5.भारत में मानव पूँजी का निर्माण
Text Questions and Answers
प्रश्न 1. किसी देश में मानवीय पूँजी के दो प्रमुख |स्रोत क्या होते हैं?
उत्तर:
किसी देश में मानवीय पूँजी के दो प्रमुख स्रोत निम्न प्रकार हैं
उत्तर:
किसी देश की शैक्षिक उपलब्धियों के प्रमुख सूचक निम्न होंगे
उत्तर:
भारत में विभिन्न क्षेत्रों अथवा राज्यों में शिक्षा पर किए गए निवेश में भिन्नता के कारण शैक्षिक उपलब्धियों में क्षेत्रीय विषमताएँ आती हैं।
प्रश्न 4. मानव पूंजी निर्माण और मानव विकास के भेद को स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रायः मानव पूंजी निर्माण एवं मानव विकास दोनों शब्द समान प्रतीत होते हैं; किन्तु वास्तव में इनके मध्य स्पष्ट अन्तर है। मानव पूँजी निर्माण का तात्पर्य शिक्षा एवं स्वास्थ्य द्वारा श्रम की उत्पादकता में वृद्धि करने से है। इसके विपरीत मानव विकास का तात्पर्य है कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य मानव कल्याण का अभिन्न अंग है तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य के आधार पर सुदीर्घ स्वस्थ जीवन-यापन करने की क्षमता आती है तथा तभी वे ऐसे चुनाव कर पाते हैं, जो महत्त्वपूर्ण होते हैं। मानव पूंजी का विचार मानव को किसी साध्य की प्राप्ति का साधन मानता है, जबकि मानव विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव स्वयं साध्य भी है।
प्रश्न 5. मानव पूँजी की तुलना में मानव विकास किस प्रकार से अधिक व्यापक है?
उत्तर:
मानव पूँजी की तुलना में मानव विकास की अवधारणा अधिक व्यापक है; क्योंकि मानव पूंजी में शिक्षा एवं स्वास्थ्य को श्रम की उत्पादकता बढ़ाने का एक अभिन्न अंग माना जाता है, जबकि मानव विकास की अवधारणा व्यापक है। इसमें शिक्षा एवं स्वास्थ्य को मानव कल्याण का अभिन्न अंग माना जाता है; क्योंकि शिक्षा के आधार पर सुदीर्घ स्वस्थ जीवन-यापन करने की क्षमता आती है। मानव पूँजी का सम्बन्ध मानव की उत्पादकता में सुधार से है जबकि मानव विकास का सम्बन्ध मानव कल्याण के संवर्द्धन से है।
प्रश्न 6. मानव पूँजी के निर्माण में किन कारकों का योगदान रहता है?
उत्तर:
मानव पूंजी के निर्माण में निम्न कारकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है।
उत्तर:
भारत में विभिन्न योजनाओं में शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर बड़ी मात्रा में सार्वजनिक व्यय किया गया है। सरकार इस व्यय से नए स्कूलों, कॉलेजों एवं अस्पतालों की स्थापना करती है तथा विभिन्न सरकारी संस्थाएँ शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास एवं विस्तार हेतु स्थापित की गई हैं। भारत में शिक्षा क्षेत्र के अन्तर्गत संघ और राज्य-स्तर पर शिक्षा मन्त्रालय, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् कार्य कर रही हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में संघ और राज्य स्तरों पर स्वास्थ्य मन्त्रालय और विभिन्न संस्थाओं के स्वास्थ्य विभाग तथा भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद् आदि कार्य कर रही हैं।
प्रश्न 8. शिक्षा को किसी राष्ट्र के विकास में एक महत्त्वपूर्ण आगत माना जाता है। क्यों?
उत्तर:
शिक्षा, मानव पूँजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत होता है। शिक्षा में किया गया निवेश देश की आर्थिक संवृद्धि एवं विकास हेतु महत्त्वपूर्ण है। शिक्षा के माध्यम से श्रम को कुशल एवं प्रशिक्षित किया जा सकता है तथा इसके फलस्वरूप श्रम अधिक उत्पादक बन जाता है अर्थात् उसकी उत्पादकता बढ़ती है। यदि देश के श्रम की उत्पादकता बढ़ती है तो इसके फलस्वरूप देश के उत्पादन एवं आय में वृद्धि होती है। अतः शिक्षा को किसी राष्ट्र के विकास में एक महत्त्वपूर्ण आगत माना जाता है।
प्रश्न 9. पूँजी निर्माण के निम्नलिखित स्रोतों पर चर्चा कीजिए
(क) स्वास्थ्य आधारिक संरचना
(ख) प्रवसन पर व्यय।
उत्तर:
(क) स्वास्थ्य आधारिक संरचना: स्वास्थ्य सेवाएँ मानव पूंजी निर्माण के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। किसी कार्य को अच्छी तरह करने हेतु व्यक्ति का स्वस्थ होना आवश्यक है। एक अस्वस्थ व्यक्ति की उत्पादकता कम होती है। अस्वस्थ होने पर व्यक्ति उत्पादन कार्य से विमुख हो जाता है। अतः स्वास्थ्य पर निवेश करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य सुधरता है तथा उसकी उत्पादकता बढ़ती है, अतः स्वास्थ्य आधारिक संरचना मानव पूंजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
(ख) प्रवसन पर व्यय: प्रवसन का तात्पर्य रोजगार के बेहतर विकल्पों हेतु एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन करने से है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कम अवसर उपलब्ध होते हैं, अतः लोग शहरों की ओर प्रवसन अथवा पलायन करते हैं । इसी प्रकार उच्च शिक्षा प्राप्त लोग एक देश से दूसरे देश की ओर पलायन करते हैं। नए स्थानों पर जाने पर लोगों की लागत तो बढ़ती है किन्तु उनकी | आय में भी लागतों की अपेक्षा अधिक वृद्धि होती है। अतः प्रवसन पर किया गया व्यय भी मानव पूंजी निर्माण का एक स्रोत है।
प्रश्न 10. मानव संसाधनों के प्रभावी प्रयोग के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा पर व्यय सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता का निरूपण करें।
उत्तर:
मानव पूँजी निर्माण हेतु शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर किया गया निवेश महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इन मदों पर किए गए व्यय सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर किया गया व्यय अनुत्पादक व्यय होता है। इससे उत्पादन में प्रत्यक्ष रूप से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है; किन्तु मानव कल्याण का संवर्द्धन होता है तथा वे अधिक उत्पादक बनते हैं। किन्तु इन पर किए गए व्यय की जानकारी रखना आवश्यक है ताकि भविष्य में पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन किया जा सके।
प्रश्न 11. मानव पूँजी में निवेश आर्थिक संवृद्धि में किस प्रकार सहायक होता है?
उत्तर:
मानव पूंजी निर्माण हेतु किए गए निवेश का आर्थिक संवृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। देश में मानवीय संसाधनों की शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रवसन, प्रशिक्षण, सूचना आदि पर निवेश करके मानवीय संसाधनों की उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है, उत्पादकता में वृद्धि होने से देश के उत्पादन अथवा राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। इससे देश की वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है तथा आर्थिक संवृद्धि दर भी बढ़ती है। मानव पूंजी निवेश से आधुनिक प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन मिलता है जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है। हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था पर दो स्वतन्त्र अध्ययनों ने इस बात पर बल दिया है कि भारत अपनी पूंजी निर्माण क्षमता के कारण बहुत 'जी से संवृद्धिशील हो पाएगा।
प्रश्न 12. विश्व भर में औसत शैक्षिक स्तर में सुधार के साथ-साथ विषमताओं में कमी की प्रवृत्ति पायी गयी है। टिप्पणी करें।
उत्तर:
जैसे - जैसे औसत शैक्षिक स्तर में सुधार होता है वैसे-वैसे लोगों की उत्पादकता बढ़ती है तथा उनके सम्मुख रोजगार के अवसर भी बढ़ जाते हैं, अत: शिक्षा के स्तर में वृद्धि के साथ लोगों की आय में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप आर्थिक विषमताओं में कमी आती है। शिक्षा से आर्थिक एवं सामाजिक दोनों विषमताएँ कम होती हैं तथा पुरुषों और महिलाओं के बीच का अन्तर भी कम होता है। अत: विश्व-भर में औसत शैक्षिक स्तर में सुधार के साथसाथ विषमताओं में कमी की प्रवृत्ति पाई गई है।
प्रश्न 13. किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास में शिक्षा की भूमिका का विश्लेषण करें।
उत्तर:
किसी देश की आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में शिक्षा की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा के फलस्वरूप देश के मानवीय संसाधनों को अधिक कुशल एवं उत्पादक बनाया जाता है जिसके फलस्वरूप देश के उत्पादन तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। अधिक आय के फलस्वरूप देश का सामाजिक विकास भी होता है तथा आधारिक संरचना का भी विकास होता है। शिक्षा के फलस्वरूप देश में नवीन प्रौद्योगिकी एवं नव-प्रवर्तन को भी बल मिलता है, जिसका देश के आर्थिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 14. समझाइए कि शिक्षा में निवेश आर्थिक |संवृद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर:
शिक्षा में निवेश से श्रम को अधिक कुशल एवं उत्पादक बनाया जा सकता है, इससे देश की आर्थिक संवृद्धि दर में वृद्धि होती है। शिक्षित श्रमिक नयी प्रौद्योगिकी एवं नवप्रवर्तन अपनाने को प्रोत्साहित होता है जिससे आर्थिक संवृद्धि को बल मिलता है।
प्रश्न 15. किसी व्यक्ति के लिए कार्य के दौरान प्रशिक्षण क्यों आवश्यक होता है?
उत्तर:
कार्य के दौरान प्रशिक्षण मानव पूँजी निर्माण का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। किसी फर्म द्वारा जब कार्य के दौरान प्रशिक्षण दिया जाता है, तो इससे श्रमिक की कार्यकुशलता में सुधार होता है तथा साथ ही उस श्रम की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है, जिसका फर्म को लाभ होता है। इसके अतिरिक्त कई बार नई प्रौद्योगिकी तथा नई मशीनों के संचालन हेतु भी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे अधिक कुशलतापूर्वक कार्य कर सकें।
प्रश्न 16. मानव पूँजी तथा आर्थिक संवृद्धि के बीच सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव पूंजी में वृद्धि होने पर आर्थिक संवृद्धि में भी वृद्धि होती है तथा मानव पूंजी में कमी होने पर आर्थिक संवृद्धि में भी कमी आती है। अतः मानव पूँजी तथा आर्थिक संवृद्धि के मध्य सीधा सम्बन्ध है।
प्रश्न 17. भारत में स्त्री शिक्षा के प्रोत्साहन पर चर्चा करें।
उत्तर:
भारत में स्वतन्त्रता के समय स्त्री शिक्षा की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी तथा साक्षरता दर बहुत नीची थी। अभी भी स्वी साक्षरता दर काफी नीची है। देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास हेतु स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहित करना अति आवश्यक है। भारत में कई कारणों से स्त्री |शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जाना आवश्यक है; जैसे
उत्तर:
शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सरकारी हस्तक्षेप के पक्ष में तर्क-शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों में सरकारी हस्तक्षेप के पक्ष में निम्न तर्क दिए जा सकते हैं।
उत्तर:
भारत में पूँजी निर्माण की मुख्य समस्याएँभारत में अनेक समस्याएँ हैं जिस कारण मानव पूँजी निर्माण करने में बाधा उत्पन्न होती है। ये समस्याएँ निम्न प्रकार।
1. निर्धनता एवं बेरोजगारी: भारत में बेरोजगारी एवं निर्धनता मुख्य समस्याएं हैं। इनके कारण लोगों के पास आर्थिक संसाधनों का अभाव रहता है जिस कारण वे लोग बुनियादी शिक्षा एवं अति आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ भी प्राप्त नहीं कर पाते। इस कारण मानव पूंजी निर्माण में बाधा उत्पन्न होती है।
2. निरक्षरता: भारत में आज भी साक्षरता दर अत्यन्त नीची है तथा महिला साक्षरता दर तो बहुत कम है। भारत में वर्ष 2000 में पुरुषों की वयस्क साक्षरता दर मात्र 68.4 प्रतिशत तथा महिलाओं में यह केवल 45.4 प्रतिशत थी, यह वर्ष 2015 में बढ़कर क्रमशः 81 प्रतिशत एवं 63 प्रतिशत हो गई। अत: साक्षरता की निम्न दर मानव पूंजी निर्माण की मुख्य बाधा है।
3. श्रम की कार्यकुशलता एवं प्रशिक्षण का अभाव| भारत में अधिकांश श्रमिक निरक्षर एवं निर्धन हैं, अत: उनमें कार्यकुशलता का अभाव पाया जाता है। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, अत: देश में मानव पूंजी निर्माण धीमी गति से ही सम्भव हो पाता है।
4. स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव: देश की जनसंख्या के हिसाब से यहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं का नितान्त अभाव है तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से लोगों को आवश्यक सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पाती हैं तथा मानव पूंजी निर्माण नहीं हो पाता है।
5. शिक्षा सुविधाओं का अभाव: भारत में संसाधनों के अभाव के कारण यहाँ पर शिक्षा के क्षेत्र में अधिक व्यय नहीं किया जा सका, अतः देश में शिक्षा सुविधाओं का अभाव रहता है जिससे साक्षरता दर नीची बनी हुई है, विशेष रूप से महिला साक्षरता दर काफी नीची है। यह मानव पूंजी निर्माण की एक प्रमुख समस्या है।
प्रश्न 20. क्या आपके विचार में सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों के लिए जाने वाले शुल्कों की संरचना निर्धारित करनी चाहिए? यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर:
सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल संस्थाओं के लिए जाने वाले शुल्कों को निर्धारित करना चाहिए। भारत एक विकासशील राष्ट्र है तथा यहाँ की काफी जनसंख्या निर्धन है। यहाँ बेरोजगारी एवं निर्धनता मुख्य समस्या है। इस कारण लोग निम्न आर्थिक स्थिति के कारण बुनियादी शिक्षा एवं आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएँ भी प्राप्त नहीं कर पाते, अत: सरकार द्वारा इन सेवाओं के शुल्कों का उचित निर्धारण करना चाहिए क्योंकि शिक्षा
उत्तर:
किसी देश में मानवीय पूँजी के दो प्रमुख स्रोत निम्न प्रकार हैं
- शिक्षा में निवेश
- स्वास्थ्य में निवेश।
उत्तर:
किसी देश की शैक्षिक उपलब्धियों के प्रमुख सूचक निम्न होंगे
- वयस्क साक्षरता दर
- प्राथमिक शिक्षा सम्पूर्ति दर
- युवा साक्षरता दर।
उत्तर:
भारत में विभिन्न क्षेत्रों अथवा राज्यों में शिक्षा पर किए गए निवेश में भिन्नता के कारण शैक्षिक उपलब्धियों में क्षेत्रीय विषमताएँ आती हैं।
प्रश्न 4. मानव पूंजी निर्माण और मानव विकास के भेद को स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रायः मानव पूंजी निर्माण एवं मानव विकास दोनों शब्द समान प्रतीत होते हैं; किन्तु वास्तव में इनके मध्य स्पष्ट अन्तर है। मानव पूँजी निर्माण का तात्पर्य शिक्षा एवं स्वास्थ्य द्वारा श्रम की उत्पादकता में वृद्धि करने से है। इसके विपरीत मानव विकास का तात्पर्य है कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य मानव कल्याण का अभिन्न अंग है तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य के आधार पर सुदीर्घ स्वस्थ जीवन-यापन करने की क्षमता आती है तथा तभी वे ऐसे चुनाव कर पाते हैं, जो महत्त्वपूर्ण होते हैं। मानव पूंजी का विचार मानव को किसी साध्य की प्राप्ति का साधन मानता है, जबकि मानव विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव स्वयं साध्य भी है।
प्रश्न 5. मानव पूँजी की तुलना में मानव विकास किस प्रकार से अधिक व्यापक है?
उत्तर:
मानव पूँजी की तुलना में मानव विकास की अवधारणा अधिक व्यापक है; क्योंकि मानव पूंजी में शिक्षा एवं स्वास्थ्य को श्रम की उत्पादकता बढ़ाने का एक अभिन्न अंग माना जाता है, जबकि मानव विकास की अवधारणा व्यापक है। इसमें शिक्षा एवं स्वास्थ्य को मानव कल्याण का अभिन्न अंग माना जाता है; क्योंकि शिक्षा के आधार पर सुदीर्घ स्वस्थ जीवन-यापन करने की क्षमता आती है। मानव पूँजी का सम्बन्ध मानव की उत्पादकता में सुधार से है जबकि मानव विकास का सम्बन्ध मानव कल्याण के संवर्द्धन से है।
प्रश्न 6. मानव पूँजी के निर्माण में किन कारकों का योगदान रहता है?
उत्तर:
मानव पूंजी के निर्माण में निम्न कारकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है।
- शिक्षा में निवेश
- स्वास्थ्य में निवेश
- कार्य के दौरान प्रशिक्षण
- प्रबन्धन एवं सूचना
- प्रवसन
- श्रम तथा दूसरे बाजारों से सूचनाएँ प्राप्त करना = आदि।
उत्तर:
भारत में विभिन्न योजनाओं में शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर बड़ी मात्रा में सार्वजनिक व्यय किया गया है। सरकार इस व्यय से नए स्कूलों, कॉलेजों एवं अस्पतालों की स्थापना करती है तथा विभिन्न सरकारी संस्थाएँ शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास एवं विस्तार हेतु स्थापित की गई हैं। भारत में शिक्षा क्षेत्र के अन्तर्गत संघ और राज्य-स्तर पर शिक्षा मन्त्रालय, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् कार्य कर रही हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में संघ और राज्य स्तरों पर स्वास्थ्य मन्त्रालय और विभिन्न संस्थाओं के स्वास्थ्य विभाग तथा भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद् आदि कार्य कर रही हैं।
प्रश्न 8. शिक्षा को किसी राष्ट्र के विकास में एक महत्त्वपूर्ण आगत माना जाता है। क्यों?
उत्तर:
शिक्षा, मानव पूँजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत होता है। शिक्षा में किया गया निवेश देश की आर्थिक संवृद्धि एवं विकास हेतु महत्त्वपूर्ण है। शिक्षा के माध्यम से श्रम को कुशल एवं प्रशिक्षित किया जा सकता है तथा इसके फलस्वरूप श्रम अधिक उत्पादक बन जाता है अर्थात् उसकी उत्पादकता बढ़ती है। यदि देश के श्रम की उत्पादकता बढ़ती है तो इसके फलस्वरूप देश के उत्पादन एवं आय में वृद्धि होती है। अतः शिक्षा को किसी राष्ट्र के विकास में एक महत्त्वपूर्ण आगत माना जाता है।
प्रश्न 9. पूँजी निर्माण के निम्नलिखित स्रोतों पर चर्चा कीजिए
(क) स्वास्थ्य आधारिक संरचना
(ख) प्रवसन पर व्यय।
उत्तर:
(क) स्वास्थ्य आधारिक संरचना: स्वास्थ्य सेवाएँ मानव पूंजी निर्माण के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। किसी कार्य को अच्छी तरह करने हेतु व्यक्ति का स्वस्थ होना आवश्यक है। एक अस्वस्थ व्यक्ति की उत्पादकता कम होती है। अस्वस्थ होने पर व्यक्ति उत्पादन कार्य से विमुख हो जाता है। अतः स्वास्थ्य पर निवेश करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य सुधरता है तथा उसकी उत्पादकता बढ़ती है, अतः स्वास्थ्य आधारिक संरचना मानव पूंजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
(ख) प्रवसन पर व्यय: प्रवसन का तात्पर्य रोजगार के बेहतर विकल्पों हेतु एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन करने से है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कम अवसर उपलब्ध होते हैं, अतः लोग शहरों की ओर प्रवसन अथवा पलायन करते हैं । इसी प्रकार उच्च शिक्षा प्राप्त लोग एक देश से दूसरे देश की ओर पलायन करते हैं। नए स्थानों पर जाने पर लोगों की लागत तो बढ़ती है किन्तु उनकी | आय में भी लागतों की अपेक्षा अधिक वृद्धि होती है। अतः प्रवसन पर किया गया व्यय भी मानव पूंजी निर्माण का एक स्रोत है।
प्रश्न 10. मानव संसाधनों के प्रभावी प्रयोग के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा पर व्यय सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता का निरूपण करें।
उत्तर:
मानव पूँजी निर्माण हेतु शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर किया गया निवेश महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इन मदों पर किए गए व्यय सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर किया गया व्यय अनुत्पादक व्यय होता है। इससे उत्पादन में प्रत्यक्ष रूप से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है; किन्तु मानव कल्याण का संवर्द्धन होता है तथा वे अधिक उत्पादक बनते हैं। किन्तु इन पर किए गए व्यय की जानकारी रखना आवश्यक है ताकि भविष्य में पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन किया जा सके।
प्रश्न 11. मानव पूँजी में निवेश आर्थिक संवृद्धि में किस प्रकार सहायक होता है?
उत्तर:
मानव पूंजी निर्माण हेतु किए गए निवेश का आर्थिक संवृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। देश में मानवीय संसाधनों की शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रवसन, प्रशिक्षण, सूचना आदि पर निवेश करके मानवीय संसाधनों की उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है, उत्पादकता में वृद्धि होने से देश के उत्पादन अथवा राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। इससे देश की वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है तथा आर्थिक संवृद्धि दर भी बढ़ती है। मानव पूंजी निवेश से आधुनिक प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन मिलता है जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है। हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था पर दो स्वतन्त्र अध्ययनों ने इस बात पर बल दिया है कि भारत अपनी पूंजी निर्माण क्षमता के कारण बहुत 'जी से संवृद्धिशील हो पाएगा।
प्रश्न 12. विश्व भर में औसत शैक्षिक स्तर में सुधार के साथ-साथ विषमताओं में कमी की प्रवृत्ति पायी गयी है। टिप्पणी करें।
उत्तर:
जैसे - जैसे औसत शैक्षिक स्तर में सुधार होता है वैसे-वैसे लोगों की उत्पादकता बढ़ती है तथा उनके सम्मुख रोजगार के अवसर भी बढ़ जाते हैं, अत: शिक्षा के स्तर में वृद्धि के साथ लोगों की आय में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप आर्थिक विषमताओं में कमी आती है। शिक्षा से आर्थिक एवं सामाजिक दोनों विषमताएँ कम होती हैं तथा पुरुषों और महिलाओं के बीच का अन्तर भी कम होता है। अत: विश्व-भर में औसत शैक्षिक स्तर में सुधार के साथसाथ विषमताओं में कमी की प्रवृत्ति पाई गई है।
प्रश्न 13. किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास में शिक्षा की भूमिका का विश्लेषण करें।
उत्तर:
किसी देश की आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में शिक्षा की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा के फलस्वरूप देश के मानवीय संसाधनों को अधिक कुशल एवं उत्पादक बनाया जाता है जिसके फलस्वरूप देश के उत्पादन तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। अधिक आय के फलस्वरूप देश का सामाजिक विकास भी होता है तथा आधारिक संरचना का भी विकास होता है। शिक्षा के फलस्वरूप देश में नवीन प्रौद्योगिकी एवं नव-प्रवर्तन को भी बल मिलता है, जिसका देश के आर्थिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 14. समझाइए कि शिक्षा में निवेश आर्थिक |संवृद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर:
शिक्षा में निवेश से श्रम को अधिक कुशल एवं उत्पादक बनाया जा सकता है, इससे देश की आर्थिक संवृद्धि दर में वृद्धि होती है। शिक्षित श्रमिक नयी प्रौद्योगिकी एवं नवप्रवर्तन अपनाने को प्रोत्साहित होता है जिससे आर्थिक संवृद्धि को बल मिलता है।
प्रश्न 15. किसी व्यक्ति के लिए कार्य के दौरान प्रशिक्षण क्यों आवश्यक होता है?
उत्तर:
कार्य के दौरान प्रशिक्षण मानव पूँजी निर्माण का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। किसी फर्म द्वारा जब कार्य के दौरान प्रशिक्षण दिया जाता है, तो इससे श्रमिक की कार्यकुशलता में सुधार होता है तथा साथ ही उस श्रम की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है, जिसका फर्म को लाभ होता है। इसके अतिरिक्त कई बार नई प्रौद्योगिकी तथा नई मशीनों के संचालन हेतु भी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे अधिक कुशलतापूर्वक कार्य कर सकें।
प्रश्न 16. मानव पूँजी तथा आर्थिक संवृद्धि के बीच सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव पूंजी में वृद्धि होने पर आर्थिक संवृद्धि में भी वृद्धि होती है तथा मानव पूंजी में कमी होने पर आर्थिक संवृद्धि में भी कमी आती है। अतः मानव पूँजी तथा आर्थिक संवृद्धि के मध्य सीधा सम्बन्ध है।
प्रश्न 17. भारत में स्त्री शिक्षा के प्रोत्साहन पर चर्चा करें।
उत्तर:
भारत में स्वतन्त्रता के समय स्त्री शिक्षा की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी तथा साक्षरता दर बहुत नीची थी। अभी भी स्वी साक्षरता दर काफी नीची है। देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास हेतु स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहित करना अति आवश्यक है। भारत में कई कारणों से स्त्री |शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जाना आवश्यक है; जैसे
- स्त्री शिक्षा में वृद्धि से स्त्रियों को आर्थिक स्वतन्त्रता मिलेगी तथा देश के उत्पादन में भी अधिक वृद्धि सम्भव हो पाएगी।
- देश में नारी शिक्षा को प्रोत्साहित करने से उनके सामाजिक स्तर में सुधार होता है।
- नारी शिक्षा, प्रजनन दर और बच्चों के स्वास्थ्य सम्बन्धी देखभाल पर अनुकूल प्रभाव डालती है।
- नारी के शिक्षित होने से मानव पूँजी निर्माण को भी प्रोत्साहन मिलता है।
उत्तर:
शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सरकारी हस्तक्षेप के पक्ष में तर्क-शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों में सरकारी हस्तक्षेप के पक्ष में निम्न तर्क दिए जा सकते हैं।
- यदि शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप न हो तो निजी क्षेत्र का इन सेवाओं पर एकाधिकार होगा तथा वे ऊंची कीमत वसूल करेंगे, अत: इन सेवाओं की उचित कीमत निर्धारण हेतु सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक
- सरकारी हस्तक्षेप के अभाव में निम्न वर्गों अर्थात् निर्धन वर्गों को ये सेवाएँ पर्याप्त मात्रा में तथा कम कीमत पर उपलब्ध नहीं हो पाएंगी अतः सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक
- निर्धनता रेखा से नीचे निवास करने वाले लोगों को शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ निःशुल्क उपलब्ध करवानी पड़ती हैं तथा यह कार्य सरकार ही कर सकती है; क्योंकि निजी क्षेत्र लाभ प्राप्ति हेतु कार्य करते हैं।
- निजी क्षेत्र लाभ पर अधिक ध्यान देते हैं, अतः वे लागत को कम करने हेतु शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ताओं को ध्यान में नहीं रखते, अत: उन पर नियन्त्रण रखने हेतु सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक है।
- निजी सेवा प्रदायकों हेतु उचित मानकों के निर्धारण एवं उचित कीमत निर्धारण हेतु सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक
- विभिन्न योजनाओं में सार्वजनिक व्यय के अन्तर्गत शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी व्यय किया जाता है। इन व्ययों के मूल्यांकन एवं नियन्त्रण हेतु सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक है।
उत्तर:
भारत में पूँजी निर्माण की मुख्य समस्याएँभारत में अनेक समस्याएँ हैं जिस कारण मानव पूँजी निर्माण करने में बाधा उत्पन्न होती है। ये समस्याएँ निम्न प्रकार।
1. निर्धनता एवं बेरोजगारी: भारत में बेरोजगारी एवं निर्धनता मुख्य समस्याएं हैं। इनके कारण लोगों के पास आर्थिक संसाधनों का अभाव रहता है जिस कारण वे लोग बुनियादी शिक्षा एवं अति आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ भी प्राप्त नहीं कर पाते। इस कारण मानव पूंजी निर्माण में बाधा उत्पन्न होती है।
2. निरक्षरता: भारत में आज भी साक्षरता दर अत्यन्त नीची है तथा महिला साक्षरता दर तो बहुत कम है। भारत में वर्ष 2000 में पुरुषों की वयस्क साक्षरता दर मात्र 68.4 प्रतिशत तथा महिलाओं में यह केवल 45.4 प्रतिशत थी, यह वर्ष 2015 में बढ़कर क्रमशः 81 प्रतिशत एवं 63 प्रतिशत हो गई। अत: साक्षरता की निम्न दर मानव पूंजी निर्माण की मुख्य बाधा है।
3. श्रम की कार्यकुशलता एवं प्रशिक्षण का अभाव| भारत में अधिकांश श्रमिक निरक्षर एवं निर्धन हैं, अत: उनमें कार्यकुशलता का अभाव पाया जाता है। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, अत: देश में मानव पूंजी निर्माण धीमी गति से ही सम्भव हो पाता है।
4. स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव: देश की जनसंख्या के हिसाब से यहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं का नितान्त अभाव है तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से लोगों को आवश्यक सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पाती हैं तथा मानव पूंजी निर्माण नहीं हो पाता है।
5. शिक्षा सुविधाओं का अभाव: भारत में संसाधनों के अभाव के कारण यहाँ पर शिक्षा के क्षेत्र में अधिक व्यय नहीं किया जा सका, अतः देश में शिक्षा सुविधाओं का अभाव रहता है जिससे साक्षरता दर नीची बनी हुई है, विशेष रूप से महिला साक्षरता दर काफी नीची है। यह मानव पूंजी निर्माण की एक प्रमुख समस्या है।
प्रश्न 20. क्या आपके विचार में सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों के लिए जाने वाले शुल्कों की संरचना निर्धारित करनी चाहिए? यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर:
सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल संस्थाओं के लिए जाने वाले शुल्कों को निर्धारित करना चाहिए। भारत एक विकासशील राष्ट्र है तथा यहाँ की काफी जनसंख्या निर्धन है। यहाँ बेरोजगारी एवं निर्धनता मुख्य समस्या है। इस कारण लोग निम्न आर्थिक स्थिति के कारण बुनियादी शिक्षा एवं आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएँ भी प्राप्त नहीं कर पाते, अत: सरकार द्वारा इन सेवाओं के शुल्कों का उचित निर्धारण करना चाहिए क्योंकि शिक्षा
ASSESSMENT (मूल्यांकन)
ASSESSMENT (मूल्यांकन)
सभी प्रश्न करना अनिवार्य है। प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के होगें।