3. मुद्रा और बैंकिग
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🔰बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. दो पक्षों के बीच होने वाली वस्तुओं और सेवाओं की अदल-बदल की प्रक्रिया को कहते है ।
(a) वस्तु विनिमय
(b) विनिमय
(c) वितरण
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
2. निम्न में से किसे 'कागजी मुद्रा' कहते हैं-.
(a) करेंसी नोट
(b) चैक बुक
(c) सोने के सिक्के
(d) पास बुक।
3. "बुरी मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है।" यह कथन किसका है।
(a) ग्रेशम का
(b) मार्शल का
(c) रोबर्टसन का
(d) ऐली का
4. "मुद्रा वह धुरी है जिसके चारों ओर आर्थिक विज्ञान चक्कर लगाता है"। यह कथन किसका है।
(a) पीगू
(b) मार्शल
(c) रोबर्टसन ने
(d) हाँम ने
5. भारत में पत्र-मुद्रा निर्गमन करने का अधिकार किसको है।
(a) भारतीय स्टेट बैंक
(b) पंजाब नेशनल बैंक
(c) भारतीय रिजर्व बैंक
(d) केन्द्र सरकार
6. रिजर्व बैंक के कार्य है-
(a) रिजर्व बैंकः बैंक का बैंक है
(b) विनिमय दर को स्थिर रखना
(c) सरकार के बैंकर का कार्य करना
(d) उपर्युक्त सभी
7. चैक,ड्राफट,प्रतिज्ञा पत्र, विनिमय पत्र आदि ...... मुद्रा कहलाते है।
(a) पत्र मुद्रा
(b) साख
(c) धातु मुद्रा
(d) इनमें से कोई नहीं
8. भारत में एक रूपय का नोट निर्गमन करने का अधिकार है।
(a) भारत सरकार
(b) भारतीय रिजर्व बैंक
(c) भारतीय स्टेट बैंक
(d) राज्य सरकारों को
9. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के उपाय इनमें से कौन से है ?
(a) बैंक-दर में परिवर्तन
(b) खुले बाजार की क्रियाएँ
(c) नकद कोषों के अनुपात में परिवर्तन
(d) उपर्युक्त सभी
10. मुद्रा के प्रमुख कार्य कौन से है ?
(a) विनिमय का माध्यम
(b) मूल्य मापक
(c) मूल्य के हस्तान्तरण
(d) उपर्युक्त सभी
11. एक व्यक्ति को ऐसे दूससे व्यक्ति की तलाश रहती है जो उसकी अतिरिक्त वस्तु लेकर उसको इच्छित वस्तु दे सके इसे क्या कहते है ?
(a) दोहरे संयोग
(b) वस्तु विनिमय
(c) बचत
(d) उपभोग
12. साख नियन्त्रण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित में से कौन-से
(a) उत्पादन एवं रोजगार वृद्धि के उपाय करना
(b) कीमत स्थिरता स्थापित करना
(c) विदेशी विनिमय दर में स्थिरता लाना
(d) उपर्युक्त सभी।
13. मौद्रिक नीति का सम्बन्ध है-
(a) सार्वजनिक आय से
(b) सार्वजनिक व्यय से
(c) रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट से
(d) सार्वजनिक ऋण से।
14. मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्य हैं-
(a) उत्पादन एवं रोजगार में वृद्धि
(b) विदेशी विनिमय दर की स्थिरता
(c) मूल्य स्थायित्व
(d) उपर्युक्त सभी।
(a) वस्तु विनिमय
(b) विनिमय
(c) वितरण
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
2. निम्न में से किसे 'कागजी मुद्रा' कहते हैं-.
(a) करेंसी नोट
(b) चैक बुक
(c) सोने के सिक्के
(d) पास बुक।
3. "बुरी मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है।" यह कथन किसका है।
(a) ग्रेशम का
(b) मार्शल का
(c) रोबर्टसन का
(d) ऐली का
4. "मुद्रा वह धुरी है जिसके चारों ओर आर्थिक विज्ञान चक्कर लगाता है"। यह कथन किसका है।
(a) पीगू
(b) मार्शल
(c) रोबर्टसन ने
(d) हाँम ने
5. भारत में पत्र-मुद्रा निर्गमन करने का अधिकार किसको है।
(a) भारतीय स्टेट बैंक
(b) पंजाब नेशनल बैंक
(c) भारतीय रिजर्व बैंक
(d) केन्द्र सरकार
6. रिजर्व बैंक के कार्य है-
(a) रिजर्व बैंकः बैंक का बैंक है
(b) विनिमय दर को स्थिर रखना
(c) सरकार के बैंकर का कार्य करना
(d) उपर्युक्त सभी
7. चैक,ड्राफट,प्रतिज्ञा पत्र, विनिमय पत्र आदि ...... मुद्रा कहलाते है।
(a) पत्र मुद्रा
(b) साख
(c) धातु मुद्रा
(d) इनमें से कोई नहीं
8. भारत में एक रूपय का नोट निर्गमन करने का अधिकार है।
(a) भारत सरकार
(b) भारतीय रिजर्व बैंक
(c) भारतीय स्टेट बैंक
(d) राज्य सरकारों को
9. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के उपाय इनमें से कौन से है ?
(a) बैंक-दर में परिवर्तन
(b) खुले बाजार की क्रियाएँ
(c) नकद कोषों के अनुपात में परिवर्तन
(d) उपर्युक्त सभी
10. मुद्रा के प्रमुख कार्य कौन से है ?
(a) विनिमय का माध्यम
(b) मूल्य मापक
(c) मूल्य के हस्तान्तरण
(d) उपर्युक्त सभी
11. एक व्यक्ति को ऐसे दूससे व्यक्ति की तलाश रहती है जो उसकी अतिरिक्त वस्तु लेकर उसको इच्छित वस्तु दे सके इसे क्या कहते है ?
(a) दोहरे संयोग
(b) वस्तु विनिमय
(c) बचत
(d) उपभोग
12. साख नियन्त्रण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित में से कौन-से
(a) उत्पादन एवं रोजगार वृद्धि के उपाय करना
(b) कीमत स्थिरता स्थापित करना
(c) विदेशी विनिमय दर में स्थिरता लाना
(d) उपर्युक्त सभी।
13. मौद्रिक नीति का सम्बन्ध है-
(a) सार्वजनिक आय से
(b) सार्वजनिक व्यय से
(c) रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट से
(d) सार्वजनिक ऋण से।
14. मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्य हैं-
(a) उत्पादन एवं रोजगार में वृद्धि
(b) विदेशी विनिमय दर की स्थिरता
(c) मूल्य स्थायित्व
(d) उपर्युक्त सभी।
🔰निशिचत तथा अति लधु प्रश्नोत्तर
प्र01. बैंक दर किसे कहते है ?
उ0 बैंक दर वह दर है, जिस पर केन्द्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों को प्रथम श्रेणी की प्रतिभूतियों पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करता है।
प्र02. भारत के केन्द्रीय बैंक का नाम क्या है और उसका मुख्यालय कहाँ परस्थित है।?
उ0 भारतीय रिजर्व बैंक, मुख्यालय का नाम - मुम्बाई
प्र0 भारतीय रिजर्व बैंक के कोई दो कार्य लिखिए ?
उ0 1. नोटों का निर्गमन करना 2. बैंको का बैंक।
प्र03. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के दो उपाय लिखिए ?
उ0 1. बैंक-दर 2. खुले बाजार की क्रियाएँ।
प्र04. मुद्रा के दो प्रमुख कार्य लिखिए ?
उ0 1. विनिमय का माध्यम 2. मूल्य मापक
प्र05. दोहरे संयोग की आवश्यकता क्या अर्थ है ?
उ0 वस्तु विनिमय प्रणाली में दोहरे संयोग की आवश्यकता होती हैं। एक व्यक्ति को ऐसे दूसरे व्यक्ति की तलाश रहती है तो उसकी अतिरिक्त वस्तु लेकर उसकी इच्छित वस्तु उसे दे दे।
प्र06. वस्तु विनिमय की परिभाषा दीजिए ?
उ0 एक वस्तु से दूसरी वस्तु के प्रत्यक्ष विनिमय को वस्तु विनिमय कहते है।
प्र07. अधिविकर्ष से क्या आशय है ?
उ0 जब बैंक अपने ग्रहकों को उसकी जमा से अधिक मात्रा में रूपय निकालने को अनुमति देते है तो उसे अधिविकर्ष कहते है।
प्र08. परिवर्तनशील पत्र-मुद्रा से क्या आशय है ?
उ0 परिवर्तनशील पत्र-मुद्रा वह मुद्रा है जिसे सरकार बहुमूल्य धातुओं में परिवर्तित करने की गारण्टी देती है परन्तु इसके पीछे शत-प्रतिशत कोष नहीं रखा जाता है।
प्र09. नकद कोष अनुपात क्या है ?
उ0 प्रत्येक अनुसूचित बैंक को अपनी माँग और समय जमाओं का एक निशिचत प्रतिशत कोष के रूप में रिजर्व बैंक के पास जमा करना अनिवार्य है। इसे ही नकद कोष अनुपात कहते है।
प्र010. भारत में मुद्रा निर्गमन कौन करता है ?
उ0 भारत में एक रूपय के नोट का निर्गमन भारत सरकार तथा इससे बडे़ सभी नोटों को भारतीय रिजर्व बैंक करता है।
प्र011. भारत में नोट-बंदी के तहत रू 1000 तथा रू 500 के नोट को कब बंद किया गया ?
उ0 8 नवम्बर 2016 को नोट बंदी की गई और रू 2000 तथा रू 500 के नये नोट जारी किये गये।
प्र012. G.S.T. क्या है इसे कब लागू किया गया ?
उ0 Good Service Tax कहते है। इसके 1 जुलाई 2017 को पुरे देश में लागू किया गया। इसके लागू करने का कारण, विभिन्न प्रकार के करों से छुटकारा ।
उ0 बैंक दर वह दर है, जिस पर केन्द्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों को प्रथम श्रेणी की प्रतिभूतियों पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करता है।
प्र02. भारत के केन्द्रीय बैंक का नाम क्या है और उसका मुख्यालय कहाँ परस्थित है।?
उ0 भारतीय रिजर्व बैंक, मुख्यालय का नाम - मुम्बाई
प्र0 भारतीय रिजर्व बैंक के कोई दो कार्य लिखिए ?
उ0 1. नोटों का निर्गमन करना 2. बैंको का बैंक।
प्र03. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के दो उपाय लिखिए ?
उ0 1. बैंक-दर 2. खुले बाजार की क्रियाएँ।
प्र04. मुद्रा के दो प्रमुख कार्य लिखिए ?
उ0 1. विनिमय का माध्यम 2. मूल्य मापक
प्र05. दोहरे संयोग की आवश्यकता क्या अर्थ है ?
उ0 वस्तु विनिमय प्रणाली में दोहरे संयोग की आवश्यकता होती हैं। एक व्यक्ति को ऐसे दूसरे व्यक्ति की तलाश रहती है तो उसकी अतिरिक्त वस्तु लेकर उसकी इच्छित वस्तु उसे दे दे।
प्र06. वस्तु विनिमय की परिभाषा दीजिए ?
उ0 एक वस्तु से दूसरी वस्तु के प्रत्यक्ष विनिमय को वस्तु विनिमय कहते है।
प्र07. अधिविकर्ष से क्या आशय है ?
उ0 जब बैंक अपने ग्रहकों को उसकी जमा से अधिक मात्रा में रूपय निकालने को अनुमति देते है तो उसे अधिविकर्ष कहते है।
प्र08. परिवर्तनशील पत्र-मुद्रा से क्या आशय है ?
उ0 परिवर्तनशील पत्र-मुद्रा वह मुद्रा है जिसे सरकार बहुमूल्य धातुओं में परिवर्तित करने की गारण्टी देती है परन्तु इसके पीछे शत-प्रतिशत कोष नहीं रखा जाता है।
प्र09. नकद कोष अनुपात क्या है ?
उ0 प्रत्येक अनुसूचित बैंक को अपनी माँग और समय जमाओं का एक निशिचत प्रतिशत कोष के रूप में रिजर्व बैंक के पास जमा करना अनिवार्य है। इसे ही नकद कोष अनुपात कहते है।
प्र010. भारत में मुद्रा निर्गमन कौन करता है ?
उ0 भारत में एक रूपय के नोट का निर्गमन भारत सरकार तथा इससे बडे़ सभी नोटों को भारतीय रिजर्व बैंक करता है।
प्र011. भारत में नोट-बंदी के तहत रू 1000 तथा रू 500 के नोट को कब बंद किया गया ?
उ0 8 नवम्बर 2016 को नोट बंदी की गई और रू 2000 तथा रू 500 के नये नोट जारी किये गये।
प्र012. G.S.T. क्या है इसे कब लागू किया गया ?
उ0 Good Service Tax कहते है। इसके 1 जुलाई 2017 को पुरे देश में लागू किया गया। इसके लागू करने का कारण, विभिन्न प्रकार के करों से छुटकारा ।
🔰लधु तथा विस्तृत प्रश्नोत्तर
प्र01. वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है ? इसकी क्या कमियाँ है ?
एक वस्तु से दूसरी वस्तु के प्रत्यक्ष विनिमय को ही वस्तु विनिमय प्रणाली कहते है, जैसे चावल के बदले गेहँू का, कपड़ों के बदले बर्तनों का आदन-प्रदान आदि।
एक वस्तु से दूसरी वस्तु के प्रत्यक्ष विनिमय को ही वस्तु विनिमय प्रणाली कहते है, जैसे चावल के बदले गेहँू का, कपड़ों के बदले बर्तनों का आदन-प्रदान आदि।
वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइया
1. इस प्रणाली में दोहरे संयोग का मिलना हमेशा कठिन होता है। जैसे एक व्यक्ति को ऐसे दूससे व्यक्ति की तलाश रहती है जो उसकी अतिरिक्त वस्तु लेकर उसको इच्छित वस्तु दे सके।
2. बहुत-सी ऐसी वस्तुएँ होती है जिनका विभाजन नहीं किया जा सकता है। विभाजन करने से उन वस्तुओं की उपयोगिता समाप्त हो जाती है। जैसे गायें, बकरी आदि।
3. वस्तु विनिमय में मूल्य के हस्तान्तरण का अभाव रहता है। जैसे भूमि तथा मकान को एक स्थान से दूसरी स्थान में हस्तान्तरण संभव नहीं है।
4. वस्तु विनिमय में क्रय शक्ति संयच संभव नहीं है। आप भविष्य के लिए वस्तुओं का संग्रह नहीं कर के रख सकते है।
5. वस्तु विनिमय प्रणाली में सर्वमान्य मूल्य मापक का अभाव रहता है। प्रत्येक वस्तु का मूल्य अन्य वस्तुओं में तय करना बहुत कठिन होता है। जैैसे एक मीटर कपड़े के बदले कितना ग्रेहूँ या चावल मिलेगा।
6. वस्तु विनिमय प्रणाली में भविष्य में भुगतान करने का आधार नहीं था।
प्र02. मुद्रा के प्रमुख कार्य कौन से है ? मुद्रा किस प्रकार वस्तु विनिमय प्रणाली की कमियों को दूर करती है ?
मुद्रा के प्रमुख कार्य इस प्रकार है।
1. विनिमय का माध्यम - मुद्रा विनिमय के माध्यम का कार्य करती है। आज सभी वस्तुएँ तथा सेवाएँ मुद्रा के माध्यम से ही खरीदी और बेची जाती है।
2. मूल्य मापन - वर्तमान समय में मुद्रा अर्थव्यवस्था में उपलब्ध सभी वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य को मापा जा सकाता है।
3. मूल्य का संयच - मुद्रा के द्वारा मूल्य का संचय सरलतापूर्वक किया जा सकता है। भवष्यि के लिए मूल्य का संचय मुद्रा के रूप में ही किया जाता है।
4. स्थगित भुगतान का आधार - मुद्रा उधार सौदों के लिए आधार प्रस्तुत करती है। इनका भुगतान मुद्रा के रूप में ही किया जाता है।
मुद्रा के द्वारा वस्तु विनिमय की कठिनाइयों का निवारण
1. मुद्रा के प्रयोग से दोहरे संयोग की आवश्यकताओं की जरूरत नहीं पड़ती है। क्योंकि सभी वस्तुओं का क्रय-विक्रय मुद्रा की सहायता से किया जाता है।
2. मुद्रा छोटे-छोटे मूल्यों में विभाजित होती है। अतः किसी भी वस्तु के विभाजन की आवश्यकता नहीं हाती है।
3. मुद्रा के द्वारा मूल्य के हस्तान्तरण आसानी से हो सकता है। कोई व्यक्ति अपनी सम्पत्ति या धर आदि को मुद्रा के रूप में बेचकर दूसरे स्थान में नई सम्पत्ति आदि को खरीद सकता है।
4. मुद्रा के द्वारा क्रय शक्ति संयच संभव है। आप भविष्य के लिए वस्तुओं को बेचकर मुद्रा के रूप में संग्रह कर के रख सकते है।
5. मुद्रा के द्वारा प्रत्येक वस्तु का मूल्य आसानी से मापा जा सकता है।
6. मुद्रा के द्वारा भविष्य में भुगतान की कठिनाई दूर हो गई है।
प्र03. मुद्रा किसे कहते है। मुद्रा के प्रमुख दोष लिखिए।
परिभाषा - नैप के अनुसार श्कोई भी वस्तु जो राज्य के द्वारा मुद्रा धोषित कर दी जाती है, मुद्रा कहलाती है।श्
मुद्रा के प्रमुख दोष इस प्रकार है -
1.वर्ग संधर्ष - मुद्रा के द्वारा धन के असमान वितरण के कारण समाज में दो वर्ग बन गये है। संपन्न वर्ग और निर्धन वर्ग, जिसमें परस्पर संधर्ष होता रहता है।
2.आय व धन के वितरण में विषमता - मुद्रा के कारण आर्थिक साधनों का संकेन्द्रकरण हुआ है, जिससे समाज में आय व धन के वितरण की विषमताएँ बढ़ी है।
3.मुद्रा के मूल्य में अस्थिरता - व्यापार चक्र (मुद्रा स्फीति तथा मंदी) के कारण अस्थिरता बनी रहती है।
4.ऋणग्रस्तता में वृद्वि - मुद्रा से ऋण लेने की आदत के कारण समाज में लोगों का खर्च बढ़ गया है। जिससे वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों में तीव्र वृद्वि हुई है। ऋणग्रस्तता के कारण लोन न चुकाने के कारण बहुत से किसान आज आत्महत्या कर रहे है।
5.व्यापार चक्र - मुद्रा के द्वारा ही पुरे विश्व में व्यापार चक्र आते है। जिससे किसे भी देश की आर्थिक दशा प्रभावित होती है। कीन्स के अनुसार - व्यापार चक्र बचत तथा विनियोग के असन्तुलन के कारण उत्पन्न होते है।
प्र04. भारत में मुद्रा पूर्ति की वैकल्पिक परिभाषा क्या है ?
1. इस प्रणाली में दोहरे संयोग का मिलना हमेशा कठिन होता है। जैसे एक व्यक्ति को ऐसे दूससे व्यक्ति की तलाश रहती है जो उसकी अतिरिक्त वस्तु लेकर उसको इच्छित वस्तु दे सके।
2. बहुत-सी ऐसी वस्तुएँ होती है जिनका विभाजन नहीं किया जा सकता है। विभाजन करने से उन वस्तुओं की उपयोगिता समाप्त हो जाती है। जैसे गायें, बकरी आदि।
3. वस्तु विनिमय में मूल्य के हस्तान्तरण का अभाव रहता है। जैसे भूमि तथा मकान को एक स्थान से दूसरी स्थान में हस्तान्तरण संभव नहीं है।
4. वस्तु विनिमय में क्रय शक्ति संयच संभव नहीं है। आप भविष्य के लिए वस्तुओं का संग्रह नहीं कर के रख सकते है।
5. वस्तु विनिमय प्रणाली में सर्वमान्य मूल्य मापक का अभाव रहता है। प्रत्येक वस्तु का मूल्य अन्य वस्तुओं में तय करना बहुत कठिन होता है। जैैसे एक मीटर कपड़े के बदले कितना ग्रेहूँ या चावल मिलेगा।
6. वस्तु विनिमय प्रणाली में भविष्य में भुगतान करने का आधार नहीं था।
प्र02. मुद्रा के प्रमुख कार्य कौन से है ? मुद्रा किस प्रकार वस्तु विनिमय प्रणाली की कमियों को दूर करती है ?
मुद्रा के प्रमुख कार्य इस प्रकार है।
1. विनिमय का माध्यम - मुद्रा विनिमय के माध्यम का कार्य करती है। आज सभी वस्तुएँ तथा सेवाएँ मुद्रा के माध्यम से ही खरीदी और बेची जाती है।
2. मूल्य मापन - वर्तमान समय में मुद्रा अर्थव्यवस्था में उपलब्ध सभी वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य को मापा जा सकाता है।
3. मूल्य का संयच - मुद्रा के द्वारा मूल्य का संचय सरलतापूर्वक किया जा सकता है। भवष्यि के लिए मूल्य का संचय मुद्रा के रूप में ही किया जाता है।
4. स्थगित भुगतान का आधार - मुद्रा उधार सौदों के लिए आधार प्रस्तुत करती है। इनका भुगतान मुद्रा के रूप में ही किया जाता है।
मुद्रा के द्वारा वस्तु विनिमय की कठिनाइयों का निवारण
1. मुद्रा के प्रयोग से दोहरे संयोग की आवश्यकताओं की जरूरत नहीं पड़ती है। क्योंकि सभी वस्तुओं का क्रय-विक्रय मुद्रा की सहायता से किया जाता है।
2. मुद्रा छोटे-छोटे मूल्यों में विभाजित होती है। अतः किसी भी वस्तु के विभाजन की आवश्यकता नहीं हाती है।
3. मुद्रा के द्वारा मूल्य के हस्तान्तरण आसानी से हो सकता है। कोई व्यक्ति अपनी सम्पत्ति या धर आदि को मुद्रा के रूप में बेचकर दूसरे स्थान में नई सम्पत्ति आदि को खरीद सकता है।
4. मुद्रा के द्वारा क्रय शक्ति संयच संभव है। आप भविष्य के लिए वस्तुओं को बेचकर मुद्रा के रूप में संग्रह कर के रख सकते है।
5. मुद्रा के द्वारा प्रत्येक वस्तु का मूल्य आसानी से मापा जा सकता है।
6. मुद्रा के द्वारा भविष्य में भुगतान की कठिनाई दूर हो गई है।
प्र03. मुद्रा किसे कहते है। मुद्रा के प्रमुख दोष लिखिए।
परिभाषा - नैप के अनुसार श्कोई भी वस्तु जो राज्य के द्वारा मुद्रा धोषित कर दी जाती है, मुद्रा कहलाती है।श्
मुद्रा के प्रमुख दोष इस प्रकार है -
1.वर्ग संधर्ष - मुद्रा के द्वारा धन के असमान वितरण के कारण समाज में दो वर्ग बन गये है। संपन्न वर्ग और निर्धन वर्ग, जिसमें परस्पर संधर्ष होता रहता है।
2.आय व धन के वितरण में विषमता - मुद्रा के कारण आर्थिक साधनों का संकेन्द्रकरण हुआ है, जिससे समाज में आय व धन के वितरण की विषमताएँ बढ़ी है।
3.मुद्रा के मूल्य में अस्थिरता - व्यापार चक्र (मुद्रा स्फीति तथा मंदी) के कारण अस्थिरता बनी रहती है।
4.ऋणग्रस्तता में वृद्वि - मुद्रा से ऋण लेने की आदत के कारण समाज में लोगों का खर्च बढ़ गया है। जिससे वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों में तीव्र वृद्वि हुई है। ऋणग्रस्तता के कारण लोन न चुकाने के कारण बहुत से किसान आज आत्महत्या कर रहे है।
5.व्यापार चक्र - मुद्रा के द्वारा ही पुरे विश्व में व्यापार चक्र आते है। जिससे किसे भी देश की आर्थिक दशा प्रभावित होती है। कीन्स के अनुसार - व्यापार चक्र बचत तथा विनियोग के असन्तुलन के कारण उत्पन्न होते है।
प्र04. भारत में मुद्रा पूर्ति की वैकल्पिक परिभाषा क्या है ?
ACTIVITY
प्र05. व्यावसायिक बैंक के कार्यों का वर्णन कीजिए है ?
व्यापारिक या व्यावसायिक बैंक के कार्य निम्न प्रकार है।
1. जमा पर रूपया प्राप्त करना - व्यापारिक बैंक का मुख्य कार्य जनता की बचत को एकत्रित करना तथा उसे उन लोगों के लिए उपलब्ध कराना है। बैंक में पाँच प्रकार के खाते खोले जाते है। जैसे चालू खाता, सावधि जमा खाता, बचत खाता, गृह बचत खाता और अनिश्चितकालीन जमा खाता।
2. ऋण देना - व्यापारिक बैंक का दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य अपने ग्राहकों को आवश्यकताओं के अनुसार ऋण देना है। बैंक पाँच प्रकार के ऋण देता है। जैसे अग्रिम ऋण, नकद साख, अधिविकर्ष, बिलों का भुनाना और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश।
3. मुद्रा का स्थानान्तरण - बैंक अपनी विभिन्न शाखाओं के माध्यम से मुद्रा को देश के एक भाग से दूसरे भाग में भेजने की सुविधाएँ देते है।
4. विनिमय का सस्ता माध्यम - बैंक लोगों को सस्ते तथा सुविधाजनक विनिमय का माध्यम प्रदान करते है। जैसे चैक तथा नोट आदि।
5. विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय करना - व्यापारिक बैंक केन्द्रीय बैंक के आग्रह पर विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय भी करते है।
6. आँकड़ों को एकत्रित तथा प्रकाशित करना - व्यापारिक बैंक उद्योगों तथा व्यापार के विषय में आवश्यक जानकारी प्राप्त करते है, और उन्हें प्रकाशित करने है।
7. साख का निर्माण करना - व्यापारिक बैंक देश का आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए साख का निर्माण करते है।
8. आन्तरिक तथा विदेशी व्यापार का प्रबन्धन करना - व्यापारिक बैंक अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई व्यापारिक संगठन या फार्में का अर्थ-प्रबन्ध भी करते है।
9. अन्य उपयोगी कार्य - व्यापारिक बैंक अन्य उपयोगी कार्य तथा सेवाएँ भी देते है जैसे बहुमूल्य वस्तुओं को रखने की सुविधा देना, अपने ग्राहकों के लिए साख प्रमाण-पत्र जारी करना, विनिमय बिलों को स्वीकार करना, ट्रस्ट का प्रबन्ध करना, वित्तीय सलाह तथा जानकारी देना आदि।
10. अभिकत्र्ता सम्बन्धी कार्य
1. बैंक अपने ग्राहकों द्वारा भेजे गए चैक, विनिमय विपत्र, साख पत्र आदि का भुगतान करते है।
2. ग्राहकों के चैकों का भुगतान, बीमे के प्रीमियर, कर, साख, चन्दे, ऋण की किस्त आदि का भुगतान करते है।
3. अपने ग्राहकों की ओर से लाभांश, ब्याज, किराया आदि का भी भुगतान करते है।
4. ग्राहकों के लिए सरकारी प्रतिभूतियाँ, कम्पनियों के शेयर्स तथा ऋण आदि के क्रय-विक्रय का कार्य करना।
5. अपने ग्राहकों के लिए पासपोर्ट, विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय, पत्र-व्यवहार, ट्रस्टी तथा सम्पति के कार्य आदि।
प्र06. भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए है ?
भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह दो प्रकार के कार्य सम्पन्न करता है। केन्द्रीय बैंकिग सम्बन्धी कार्य और साधारण बैंकिग सम्बन्धी कार्य।
A. केन्द्रीय बैंकिग सम्बन्धी कार्य
1. पत्र मुद्र का निर्गमन करना - हमारे देश में पत्र-मुद्रा का निर्गमन करने का अधिकार रिजर्व बैंक को प्राप्त है। एक रूपये के नोट को छोड़कर यह समस्त नोटों का निर्गमन करता हैै। नोट निर्गमन के लिए इसे रू0 200 करोड़ का सोना व विदेशी प्रतिभूतियाँ कोष में रखना अनिवार्य होता है।
2. सरकार के बैंकर के रूप में कार्य करना - भारतीय रिजर्व बैंक केन्द्र तथा राज्य की सरकारों के लिए भी कार्य करता है। यह इनके आदेशानुसार धन प्राप्त तथा भुगतान आदि करता है, सरकारी कोषों का स्थानान्तरण, ऋण, विदेशी विनिमय का प्रबन्ध, केन्द्र तथा राज्य सरकारों को आर्थिक सलाह आदि देता है।
3. विनिमय दर को स्थिर रखना - भारतीय रिजर्व बैंक देश की विनिमय दर को स्थिर रखता है। ताकि देश का आर्थिक विकास निरन्तर बड़ता रहे।
4. रिजर्व बैंकः बैंक का बैंक है - भारतीय रिजर्व बैंक व्यापारिक बैंकों का अन्तिम ऋणदाता है। वह इन बैंकी की साख नीति पर नियन्त्रण रखता है।
5. साख को नियन्त्रण करना - साख तथा मुद्रा पर नियन्त्रण करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक देश में मुद्रा तथा साख की माँग व पूर्ति के मध्य सन्तुलन स्ािापित करने का प्रयास करता है।
6. समाशोधन-गृह का कार्य करना - भारतीय रिजर्व बैंक, व्यापारिक बैंकों समाशोधन गृह की सुविधा प्रदान करता है। जिससे सदस्यों बैंको में रूपये स्थानान्तरण की प्रक्रिय सुविधाजनक हो जाती ळें
7. कृषि साख की व्यवस्था करना - कृषि साख की व्यवस्था करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने एक कृषि साख विभाग की स्थापना कर दी है। जिसका मुख्य कार्य कृषि साख से सम्बन्धित समस्याओं के बारे में अनुसन्धान करना है।
8. आँकडों का संग्रह तथा प्रकाशन - भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रा, साख, बैंकिग, वित्त, कृषि एवं औधेगिक उत्पादन आदि से सम्बन्धित आँकड़े एकत्रित करता और उन्हें प्रकाशित भी करता है। ये आँकड़े देश की विभिन्न आर्थिक समस्याओं को समझने में सहायता देते है।
B. साधारण बैंकिग सम्बन्धी कार्य
1. भारतीय रिजर्व बैंक, केन्द्र तथा राज्य सरकारों एवं निजी व्यक्तिों से जमा स्वीकार करता है परन्तु उस पर ब्याज नहीं देता है।
2. भारतीय रिजर्व बैंक सदस्य बैंकों से कम-से-कम एक लाख रूपये के विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय करता है।
3. रिजर्व बैंक भारत में लिखे गए अधिक से अधिक 15 महीने की अवधि में परिपक्व होने वाले कृषि बिलों का क्रय-विक्रय कर सकता है तथा पुनःकटौती भी कर देता है।
4. वह केन्द्र सरकार व राज्य सरकार को अधिक से अधिक 90 दिन की अवधि के लिए ऋण दे सकता है, किन्तु यह ऋण जमानत पर ही दिया जाता है।
5. रिजर्व बैंक से कोई भी अनुसूचित या विदेशी बैंक 30 दिनों के लिए ऋण प्राप्त कर सकता है।
6. यह अनेक प्रकार के अन्य कार्य भी करता है। जैसे सोने-चाँदी, हीरे-जवाहरात एवं प्रतिभूतियों को अपनी कस्टडी में रखना, बहुमुल्य धातुओं को खरीदना व बेचना आदि।
प्र07. भारतीय रिजर्व बैंक की साख नियन्त्रण रीतियों की विवेचना कीजिए ?
व्यापारिक या व्यावसायिक बैंक के कार्य निम्न प्रकार है।
1. जमा पर रूपया प्राप्त करना - व्यापारिक बैंक का मुख्य कार्य जनता की बचत को एकत्रित करना तथा उसे उन लोगों के लिए उपलब्ध कराना है। बैंक में पाँच प्रकार के खाते खोले जाते है। जैसे चालू खाता, सावधि जमा खाता, बचत खाता, गृह बचत खाता और अनिश्चितकालीन जमा खाता।
2. ऋण देना - व्यापारिक बैंक का दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य अपने ग्राहकों को आवश्यकताओं के अनुसार ऋण देना है। बैंक पाँच प्रकार के ऋण देता है। जैसे अग्रिम ऋण, नकद साख, अधिविकर्ष, बिलों का भुनाना और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश।
3. मुद्रा का स्थानान्तरण - बैंक अपनी विभिन्न शाखाओं के माध्यम से मुद्रा को देश के एक भाग से दूसरे भाग में भेजने की सुविधाएँ देते है।
4. विनिमय का सस्ता माध्यम - बैंक लोगों को सस्ते तथा सुविधाजनक विनिमय का माध्यम प्रदान करते है। जैसे चैक तथा नोट आदि।
5. विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय करना - व्यापारिक बैंक केन्द्रीय बैंक के आग्रह पर विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय भी करते है।
6. आँकड़ों को एकत्रित तथा प्रकाशित करना - व्यापारिक बैंक उद्योगों तथा व्यापार के विषय में आवश्यक जानकारी प्राप्त करते है, और उन्हें प्रकाशित करने है।
7. साख का निर्माण करना - व्यापारिक बैंक देश का आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए साख का निर्माण करते है।
8. आन्तरिक तथा विदेशी व्यापार का प्रबन्धन करना - व्यापारिक बैंक अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई व्यापारिक संगठन या फार्में का अर्थ-प्रबन्ध भी करते है।
9. अन्य उपयोगी कार्य - व्यापारिक बैंक अन्य उपयोगी कार्य तथा सेवाएँ भी देते है जैसे बहुमूल्य वस्तुओं को रखने की सुविधा देना, अपने ग्राहकों के लिए साख प्रमाण-पत्र जारी करना, विनिमय बिलों को स्वीकार करना, ट्रस्ट का प्रबन्ध करना, वित्तीय सलाह तथा जानकारी देना आदि।
10. अभिकत्र्ता सम्बन्धी कार्य
1. बैंक अपने ग्राहकों द्वारा भेजे गए चैक, विनिमय विपत्र, साख पत्र आदि का भुगतान करते है।
2. ग्राहकों के चैकों का भुगतान, बीमे के प्रीमियर, कर, साख, चन्दे, ऋण की किस्त आदि का भुगतान करते है।
3. अपने ग्राहकों की ओर से लाभांश, ब्याज, किराया आदि का भी भुगतान करते है।
4. ग्राहकों के लिए सरकारी प्रतिभूतियाँ, कम्पनियों के शेयर्स तथा ऋण आदि के क्रय-विक्रय का कार्य करना।
5. अपने ग्राहकों के लिए पासपोर्ट, विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय, पत्र-व्यवहार, ट्रस्टी तथा सम्पति के कार्य आदि।
प्र06. भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए है ?
भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह दो प्रकार के कार्य सम्पन्न करता है। केन्द्रीय बैंकिग सम्बन्धी कार्य और साधारण बैंकिग सम्बन्धी कार्य।
A. केन्द्रीय बैंकिग सम्बन्धी कार्य
1. पत्र मुद्र का निर्गमन करना - हमारे देश में पत्र-मुद्रा का निर्गमन करने का अधिकार रिजर्व बैंक को प्राप्त है। एक रूपये के नोट को छोड़कर यह समस्त नोटों का निर्गमन करता हैै। नोट निर्गमन के लिए इसे रू0 200 करोड़ का सोना व विदेशी प्रतिभूतियाँ कोष में रखना अनिवार्य होता है।
2. सरकार के बैंकर के रूप में कार्य करना - भारतीय रिजर्व बैंक केन्द्र तथा राज्य की सरकारों के लिए भी कार्य करता है। यह इनके आदेशानुसार धन प्राप्त तथा भुगतान आदि करता है, सरकारी कोषों का स्थानान्तरण, ऋण, विदेशी विनिमय का प्रबन्ध, केन्द्र तथा राज्य सरकारों को आर्थिक सलाह आदि देता है।
3. विनिमय दर को स्थिर रखना - भारतीय रिजर्व बैंक देश की विनिमय दर को स्थिर रखता है। ताकि देश का आर्थिक विकास निरन्तर बड़ता रहे।
4. रिजर्व बैंकः बैंक का बैंक है - भारतीय रिजर्व बैंक व्यापारिक बैंकों का अन्तिम ऋणदाता है। वह इन बैंकी की साख नीति पर नियन्त्रण रखता है।
5. साख को नियन्त्रण करना - साख तथा मुद्रा पर नियन्त्रण करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक देश में मुद्रा तथा साख की माँग व पूर्ति के मध्य सन्तुलन स्ािापित करने का प्रयास करता है।
6. समाशोधन-गृह का कार्य करना - भारतीय रिजर्व बैंक, व्यापारिक बैंकों समाशोधन गृह की सुविधा प्रदान करता है। जिससे सदस्यों बैंको में रूपये स्थानान्तरण की प्रक्रिय सुविधाजनक हो जाती ळें
7. कृषि साख की व्यवस्था करना - कृषि साख की व्यवस्था करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने एक कृषि साख विभाग की स्थापना कर दी है। जिसका मुख्य कार्य कृषि साख से सम्बन्धित समस्याओं के बारे में अनुसन्धान करना है।
8. आँकडों का संग्रह तथा प्रकाशन - भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रा, साख, बैंकिग, वित्त, कृषि एवं औधेगिक उत्पादन आदि से सम्बन्धित आँकड़े एकत्रित करता और उन्हें प्रकाशित भी करता है। ये आँकड़े देश की विभिन्न आर्थिक समस्याओं को समझने में सहायता देते है।
B. साधारण बैंकिग सम्बन्धी कार्य
1. भारतीय रिजर्व बैंक, केन्द्र तथा राज्य सरकारों एवं निजी व्यक्तिों से जमा स्वीकार करता है परन्तु उस पर ब्याज नहीं देता है।
2. भारतीय रिजर्व बैंक सदस्य बैंकों से कम-से-कम एक लाख रूपये के विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय करता है।
3. रिजर्व बैंक भारत में लिखे गए अधिक से अधिक 15 महीने की अवधि में परिपक्व होने वाले कृषि बिलों का क्रय-विक्रय कर सकता है तथा पुनःकटौती भी कर देता है।
4. वह केन्द्र सरकार व राज्य सरकार को अधिक से अधिक 90 दिन की अवधि के लिए ऋण दे सकता है, किन्तु यह ऋण जमानत पर ही दिया जाता है।
5. रिजर्व बैंक से कोई भी अनुसूचित या विदेशी बैंक 30 दिनों के लिए ऋण प्राप्त कर सकता है।
6. यह अनेक प्रकार के अन्य कार्य भी करता है। जैसे सोने-चाँदी, हीरे-जवाहरात एवं प्रतिभूतियों को अपनी कस्टडी में रखना, बहुमुल्य धातुओं को खरीदना व बेचना आदि।
प्र07. भारतीय रिजर्व बैंक की साख नियन्त्रण रीतियों की विवेचना कीजिए ?
A. मात्रात्मक साख नियन्त्रण
1. बैंक दर में परिवर्तन - बैंक दर वह दर है, जिस पर केन्द्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों को प्रथम श्रेणी की प्रतिभूतियों पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करता है। जब देश में मुद्रा-प्रसार की स्थिति होती है, तो बैंक दर में वृद्वि की जाती है और जब मुद्रा-संकुचन की स्थिति होती है, तो बैंक दर में कमी हो जाती है।
2. नकद कोषों के अनुपात में परिवर्तन - भारतीय रिजर्व बैंक देश की आर्थिक स्थिति के अनुसार नकद कोषों के अनुपात में परिवर्तन करता रहता है। वर्तमान समय में सब अनुसूचित बैंकों के लिए अपनी कुल जमा रकम का 3ः रिजर्व बैंक में जमा करना अनिवार्य कर दिया गया और इस राशि को 15ः तक बढ़ाने का अधिकार रिजर्व बैंक को दे दिया गया।
3. खुले बाजार की क्रियाएँ - भारतीय रिजर्व बैंक देश में खुले बाजार की क्रियाएँ के माध्यम से बाजार में प्रतिभूतियों, ऋण-पत्रों तथा बिलों के क्रय-विक्रय से है। रिजर्व बैंक द्वारा प्रतिभूतियों को बेचने से बाजार में मुद्रा की मात्रा कम हो जाती है, जिससे साख का सन्तुलन होता है और प्रतिभूतियों के खरीदने जाने से बाजार में मुद्रा की मात्रा बढ़ती है तथा साख का विस्तार हो जाता है।
4. वैधानिक तरल कोषानुपात - धारा 24 के अन्तर्गत भारत में कार्य करने वाले बैंक अपनी कुल जमा राशि का कम से कम भाग तल कोषों के रूप में तथा शेष स्वर्ण व अनुमोदित प्रतिभूतियों के रूप में रखना अनिवार्य है।
B. गुणात्मक साख नियन्त्रण
1. चयनात्मक साख नियन्त्रण - रिजर्व बैंक देश में वस्तुओं की कीमतों को अनुचित रूप से बढ़ने, वस्तुओं के जमाखोरी आदि को नियन्त्रण करने के लिए चयनात्मक साख नियन्त्रण की नीति को अपनाता है।
2. प्रत्यक्ष कार्यवाही करना - रिजर्व बैंक को यह अधिकार भी प्राप्त है कि यदि कोई बैंक उसके आदेशों का पालन नहीं करता है तो उसका लाइसेन्स रद्द कर देता है और उसे अपने तरिके से दण्डित करता है।
प्र0ः8 उपभोक्ता मुद्रा की माँग क्यों करते है ?
प्रो0 किन्स के अनुसार जनता मुद्रा की माँग तीन उद्देश्य के लिए करती है। उन्होंनें मुद्रा की माँग को तरलता पसन्दगी के साथ जोड़ा है जिसका अर्थ जनता द्वारा नकद रूप से मुद्रा का माँग।
1. सौदा उद्देश्य - व्यक्ति अपने पास कुछ नकदी रखता है ताकि दिन-प्रति दिन के खर्च, व्यापार आदि के लिए कुछ न कुछ नकद मुद्रा अपने पास रखनी पड़ती है।
2. दूरदर्शिता उद्देश्य के लिए - प्रत्येक व्यक्ति मुद्रा की एक निश्चित मात्रा नकदी के रूप में रखना चाहता है ताकि वह कुछ अप्रत्याशित दुर्धटनाओं जैसे बीमारी, दुर्धटना आदि।
3. सट्ठा उद्देश्य के लिए - इसका उद्देश्य नकद रूप में मुद्रा की उस माँग से है जो बाजार में होने वाल ब्याज या बॉण्ड दरों की कीमत में परिवर्तनों होने से लाभ कमाने के उद्देश्य से की जाती है।
प्र0 9 केंद्रीय बैंक तथा व्यापारिक बैंकों में क्या अंतर है
1. बैंक दर में परिवर्तन - बैंक दर वह दर है, जिस पर केन्द्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों को प्रथम श्रेणी की प्रतिभूतियों पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करता है। जब देश में मुद्रा-प्रसार की स्थिति होती है, तो बैंक दर में वृद्वि की जाती है और जब मुद्रा-संकुचन की स्थिति होती है, तो बैंक दर में कमी हो जाती है।
2. नकद कोषों के अनुपात में परिवर्तन - भारतीय रिजर्व बैंक देश की आर्थिक स्थिति के अनुसार नकद कोषों के अनुपात में परिवर्तन करता रहता है। वर्तमान समय में सब अनुसूचित बैंकों के लिए अपनी कुल जमा रकम का 3ः रिजर्व बैंक में जमा करना अनिवार्य कर दिया गया और इस राशि को 15ः तक बढ़ाने का अधिकार रिजर्व बैंक को दे दिया गया।
3. खुले बाजार की क्रियाएँ - भारतीय रिजर्व बैंक देश में खुले बाजार की क्रियाएँ के माध्यम से बाजार में प्रतिभूतियों, ऋण-पत्रों तथा बिलों के क्रय-विक्रय से है। रिजर्व बैंक द्वारा प्रतिभूतियों को बेचने से बाजार में मुद्रा की मात्रा कम हो जाती है, जिससे साख का सन्तुलन होता है और प्रतिभूतियों के खरीदने जाने से बाजार में मुद्रा की मात्रा बढ़ती है तथा साख का विस्तार हो जाता है।
4. वैधानिक तरल कोषानुपात - धारा 24 के अन्तर्गत भारत में कार्य करने वाले बैंक अपनी कुल जमा राशि का कम से कम भाग तल कोषों के रूप में तथा शेष स्वर्ण व अनुमोदित प्रतिभूतियों के रूप में रखना अनिवार्य है।
B. गुणात्मक साख नियन्त्रण
1. चयनात्मक साख नियन्त्रण - रिजर्व बैंक देश में वस्तुओं की कीमतों को अनुचित रूप से बढ़ने, वस्तुओं के जमाखोरी आदि को नियन्त्रण करने के लिए चयनात्मक साख नियन्त्रण की नीति को अपनाता है।
2. प्रत्यक्ष कार्यवाही करना - रिजर्व बैंक को यह अधिकार भी प्राप्त है कि यदि कोई बैंक उसके आदेशों का पालन नहीं करता है तो उसका लाइसेन्स रद्द कर देता है और उसे अपने तरिके से दण्डित करता है।
प्र0ः8 उपभोक्ता मुद्रा की माँग क्यों करते है ?
प्रो0 किन्स के अनुसार जनता मुद्रा की माँग तीन उद्देश्य के लिए करती है। उन्होंनें मुद्रा की माँग को तरलता पसन्दगी के साथ जोड़ा है जिसका अर्थ जनता द्वारा नकद रूप से मुद्रा का माँग।
1. सौदा उद्देश्य - व्यक्ति अपने पास कुछ नकदी रखता है ताकि दिन-प्रति दिन के खर्च, व्यापार आदि के लिए कुछ न कुछ नकद मुद्रा अपने पास रखनी पड़ती है।
2. दूरदर्शिता उद्देश्य के लिए - प्रत्येक व्यक्ति मुद्रा की एक निश्चित मात्रा नकदी के रूप में रखना चाहता है ताकि वह कुछ अप्रत्याशित दुर्धटनाओं जैसे बीमारी, दुर्धटना आदि।
3. सट्ठा उद्देश्य के लिए - इसका उद्देश्य नकद रूप में मुद्रा की उस माँग से है जो बाजार में होने वाल ब्याज या बॉण्ड दरों की कीमत में परिवर्तनों होने से लाभ कमाने के उद्देश्य से की जाती है।
प्र0 9 केंद्रीय बैंक तथा व्यापारिक बैंकों में क्या अंतर है
केंद्रीय बैंक
1. इसका स्वामित्व तथा प्रबंध सरकार के द्वारा होता है 2. मुद्रा बाजार का सर्वोच्च बैंक है 3. इसे नोट निर्गमन का एकाधिकार प्राप्त है 4. इसका जनता के साथ कोई सीधा संबंध नहीं होता 5. यह देश के विदेशी विनिमय कोषों का संरक्षण होता है 6. यह साख नियंत्रण का कार्य करता है 7. इसका मुख्य उद्देश्य जनकल्याण तथा देश की वित्तीय प्रणाली का प्रबंध करना होता है 8. यह व्यापारिक बैंकों के कार्यों का नियमन, निरीक्षण तथा नियंत्रण करती है 9. जनता के साथ कोई प्रत्यक्ष व्यवहार नहीं करता है। |
व्यापारिक बैंकों
1. इस पर सर्वजनिक क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र दोनों का स्वामित्व एवं नियंत्रण होता है। 2. मुद्रा बाजार का एक इकाई बैंक है 3. इसे नोट निर्गमन का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है 4. इसका जनता के साथ सीधा लेनदेन होता है 5. देश के विदेशी विनिमय कोषों का संरक्षण 6. यह साख निर्माण का कार्य करता है 7. इसका मुख्य उद्देश्य अंश धारियों के लिए लाभ कमाना होता है 8. यह किसी भी बैंकों के कार्यों का नियमन, निरीक्षण तथा नियंत्रण नहीं करती है 9. यह प्रत्यक्ष रूप से जनता के साथ व्यवहार करता है। |
प्र0 10 बैंक दर क्या है ? क्या साख की उपलब्धता को कैसे सुरक्षित करता है ?
बैंक दर से आशय उस न्यूनतम दर से है जिस पर देश का केंद्रीय बैंक अपने अधीन बैंकों की प्रथम श्रेणी की प्रतिभूतियों को पुनः बनाने के लिए अथवा नीति में परिवर्तन करके देश में साख की मात्रा पर नियंत्रण रखता है जब देश में साख की मात्रा में वृद्धि करनी होती है तो केंद्रीय बैंक बैंक दर नीची कर देता है जिससे प्रभावित होकर व्यापारिक बैंक निर्णय लेने लगते हैं इससे साख की मात्रा में वृद्धि हो जाती है इसके विपरीत जब सा की मात्रा में कमी करनी होती है तो केंद्रीय बैंक बैंक दर में वृद्धि कर देता है इसे व्यापारिक बैंकों की ऋण की दर बढ़ जाती है फलस्वरूप व्यापारी रेणु में कमी कर देते हैं और इस प्रकार सा की मात्रा में कमी हो जाती है ।
प्र0 11 सरकार के एजेंट एवं सलाहकार के रूप में केंद्रीय बैंक की भूमिका समझाइए ?
भारत सरकार तथा राज्य सरकारों की ओर से धन प्राप्त करना और उनके आदेश अनुसार इसका भुगतान करना भारत सरकार तथा राज्य सरकारों की ओर से जनता से ऋण प्राप्त करना सरकारी कोसों का स्थानांतरण करना भारत सरकार एवं राज्य सरकारों के लिए विदेशी विनिमय का प्रबंध करना भारत सरकार एवं राज्य सरकारों को आर्थिक सलाह देना ।
प्र0 12 विदेशी विनिमय बाजार के प्रमुख कार्य बताइए ?
विदेशी विनिमय बाजार का प्रमुख कार्य विश्व की मुद्राओं का क्रय विक्रय करना है यहां भी केंद्र है तथा 24 घंटे चलने वाला बाजार है संपूर्ण कारोबार की दृष्टि से देखा जाए तो यहां एक बहुत ही बड़ा बाजार है।
प्र0 13 व्यापारिक बैंकों द्वारा साख निर्माण की प्रक्रिया को संक्षेप में समझाइए
साख निर्माण की प्रक्रिया या बैंकों की अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य विधि है बैंकों में जितना नगद राशि जमा होती है बैंक पर आया उसका एक अंश रखकर शेष राशि उधार दे देते हैं नगद राशि इसलिए रखी जाती है ताकि बैंक अपने उन ग्राहकों का भुगतान कर सके जो अपना धन बैंक से निकालना चाहते हो बैंक जो राशि उधार देता है उसे नगद ना देकर ऋण के नाम अपने यहां खाता खोलकर जमा करा देता है और रेनी अपनी आवश्यकतानुसार उसमें से पैसा निकालने का अधिकार प्राप्त कर लेता है।
बैंक दर से आशय उस न्यूनतम दर से है जिस पर देश का केंद्रीय बैंक अपने अधीन बैंकों की प्रथम श्रेणी की प्रतिभूतियों को पुनः बनाने के लिए अथवा नीति में परिवर्तन करके देश में साख की मात्रा पर नियंत्रण रखता है जब देश में साख की मात्रा में वृद्धि करनी होती है तो केंद्रीय बैंक बैंक दर नीची कर देता है जिससे प्रभावित होकर व्यापारिक बैंक निर्णय लेने लगते हैं इससे साख की मात्रा में वृद्धि हो जाती है इसके विपरीत जब सा की मात्रा में कमी करनी होती है तो केंद्रीय बैंक बैंक दर में वृद्धि कर देता है इसे व्यापारिक बैंकों की ऋण की दर बढ़ जाती है फलस्वरूप व्यापारी रेणु में कमी कर देते हैं और इस प्रकार सा की मात्रा में कमी हो जाती है ।
प्र0 11 सरकार के एजेंट एवं सलाहकार के रूप में केंद्रीय बैंक की भूमिका समझाइए ?
भारत सरकार तथा राज्य सरकारों की ओर से धन प्राप्त करना और उनके आदेश अनुसार इसका भुगतान करना भारत सरकार तथा राज्य सरकारों की ओर से जनता से ऋण प्राप्त करना सरकारी कोसों का स्थानांतरण करना भारत सरकार एवं राज्य सरकारों के लिए विदेशी विनिमय का प्रबंध करना भारत सरकार एवं राज्य सरकारों को आर्थिक सलाह देना ।
प्र0 12 विदेशी विनिमय बाजार के प्रमुख कार्य बताइए ?
विदेशी विनिमय बाजार का प्रमुख कार्य विश्व की मुद्राओं का क्रय विक्रय करना है यहां भी केंद्र है तथा 24 घंटे चलने वाला बाजार है संपूर्ण कारोबार की दृष्टि से देखा जाए तो यहां एक बहुत ही बड़ा बाजार है।
प्र0 13 व्यापारिक बैंकों द्वारा साख निर्माण की प्रक्रिया को संक्षेप में समझाइए
साख निर्माण की प्रक्रिया या बैंकों की अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य विधि है बैंकों में जितना नगद राशि जमा होती है बैंक पर आया उसका एक अंश रखकर शेष राशि उधार दे देते हैं नगद राशि इसलिए रखी जाती है ताकि बैंक अपने उन ग्राहकों का भुगतान कर सके जो अपना धन बैंक से निकालना चाहते हो बैंक जो राशि उधार देता है उसे नगद ना देकर ऋण के नाम अपने यहां खाता खोलकर जमा करा देता है और रेनी अपनी आवश्यकतानुसार उसमें से पैसा निकालने का अधिकार प्राप्त कर लेता है।
ASSESSMENT (मूल्यांकन)
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