प्रणाली - इस प्रणाली में देश के समस्त उद्योगों, कृषि तथा अन्य प्रकार के व्यवसायों की कुल उपज का मूल्य चालू कीमतों पर निकाला जाता है और इससे चल व अचल प्रतिस्थापन धटाकर जो शुद्ध उत्पाद बचती है, वही उस वर्ष की राष्ट्रीय आय होती है। इसका प्रयोग वहाॅ किया जाता है जहाॅ पर आॅकड़े उपलब्ध होतो है।
2. आय प्रणाली - इस प्रणाली के अन्तर्गत राष्ट्रीय आय का अनुमान देश के विभिन्न वयक्तियों के दो वर्गो की आय जोड़कर किया जाता है। इसमें सर्वप्रथम आय को पाॅच वर्गो में विभाजित किया जाता है।
1. कर्चचारियों का वेतन
2. गैर-कम्पनी व्यापारों की आय
3. व्यक्तियों की किराए की आय
4. कम्पनियों के लाभ
5. ब्याज से आय
उपरोक्त सभी आय को जोड़कर राष्ट्रीय आय ज्ञात कर ली जाती है।
3. मिश्रित प्रणाली - इस प्रणाली के अन्तर्गत उत्पादन रीति व आय रीति दोनों का ही प्रयोग किया जाता हैं । जिन उद्योगों व्यवसायों में उत्पादन से सम्बन्धित आॅकड़े उपलब्ध होते है उनकी उपज का मूल्य को ज्ञात करने के लिए उत्पादन प्रणाली का प्रयोेग किया जाता है तथा जिन व्यवसायों में ये आॅकड़ें उपलब्ध नहीं होते, उनमें आय ज्ञात करने के लिए आय प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।
4. व्यय प्रणाली - इस प्रणाली के अन्तर्गत राष्ट्रीय आय को ज्ञात करने के लिए वर्ष भर में वस्तुओं व सेवाओं पर किए जाने वाले कुल व्यय को जोड़ा को जोड़ा जाता है। व्यय दो मदों पर किया जाता है।
1. उपभोग वस्तु पर व्यय
2. निवेश वस्तुओं पर व्यय।
प्र0 14. - राष्ट्रीय आय की गणना का क्या महत्तव है ?
1. राष्ट्रीय आय किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के बारे सही जानकारी देता है। इससे उद्योगों, कृषि, सेवाओं आदि की जानकारी प्राप्त होती है।
2. राष्ट्रीय आय की सहायता से दो या दो से अधिक देशों की अर्थवयवस्था, प्रतिव्यक्ति आय, राष्ट्रªीय आय
आदि का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।
3. राष्ट्रीय आय के आँकड़े किसी देश की आर्थिक प्रगति के सूचक होते है। इनके द्वारा उत्पादन तथा अन्य क्षेत्रों में हुई प्रगति का अनुमान लगाया जा सकता है।
4. राष्ट्रीय आय से हम किसी देश के निवासियों के रहन-सहन के स्तर के बारे में जानकारी प्राप्त होता है।
5. राष्ट्रीय आय के अनुमान के अधार पर किसी भी देश की सरकार भावी योजनाओं का निर्माण करती है।
6. सरकार की आर्थिक नीति देश की राष्ट्रीय आय पर निर्भर करती है।
7. राष्ट्रीय आय के आँकड़ों के आधार पर ही बजट का निर्माण किया जाता है।
8. राष्ट्रीय आय से देश के आर्थिक विकास की भावी प्रवृत्ति का अनुमान लगाया जा सकता है। इसके साथ-साथ रोजगार व आय के स्तर के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
प्र0 15. राष्ट्रीय आय एवं घरेलू आय में अन्तर कीजिए।
उत्तर :
1. किसी देश के घरेलू क्षेत्र के भीतर निवासियों और गैर-निवासियों (यानी विदेशियों) द्वारा उत्पन्न आय को घरेलू आय कहा जाता है और देश के भीतर और बाहर सामान्य निवासियों द्वारा उत्पन्न आय को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
2. बाजार मूल्यों पर विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन में से परोक्ष कर घटाने व आर्थिक सहायता जोड़ने से जो राशि आती है, वह ही देश की राष्ट्रीय आय कहलाती है, जबकि एक वर्ष की अवधि में एक देश के सभी व्यक्ति या परिवार जितनी आय वास्तव में प्राप्त करते हैं, उन सभी के योग को व्यक्तिगत आय या घरेलू आय कहते हैं। इसके अन्तर्गत हम मजदूरी, वेतन, लगान तथा लाभांश आदि को सम्मिलित करते हैं।
प्रश्न 16. मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना कैसे की जाती है? समझाइए |
उत्तर : यह वह विधि है जो एक लेखा वर्ष में देश की घरेलू सीमा के अंदर प्रत्येक उत्पादक उद्यम द्वारा उत्पादन में किए गए योगदान की गणना करके राष्ट्रीय आय को मापती है। उत्पाद मूल्य एक लेखा वर्ष के दौरान किसी फर्म द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का बाजार मूल्य होता है।
1. राष्ट्रीय आय किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के बारे सही जानकारी देता है। इससे उद्योगों, कृषि, सेवाओं आदि की जानकारी प्राप्त होती है।
2. राष्ट्रीय आय की सहायता से दो या दो से अधिक देशों की अर्थवयवस्था, प्रतिव्यक्ति आय, राष्ट्रªीय आय
आदि का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।
3. राष्ट्रीय आय के आँकड़े किसी देश की आर्थिक प्रगति के सूचक होते है। इनके द्वारा उत्पादन तथा अन्य क्षेत्रों में हुई प्रगति का अनुमान लगाया जा सकता है।
4. राष्ट्रीय आय से हम किसी देश के निवासियों के रहन-सहन के स्तर के बारे में जानकारी प्राप्त होता है।
5. राष्ट्रीय आय के अनुमान के अधार पर किसी भी देश की सरकार भावी योजनाओं का निर्माण करती है।
6. सरकार की आर्थिक नीति देश की राष्ट्रीय आय पर निर्भर करती है।
7. राष्ट्रीय आय के आँकड़ों के आधार पर ही बजट का निर्माण किया जाता है।
8. राष्ट्रीय आय से देश के आर्थिक विकास की भावी प्रवृत्ति का अनुमान लगाया जा सकता है। इसके साथ-साथ रोजगार व आय के स्तर के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
प्र0 15. राष्ट्रीय आय एवं घरेलू आय में अन्तर कीजिए।
उत्तर :
1. किसी देश के घरेलू क्षेत्र के भीतर निवासियों और गैर-निवासियों (यानी विदेशियों) द्वारा उत्पन्न आय को घरेलू आय कहा जाता है और देश के भीतर और बाहर सामान्य निवासियों द्वारा उत्पन्न आय को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
2. बाजार मूल्यों पर विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन में से परोक्ष कर घटाने व आर्थिक सहायता जोड़ने से जो राशि आती है, वह ही देश की राष्ट्रीय आय कहलाती है, जबकि एक वर्ष की अवधि में एक देश के सभी व्यक्ति या परिवार जितनी आय वास्तव में प्राप्त करते हैं, उन सभी के योग को व्यक्तिगत आय या घरेलू आय कहते हैं। इसके अन्तर्गत हम मजदूरी, वेतन, लगान तथा लाभांश आदि को सम्मिलित करते हैं।
प्रश्न 16. मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना कैसे की जाती है? समझाइए |
उत्तर : यह वह विधि है जो एक लेखा वर्ष में देश की घरेलू सीमा के अंदर प्रत्येक उत्पादक उद्यम द्वारा उत्पादन में किए गए योगदान की गणना करके राष्ट्रीय आय को मापती है। उत्पाद मूल्य एक लेखा वर्ष के दौरान किसी फर्म द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का बाजार मूल्य होता है।
प्र0 17 - निजी आय और वैयक्तिक आय में क्या अन्तर होता है ?
निजी आय (Private Income)
1. वैयक्तिक आय की तुलना में निजी आय एक विस्तृत अवधारणा है। 2. यह निजी उद्यमों व परिवारों की सभी स्रोतों से आय का योग होती है। 3. इसमें निगम कर, अवितरित लाभ आदि 4. निजी आय राष्ट्रीय आय - सार्वजनिक क्षेत्रक को घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय + समस्त चालू हस्तांतरण। |
वैयक्तिक आय (Personal Income)
1. वैयक्तिक आय एक संकुचित अवधारण है। 2. यह व्यक्तियों अथवा परिवारों को प्राप्त होने वाली आय है। 3. इसमें निगम कर व अतिरिक्त लाभ शामिल नहीं होते। सम्मिलित रहते हैं। 4. वैयक्तिक आय = निजी आय - निगम करें - अवितरित लाभ (विदेशी कम्पनियों को शुद्ध प्रतिधारित आय को घटाकर) |
प्र0 18 - राष्ट्रीय आय और वैयक्तिक आय में क्या अन्तर होता है ?
राष्ट्रीय आय (National Income)
1. इसका सम्बन्ध सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की आय के प्रजनन से है। 2. इसमें हस्तांतरण आय शामिल नहीं होती। 3. इसमें राष्ट्रीय ऋणों पर ब्याज शामिल नहीं होता। 4. इसमें निगम कर तथा निगम बचतें शामिल होती हैं। |
वैयक्तिक आय (Personal Income)
1. यह एक प्राप्ति (Receipts) की धारणा है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की आय शामिल नहीं होती। 2. इसमें परिवारों और व्यक्तियों की हस्तांतरण आय शामिल होती है। 3. इसमें राष्ट्रीय ऋणों पर ब्याज शामिल होता है। 4. इसमें ये दोनों भुगतान शामिल नहीं होते। |
प्र0 19 - सकल धरेलू उत्पाद और सकल राष्ट्रीय उत्पाद में क्या अन्तर होता है ?
सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
1. GDP देश के घरेलू क्षेत्र में उत्पादित सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को बताता है। 2. GDP एक क्षेत्रीय घरेलू धारणा है जो देश के घरेलू क्षेत्र तक सीमित होती है। 3. GDP = GNP - शुद्ध विदेशी साधन आय - अर्थात् इस धारणा में शुद्ध विदेशी साधन आय शामिल नहीं होती। 4. GDP एक संकुचित धारणा है जो केवल घरेलू क्षेत्र तक सीमित होती है। |
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)
1. GNP देश में सामान्य निवासियों द्वारा। उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का बाज़ारी मूल्य होता है। 2. GNP एक राष्ट्रीय धारणा है जिसका सम्बन्ध देश के सामान्य निवासियों के साथ होता है। 3. GNP = GDP + शुद्ध विदेशी साधन आय अर्थात् 4. इस धारणा में शुद्ध विदेशी साधन आय शामिल होती है। |
20. स्टॉक और प्रवाह में भेद स्पष्ट कीजिए ?
स्टॉक
1. स्टॉक एक निश्चित बिंदु पर आर्थिक चर की माफ है 2. स्टॉक एक स्थिर अवधारणा है 3. राष्ट्रीय पूंजी स्टॉक का उदाहरण है |
प्रवाह
1. प्रवाह समय की एक निश्चित अवधि में आर्थिक चर की माप है 2. प्रवाह एक गतिशील अवधारणा है 3. राष्ट्रीय आय प्रवाह का उदाहरण है |
उदाहरण - हम एक उदाहरण से स्टॉक और प्रवाह को समझ सकते हैं माना किसी नल से हौज को पानी से भरा जा रहा है नल से प्रति मिनट जितना पानी हौज में भरा जा रहा है वहां प्रवाह है किंतु जितना पानी हौज में किसी निश्चित समय पर उपलब्ध है वहां स्टॉक है| हौज की भांति पूंजी भी स्टॉक है जबकि पूंजीगत स्टॉक के रखरखाव के लिए निश्चित निवेश एक प्रवाह है|
प्रश्न 21. निम्न आँकड़ों से साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि की गणना कीजिए-
उत्तर:-
मदें ₹ करोड़ में
(i) मूल्य ह्रास 30
(ii) आर्थिक सहायता 40
(iii) विक्रय 800
(iv) निर्यात 100
(v) अन्तिम स्टॉक 20
(vi) प्रारम्भिक स्टॉक 50
(vii) मध्यवर्ती क्रय 500
हल : शुद्ध मूल्य वृद्धि
= विक्रय + स्टॉक में परिवर्तन + आर्थिक सहायता + निर्यात+ मध्यवर्ती क्रय - मूल्य ह्रास
= 800+(50-20) + 40+ 100 - 500 - 30
= 800+30 + 140 - 530 = 970 - 530
उत्तर - ₹440 करोड़।
प्रश्न 22. निम्न आँकड़ों से व्यय योग्य सकल राष्ट्रीय आय की गणना कीजिए-
उत्तर:-
मदें ₹ (करोड़ में)
(i) राष्ट्रीय आय 2000
(ii) शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण 200
(iii) स्थिर पूँजी का उपभोग 100
(iv) शुद्ध साधन आय (विदेशों से) - 50
(v) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर - 250
हल : व्यय योग्य सकल राष्ट्रीय आय
= राष्ट्रीय आय + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण + स्थिर पूँजी का उपभोग + शुद्ध साधन आय (विदेशों से) + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= 2000+ 200+ 100- 50-250
= [2300] – [300]
उत्तर = ₹2000 करोड़।
प्रश्न 23. निम्न आँकड़ों के आधार पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद की बाजार मूल्य पर गणना कीजिए-
(i) कुल घरेलू उत्पाद (बाजार मूल्य) = ₹50720 करोड़
(ii) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = ₹2400 करोड़
हल :
कुल घरेलू उत्पाद (बाजार मूल्य) = ₹50720 करोड़
विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = ₹2400 करोड़
बाजार मूल्य पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) = कुल घरेलू उत्पाद (बाजार मूल्य) (GDP)+ विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFIA)
= ₹ 50720 करोड़ + ₹2400 करोड़
= ₹53120 करोड़ -
अतः बाजार मूल्य पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद
उत्तर = ₹53120 करोड़
उत्तर:-
मदें ₹ करोड़ में
(i) मूल्य ह्रास 30
(ii) आर्थिक सहायता 40
(iii) विक्रय 800
(iv) निर्यात 100
(v) अन्तिम स्टॉक 20
(vi) प्रारम्भिक स्टॉक 50
(vii) मध्यवर्ती क्रय 500
हल : शुद्ध मूल्य वृद्धि
= विक्रय + स्टॉक में परिवर्तन + आर्थिक सहायता + निर्यात+ मध्यवर्ती क्रय - मूल्य ह्रास
= 800+(50-20) + 40+ 100 - 500 - 30
= 800+30 + 140 - 530 = 970 - 530
उत्तर - ₹440 करोड़।
प्रश्न 22. निम्न आँकड़ों से व्यय योग्य सकल राष्ट्रीय आय की गणना कीजिए-
उत्तर:-
मदें ₹ (करोड़ में)
(i) राष्ट्रीय आय 2000
(ii) शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण 200
(iii) स्थिर पूँजी का उपभोग 100
(iv) शुद्ध साधन आय (विदेशों से) - 50
(v) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर - 250
हल : व्यय योग्य सकल राष्ट्रीय आय
= राष्ट्रीय आय + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण + स्थिर पूँजी का उपभोग + शुद्ध साधन आय (विदेशों से) + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= 2000+ 200+ 100- 50-250
= [2300] – [300]
उत्तर = ₹2000 करोड़।
प्रश्न 23. निम्न आँकड़ों के आधार पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद की बाजार मूल्य पर गणना कीजिए-
(i) कुल घरेलू उत्पाद (बाजार मूल्य) = ₹50720 करोड़
(ii) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = ₹2400 करोड़
हल :
कुल घरेलू उत्पाद (बाजार मूल्य) = ₹50720 करोड़
विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = ₹2400 करोड़
बाजार मूल्य पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) = कुल घरेलू उत्पाद (बाजार मूल्य) (GDP)+ विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFIA)
= ₹ 50720 करोड़ + ₹2400 करोड़
= ₹53120 करोड़ -
अतः बाजार मूल्य पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद
उत्तर = ₹53120 करोड़
ASSESSMENT (मूल्यांकन)
ASSESSMENT (मूल्यांकन)
सभी प्रश्न करना अनिवार्य है। प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के होगें।